14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विलुप्त हो रही पटुए से रस्सी बनाने की प्रथा

मसौढ़ी : पटुए की रस्सी, सुतरी आदि बनाने की कला में जो लोग निपुण थे, अब वे इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. बाजार में अब प्रचुर मात्रा में प्लास्टिक की रस्सी, रस्सा ,पगहा आदि का उपलब्ध हो जाने से परंपरागत पटुए, सनई से विभिन्न प्रकार के सामान बनाने की कला में पारंगत लोग अब दूसरे […]

मसौढ़ी : पटुए की रस्सी, सुतरी आदि बनाने की कला में जो लोग निपुण थे, अब वे इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. बाजार में अब प्रचुर मात्रा में प्लास्टिक की रस्सी, रस्सा ,पगहा आदि का उपलब्ध हो जाने से परंपरागत पटुए, सनई से विभिन्न प्रकार के सामान बनाने की कला में पारंगत लोग अब दूसरे तरह का काम कर अपनी जीविका चलाने को विवश हैं.
हालांकि, फिलहाल अनुमंडल में पटुए से रस्सी बनानेवाले गिने-चुने लोग ही रह गये हैं. इस संबंध में भगवानगंज के गिरीश सिंह, नदौल के शिवजी यादव, धनरूआ के सोहराई मांझी व लखना के अखिलेश जो रंग- बिरंगे पगहा बरहा, सीकहर ,रस्सी, गरहा आदि सामानों को बना कर बेचते थे अब उन सामानों का कोई खरीदार भी न के बराबर रह गया है.
ऐसा उक्त सभी ने स्वीकार भी किया कि पहले बैल, गाय ,भैंस, बाछा,बाछी आदि पहचानने के लिए पटुआ से बनी रस्सी की सुंदर मोहरी झाला तथा पगहा लेने की होड़ मची रहती थी. पशुपालकों में वही अब प्लास्टिक के बने सामान स्थान ले लिया है क्योंकि सुतरी के बने इन सामानों की तुलना में प्लास्टिक काफी सस्ता व अधिक टिकाऊ होता है.
पहले बैलगाड़ी पर बिछाने के लिए, चौकी पर बिछाने के लिए सलीता सुतरी के कसीदा काढ़ कर बनता था, लेकिन आज समय के साथ- साथ यह सब चीजें लोगों को देखने के लिए नहीं मिल रही हैं. जरूरत है इस कला में निपुण लोगों की हौसला अफजाई करने व उनके द्वारा निर्मित सामानों का उचित बाजार उपलब्ध कराने की , अन्यथा हमारी बची-खुची पहचान भी विलुप्त हो जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें