पटना : बिहार टॉपर घोटाले के मास्टरमाइंड बच्चा राय इन दिनों जेल में है. बच्चा राय के चार डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले लगभग 400 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. यह सभी छात्र स्नातक उत्तीर्ण हैं. इन छात्र-छात्राओं के भविष्य की पढ़ाई और कैरियर पर ग्रहण लग गया है. बच्चा राय के चार डिग्री कॉलेजों को विशेष जांच टीम ने सील कर दिया है. इन कॉलेजों से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को कई तरह के प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं, जिसकी जरूरत आगे की पढ़ाई और अन्य कॉलेजों में नामांकन के वक्त होती है. जैसे विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र, अंकपत्रऔर जमा किये हुए पहले के प्रमाण पत्र.
आगे की पढ़ाई के लिये विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र जरूरी
जानकारी के मुताबिक यह सभी छात्र-छात्रा काफी परेशान हैं. आगे किसी कॉलेज में नामांकन और पढ़ाई के लिये विद्यालय व कॉलेज परित्याग प्रमाण पत्र जरूरी होता है जिसे सीएलसी कहते हैं. रोजाना छात्र मुजफ्फरपुर स्थित बीआरए विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर का चक्कर काट रहे हैं. जो छात्र बीए पार्ट थ्री की परीक्षा देने के बाद उतीर्ण हो चुके हैं. उन्हें मार्क सीट और सीएलसी नहीं मिल पा रहा है. कई विद्यार्थियों ने अन्य कॉलेजों में नामांकन के लिये प्रवेश परीक्षा दी है. वह पास भी हुए हैं लेकिन उचित सर्टिफिकेट नहीं मिलने की वजह से काफी परेशान हैं.
बच्चा के सभी कॉलेज हैं सील
बिहार टॉपर घोटाला के सामने आने के बाद बच्चा राय के भगवानपुर स्थित इंटर कॉलेज को सील किया गया उसके बाद सियावती लालमुनी देवी डिग्री कॉलेज, वैशाली, राजदेव लालमुनी डिग्री कॉलेज, चेहराकला, वैशाली और ठाकुर देवी रामचंद्र , राजदेव बौआजी राय डिग्री कॉलेज को भी सील कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सभी चारों कॉलेज बच्चा राय के हैं. इन कॉलेजों के चार सौ छात्र भटक रहे हैं. उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है.
फर्जीवाड़े का मुख्य केंद्र थे बच्चा राय के कॉलेज
विशेष जांच टीम में हुए खुलासे के बाद यह साफ है कि बच्चा राय के सभी कॉलेज फर्जीवाड़े का गढ़ थे. छात्र-छात्राओं से नामांकन से लेकर परीक्षा फार्म भरने का काम इन्हीं सारे कॉलेजों में चलता था. जांच टीम ने यह भी खुलासा किया था कि बच्चा राय के एक कॉलेज में नामांकन तो दूसरे में परीक्षा संबंधी कार्य होता था. अपने कॉलेजों के अंदर ही बच्चा राय फर्जीवाड़े का खेल खेलता था. अब उसके फर्जीवाड़े की सजा वह बच्चे भुगत रहे हैं जिन्होंने बच्चा राय के कॉलेजों में नामांकन लिया. चारों कॉलेज मिलाकर 400 से ज्यादा छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है.