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PMCH का हाल : शौचालय में दरवाजा नहीं, न ही नलों में आता है पानी

बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती हैं मयस्सर, रोगी कल्याण समिति बस कागजों पर करती है काम पटना : नवादा के गोविंदपुर के चुन्नु राम पिछले दो दिनों से अपने भाई का इलाज करा रहे हैं. दो दिनों से समय पर उनके मरीज को इंजेक्शन नहीं दिया गया है. तो वहीं प्रतिदिन नित्यकर्म और पीने के […]

बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती हैं मयस्सर, रोगी कल्याण समिति बस कागजों पर करती है काम
पटना : नवादा के गोविंदपुर के चुन्नु राम पिछले दो दिनों से अपने भाई का इलाज करा रहे हैं. दो दिनों से समय पर उनके मरीज को इंजेक्शन नहीं दिया गया है. तो वहीं प्रतिदिन नित्यकर्म और पीने के पानी तक के लिये उन्हें और उनके परिवार को जद्दोजहद करना पड़ रहा है.
यह किसी एक चुन्नु राम की ही कहानी नहीं है, बल्कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भरती होने वाले सैकड़ों परिवारों के लिए यह रोज की स्थिति है. स्थिति यह है कि न तो शौचालय में दरवाजा है और न ही नलों से साफ पानी ही आता है.
छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए तरसते हैं मरीज : पीएमसीएच के इमरजेंसी से लेकर आउटडोर और इंडोर में आने वाले मरीज और उनके तीमारदार यहां छोटी छोटी सुविधाओं के लिये भी तरसना पड़ता है. चुन्नु बताते हैं कि उनके साथ परिवार के कुल चार लोग यहां पर रह रहे हैं. उन्हें हथुआ वार्ड में भरती कराया गया है और जो हालात हैं उसके अनुसार अभी दस दिनों तक यहीं पर रहना होगा. अस्पताल द्वारा इलाज तो हो रहा है, सुबह से लेकर शाम तक डॉक्टर समय से चक्कर लगाते हैं लेकिन नर्स ने दो दिनों से समय पर इंजेक्शन नहीं दे रही है. सिर्फ दवाइयां देकर ही चली जाती हैं.
सुलभ शौचालय का सहारा : सुबह सभी सदस्यों को नित्यकर्म के लिए सोचना पड़ता है. इस वार्ड में शौचालय तो है पर दरवाजा नहीं है. आधी रात भी कोई शौचालय जाता है तो एक व्यक्ति को पहरेदारी करनी होती है. महिला सदस्य तो मजबूरीवश सुलभ शौचालय में जाना पड़ता है. इसके साथ ही जब यह परिवार खाना बनाना चाहता है तो पानी नहीं मिलता है.
ज्यादातर नलों से गंदा पानी आता है और इसके कारण वे साफ पानी के लिए इधर उधर भटकते रहते हैं. वे कभी सिस्टम को दोष देते हैं तो कभी नेताओं को.
दावा कुछ, हकीकत कुछ : लाखों के बजट वाले इस अस्पताल में सभी जरूरी कोशिशों और दावे के बाद भी हकीकत कुछ इसी तरह की कहानियां बयान करते हैं. उन्हें यहां जो झेलना पड़ रहा है, उस दर्द को सिर्फ वे ही महसूस कर सकते हैं, जो प्रतिदिन इस स्थिति से जूझ रहे हैं.
रोगी कल्याण समिति कागजों पर करती है काम : अब बात रोगी कल्याण समिति की करते हैं. पीएमसीएच की रोगी कल्याण समिति को इसी बात का जिम्मा मिला हुआ है कि वे यहां बुनियादी सुविधाओं के साथ ज्यादा से ज्यादा रोगियों के कल्याण के लिए काम करें, पर एक साल में हुई बैठक में रोगी कल्याण समिति ने मुख्य तौर पर नियुक्ति और मशीनों को ही लगाने की बात की है.
पीएमसीएच में पानी, बिजली और भवन निर्माण से जुड़े काम के लिए हमें संबंधित विभाग को कहना पड़ता है. इसी कारण मुख्य रूप से परेशानी होती है, जहां तक दरवाजा की बात है, तो हमें ऐसी जानकारी नहीं मिली है. आपकी जानकारी के बाद उसे शीघ्र ही ठीक करने के लिए भवन निर्माण विभाग को कहा जायेगा, पानी की सप्लाई को भी बेहतर करने के लिए पीएचइडी को लिखा जायेगा.
– लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
कन्या शिक्षा मामले में गुजरात 20वें नंबर पर
पटना : राज्यसभा सदस्य डॉ मीसा भारती ने कहा है कि कन्या शिक्षा मामले में देश के 21 प्रमुख राज्यों में गुजरात का 20वां स्थान है. उन्होंने कहा है कि बिहार, झारखंड, असम आदि राज्य इस मामले में गुजरात जैसे समृद्ध राज्य से कहीं आगे है. उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि लंबे समय से गुजरात जैसे राज्य में कन्याआें के लिए योजनाओं के बावजूद ना तो लड़कियां स्कूल-कॉलेजों में बड़ी तादाद में नामांकन करवा रही हैं, न अपनी शिक्षा पूरी कर रही हैं और न ही उच्च शिक्षा के लिए जा रही हैं.
फेसबुक पर जारी पोस्ट में उन्होंने कहा है कि लड़कियों में कुपोषण, कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामलों में भी गुजरात जैसे समृद्ध और अधिकांश शिक्षित राज्य का आगे रहना समझ के परे है.
लंबे समय से यहां भाजपा की सरकार रही है और जिसमें स्वयं मोदी जी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जब मुख्यमंत्री रहकर एक राज्य में मोदी जी स्त्रियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सके तो पूरे देश में एक नारा देकर या बेटियों के साथ सेल्फ़ी खींचने को प्रेरित कर के क्या सुधार लायेंगे.

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