Advertisement
बिहार : मंत्री ने कहा, मेरे दामाद से भी अधिकारियों ने ली रिश्वत
पटना : गन्ना उद्योग मंत्री फिरोज उर्फ खुर्शीद आलम ने मंगलवार को कहा कि राज्य में गन्ना किसानों से सर्टिफिकेशन के नाम पर अधिकारी खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं. सर्टिफिकेशन के नाम पर खुद उनके दामाद को भी 1200 रुपये देना पड़ा है. गन्ना खेती के सर्टिफिकेशन का काम कृषि विभाग के पदाधिकारियों द्वारा किया […]
पटना : गन्ना उद्योग मंत्री फिरोज उर्फ खुर्शीद आलम ने मंगलवार को कहा कि राज्य में गन्ना किसानों से सर्टिफिकेशन के नाम पर अधिकारी खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं. सर्टिफिकेशन के नाम पर खुद उनके दामाद को भी 1200 रुपये देना पड़ा है. गन्ना खेती के सर्टिफिकेशन का काम कृषि विभाग के पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि सर्टिफिकेशन के आधार पर ही किसानों को अनुदान दिया जाता है. चीनी मिलों की मिली भगत से सर्टिफिकेशन करनेवाले अधिकारी होटल या चीनी मिल में बैठ कर प्रमाण पत्र जारी करते हैं.
इसका कारण है कि वास्तविक किसानों को अनुदान का लाभ नहीं मिलता जबकि गलत सर्टिफिकेशन के नाम पर एक हेक्टेयर वालों को चार-छह हेक्टेयर का गलत तरीके से अनुदान मिल रहा हैं. गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शीद आलम ने अपने आवास पर कामदारों की राज्यस्तरीय बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सरकार इस तरह के अवैध धंधे को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है. किसानों को मिलों द्वारा किसी तरह की ठगी नहीं किया जाये इसके लिए मिलों को भी जिम्मेवार बनाया जा रहा है. अब चीनी मिलों द्वारा भी किसानों को प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा जिससे गन्ना का नया प्रभेद लगानेवाले किसानों को भी अनुदान दिया जा सके.
पूर्व में चीनी मिल प्रबंधकों द्वारा किसानों के ईख का निम्नकोटि घोषित कर उनका दर कम निर्धारित किया जाता है. साथ ही विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सर्टिफिकेशन के लिए किसानों के खेत तक जाकर सर्वे करने का काम करें. इससे बिचौलियों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जायेगा. सीएम नीतीश कुमार के निर्देश है कि हर किसानों को पूरी तरह से सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाना है.इसके लिए हर किसान का गन्ना खरीद का भुगतान सीधे उनके खाते में आरटीजीएस के माध्यम से किया जा रहा है.
क्या होता है सर्टिफिकेशन
इसमे हर किसान के खेत में की गयी गन्ना की खेती का माप लिया जाता है. इसी के आधार पर किसानों को कैलेंडर तैयार किया जाता है. किसानों को अपना गन्ना ईंख मिल में बेचने के लिए परची निर्गत की जाती है. इसमें पदाधिकारी गलत तरीके से उनलोगों के गन्ना की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाकर दिखा दिया जाता है जिनके पास वास्तविक गन्ना की खेती नहीं रहती है. सरकार का अनुदान ऐसे ही लोगों के खाते में चला जाता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement