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स्वास्थ्य विभाग ने कहा, पूर्व उप मुख्यमंत्री मोदी का आरोप तथ्यहीन

पटना : ज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के उस कथन को आधारहीन और तथ्य से परे बताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में नयी सरकार बनने के बाद पूरे प्रदेश में नकली दवा के नाम पर छापामारी कर अवैध वसूली […]

पटना : ज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधान परिषद में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के उस कथन को आधारहीन और तथ्य से परे बताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में नयी सरकार बनने के बाद पूरे प्रदेश में नकली दवा के नाम पर छापामारी कर अवैध वसूली की गयी.
दवा दुकानों का लाइसेंस निलंबित कर उसे फिर से बहाल कर दिया गया. पूरे प्रकरण में अवैध वसूली की गयी है. विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि राज्य में सेवारत 122 ड्रग इंस्पेक्टरों का यह दायित्व है कि वे समय-समय पर दवा की दुकानों (होल-सेल सहित) का निरीक्षण करें एवं जो दुकानदार नियमों का पालन नहीं करते हुए पाये जाते हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई करें. निरीक्षण के क्रम में संदेहास्पद दवाओं का नमूना लेकर उसकी जांच करायी जाती है. नियमों का उल्लंघन होने पर ड्रग एवं कास्मेटिक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नियमानुसार कार्रवाई की जाती है.
नयी सरकार बनने के बाद विभाग के द्वारा जीरो टालरेंस नीति अपनायी गयी. दवा दुकानदारों द्वारा अनियमितता बरतने की सूचना प्राप्त होने पर विभाग के स्तर पर यह निर्णय लिया गया कि दवा दुकानों का औचक निरीक्षण किया जाये. इसके लिए राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा जांच दल बनाकर नियमानुसार कार्रवाई की गयी.
औचक निरीक्षण संबंधी जांच दल में औषधि निरीक्षकों के अतिरिक्त वाणिज्य-कर विभाग के पदाधिकारी भी सम्मिलित थे. छापामारी के क्रम में मुख्य रूप से दवा दुकानदारों द्वारा जो अनियमितता पायी गयी, उसमें बिल प्रस्तुत नहीं किया गया, औषधियों को नियमानुकूल नहीं रखा गया था. फ्रीज में रखी जाने वाली दवा बाहर थी. फर्मासिस्ट नहीं थे. दुकान में फिजीसीयन सैंपल, एक्सपायर दवा व अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक में दवा बेची जा रही थी.
विभाग की ओर से कहा गया है कि लाइसेंस कुछ निर्धारित अवधि के लिए ही निलंबित किये जाने का प्रावधान है. निर्धारित अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात् लाइसेंस स्वत: बहाल हो जाता है. अनुज्ञप्ति प्राधिकार द्वारा लाइसेंस रद्द किये जाते है. यहां अपील का भी प्रावधान है. इसलिए अनुज्ञप्ति रद्द होने के पश्चात उसे बहाल करने का अधिकार अनुज्ञप्ति प्राधिकार को नहीं है.
बहुत से मामले में पटना उच्च न्यायालय, पटना द्वारा अनुज्ञापन प्राधिकारी द्वारा पारित निलंबन व रद्द आदेश को स्थगित करते हुए अपीलीय प्राधिकार के न्यायालय में अपील दायर करने का आदेश दिया गया है, जो सुनवाई के प्रक्रियाधीन है. अगर किसी पदाधिकारी या औषधि निरीक्षक के विरुद्ध साक्ष्य समर्पित किया जाता है तो विभाग उनके विरुद्ध नियमसंगत त्वरित कार्रवाई करेगा. अभी तक किसी पदाधिकारी, औषधि निरीक्षक के विरुद्ध लिखित शिकायत विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है. खाद्य संरक्षा अधिकारी द्वारा समय-समय पर विभिन्न खाद्य दुकानों की जांच की जाती है और निम्न स्तर के मिलावटी खाद्य पदार्थ के संदेह पर नमूना लेकर इसकी भी जांच करायी जाती है.
राज्य की जनता को शुद्ध आहार मिल सके एवं मिलावटी खाद्य पदार्थों पर रोक लग सके इसके लिए विभिन्न खाद्य दुकानों में औचक निरीक्षण कर लगभग 600 से अधिक संदिग्ध खाद्य नमूना संग्रहित कर जांच हेतु भेजा गया है. जांच के बाद निम्न कोटि के पाये जाने पर 6 दुकानों पर अभियोजन दायर किया गया है. एक ही स्थान पर तीन वर्षो से ज्यादा की अवधि से पदस्थापित सभी औषधि निरीक्षकों एवं अनुज्ञापन अधिकारों का स्थानांतरण कर दिया गया है.
नवंबर 2015 से अप्रैल 2016 तक पूरे राज्य में की गयी कार्रवाई का ब्योरा
– औषधि प्रतिष्ठानों में छापेमारी की संख्या-548
– पायी गयी त्रुटियों के आलोक में प्रतिष्ठानों का निलंबन-336
– रद्द की गयी अनुज्ञप्तियों की संख्या- 45
– दायर की गयी प्राथमिकी की संख्या-45
– दायर अभियोजन की संख्या-31
– जांच की गयी नमूनों की संख्या-450
– मानक स्तर की औषधि-435
– अवमानक स्तर की औषधि-05
– मिथ्या छाप औषधि-10
पटना स्थित दवा व्यवसायियों के प्रतिष्ठान से वाणिज्य–कर का फलाफल:–
(क) वाणिज्य कर: अधिरोपित राशि – 1,12,18,619
(ख) वाणिज्य कर : कुल वसूली गयी राशि– 40,39,581
(ग) वाणिज्य कर : कुल बकाया राशि – 71,79,038

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