पटना : मुकेश पाठक गिरोह से जुड़े 23 लोगों को पुलिस तलाश रही है. इसमें उत्तर बिहार के 10 लोगों के अलावा दो मधेसी नेता एवं एक पुलिसकर्मी समेत नेपाल के आठ लोग भी शामिल हैं. यही नहीं, फरारी के दौरान मुकेश जहां-जहां रहा, उनको भी पुलिस ने ट्रेस कर लिया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इनकी गिरफ्तारी होगी. प्रभात खबर को जो मोबाइल ट्रैकिंग का रिकॉर्ड मिला है, उसमें इनके नंबर मौजूद हैं. पुलिस ने इसके नेटवर्क का सफाया करने की शुरुआत कर दी है.
पुलिस की तरफ से अब तक की गयी जांच और मोबाइल ट्रैकिंग समेत अन्य माध्यमों से इसके गिरोह से जुड़े सभी लोगों के नाम सामने आये हैं. केडिया अपहरण कांड में भी इस गिरोह का नाम आया था, लेकिन फिर केडिया की बरामदगी के साथ मामला रफा-दफा हो गया. हालांकि उस इलाके के लोगों का कहना है कि केडिया बिना पैसे दिये रिहा नहीं हुआ था. गौरतलब है कि केडिया की रिहाई के लिए 100 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गयी थी.
कई लोग करते थे मदद
कई लोग मुकेश पाठक और उसके गिरोह के सदस्यों को हर तरह से मदद करते थे. कोई उन्हें छिपाता था, कोई भगाता था, कोई उनके लिए जरूरत के सामान मुहैया कराता था. इस तरह कहीं न कहीं सभी लोग इस गैंग से जुड़े हुए थे. जिसकी जब जरूरत पड़ती थी, मुकेश उनका उपयोग करता था.
– पिंटू देव, दरभंगा जिला के बहेरी थाना का रहने वाला.
– प्रमोद ठाकुर, शिवहर जिले में पुरनहिया थाना के दोस्तिया का निवासी
– शमीम अख्तर, सीतामढ़ी जिले के नानपुर थाने में इस्लामपुर में आवास
– विपिन सिंह, पूर्वी चंपारण के महिषी थाना क्षेत्र में मोरियाबाद का रहने वाला
– गुड़्डू झा, सीतामढ़ी के रून्नी सैदपुर थाना में थूंबा का रहने वाला
– अमित पांडेय, मोतिहारी जिले के चकिया थाना क्षेत्र में पिपराखेम निवासी
– चंद्रशेखर झा, शिवहर जिले के पुरनहिया थाना क्षेत्र में दोस्तिया गांव का रहने वाला
– मंटु पांडेय, मुजफ्फरपुर जिले में पैगम्बरपुर गांव का रहने वाला
– प्रभाकर झा, सीतामढ़ी जिले के रून्नी सैदपुर थाना क्षेत्र में गंगवारा बुजुर्ग गांव का निवासी
मुकेश का नेपाल कनेक्शन
– महंत ठाकुर, नेपाल में तराई मधेष लोकतांत्रिक पार्टी से पूर्व सांसद. मुकेश को नेपाल में छिपाने और सुरक्षित स्थान पर भागने में खासतौर से मदद करता है. वह प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों तरह का संरक्षण देता था.
– सुशील मिश्रा, रउटाहाट जिले के बलारा का रहने वाला और तराई मधेष लोकतांत्रिक पार्टी के सचिव. वर्तमान में काठमांडू में इनका निवास है. नेपाल में सुशील मिश्रा ही मुकेश को हर तरह का संरक्षण प्रदान करता था. वह उसके अवैध रुपये को निवेश करता या छिपाता था और कई व्यवसायियों में मुकेश उसका पार्टनर भी है. इस बात की स्पष्ट सूचना है कि जिस एके-47 से दरभंगा में दोनों इंजीनियरों की हत्या की गयी है, वह हथियार वर्तमान में सुशील मिश्रा के पास ही मौजूद है.
– संजय झा, गौर का रहने वाला और नेपाल पुलिस आर्मी में नौकरी करता है. यह नेपाल में मुकेश को संरक्षण देने के साथ-साथ पुलिस की तमाम गतिविधि की सूचना भी देता था. इस वजह से ही यह काफी लंबे समय तक पुलिस की छापेमारी और सर्च से बचता रहा. बिहार पुलिस की एसटीएफ काफी समय यहां ऑपरेशन करने के बाद भी खाली लौटी थी.
– जीवन चौधरी, जनकपुर स्थित होटल सीता पैलेस में रहते हैं और कहा जाता है इसके मालिक भी हैं. मुकेश और उसके गैंग के लोगों के लिए यह स्थान नेपाल में सबसे सुरक्षित पनाहगाह था.
– वीरेन्द्र झा, राउटाहाट जिले में गौर थाना के महादेव पट्टी का रहने वाला. यहां मुकेश लंबे समय तक रहता था.
– अरूण झा, गौर थाना के सिसवा में रहता है.
– अनिल झा, गौर थाना के समगढ़ में रहता है.
– राकेश महतो, सरलाही जिले के बसरा थाना क्षेत्र में रहता है. ऐसे यह रहने वाला मधुबनी का है.
गुवाहाटी में परिवार, उड़ीसा में भी ठिकाना
बिहार के बाहर असम के गुवाहाटी और उड़ीसा के झासुगोड़ा में भी ठिकाना बना रखा है. गुवाहाटी में मुकेश और संतोष झा दोनों की बेटी समेत पूरा परिवार रहता है. गुवाहाटी के फाटासिल थाना क्षेत्र के विमला नगर और काला पहाड़ मेन रोड के पास इनका ठिकाना है. संतोष के जेल जाने के बाद मुकेश का इस स्थान पर आना-जाना काफी बढ़ गया था. इसके उड़ीसा के झारसुगुड़ा शहर, बरमाल और सरबाहल इलाके में भी इसने ठिकाना बना रखा है.
फरारी के दौरान इनके पास छिपा मुकेश
– सचिन झा, झारसुगुड़ा के मारवाड़ी पाड़ा में रहते हैं.
– बैद्यनाथ ठाकुर, झारसुगुड़ा शहर में गेवाना धर्मशाला थाना क्षेत्र में निवास.
– यूपी में तैनात सेना के एक हवलदार के पास.
– संजीव कुमार, मेरठ इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में रहते हैं, जहां मुकेश ने काई दिनों तक बना रखा था ठिकाना
– इसके अलावा कोलकाता, रायपुर (छत्तीसगढ़), जगन्नाथपुरी में भी कई दिन बिताये.
– भागने के दौरान उसने ट्रेन से बिलासपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बड़ोदरा, दिल्ली समेत अन्य स्थान पर गया. इन स्थानों पर वह स्टेशन पर सिर्फ उतने देर ही रुकता था, जितनी देर में दूसरी ट्रेन बदली जा सके. कुछ स्थानों पर काफी कम देर के लिए रिटायरिंग रूम में रुकता और फ्रेश होता था.
मुकेश इनको करता था फोन
छोटन झा उर्फ अमरनाथ झा, सीतामढ़ी कोर्ट में वकालत का पेशा करने वाले छोटन से मुकेश की कई बार बातचीत हुई है. इस बातचीत का पूरा डिटेल कॉल रिकॉर्ड पुलिस के पास है. पुलिस को मिले दस्तावेज के मुताबिक छोटन झा इस गिरोह के लिए लेवी के रुपये लेने का काम करता था. जिस निर्माण कंपनी से जितने रुपये लिये जाते थे, वे सभी रुपये छोटन के माध्यम से ही इस गैंग तक पहुंचते थे. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस लेन-देन में वकील छोटन झा को भी कुछ कमीशन मिलता था.