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गांधी सेतु के सभी पिलर निरीक्षण में पाये गये ठोस
खुलासा. आइआइटी रुड़की की रिपोर्ट के अनुसार मानक के अनुसार कंक्रीट मजबूत पाये गये पटना : उत्तर और दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु के पाये 34 साल बाद भी दुरुस्त है. डिस्ट्रैक्टिव व नन डिस्ट्रैक्टिव जांच में सेतु के पाये काफी दुरुस्त पाया गया है. कंक्रीट की मजबूती मापक के अनुसार एम-40 […]
खुलासा. आइआइटी रुड़की की रिपोर्ट के अनुसार
मानक के अनुसार कंक्रीट मजबूत पाये गये
पटना : उत्तर और दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु के पाये 34 साल बाद भी दुरुस्त है. डिस्ट्रैक्टिव व नन डिस्ट्रैक्टिव जांच में सेतु के पाये काफी दुरुस्त पाया गया है. कंक्रीट की मजबूती मापक के अनुसार एम-40 पायी गयी है. आइआइटी रूड़की के इंजीनियरों की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.
टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि भार और साउंड के मामले में भी पाये ठोस हैं. आइआइटी रूड़की के इंजीनियर द्वारा पाये के कंक्रीट की जांच लैब में किये जाने पर उसकी मजबूती मापक के अनुसार बेहतर माना गया है. जानकारों के अनुसार कंक्रीट की मजबूती एम-20 के बाद बेहतर मानी जाती है. इससे सेतु के पाये की स्थिति काफी बेहतर है. इंजीनियर द्वारा लैब में कंक्रीट की दो तरह से जांच की गयी. डिसट्रैक्टिव व नन डिस्ट्रैक्टिव जांच में कंक्रीट काफी मजबूत पाया गया.
इंजीनियर इस बात से संतुष्ट है कि जिस तकनीक से सेतु का निर्माण हुआ है उसमें सेतु की स्थिति अच्छी है. एनएच के क्षेत्रीय कार्यालय में जांच की रिपोर्ट से अवगत कराया गया है. इंजीनियर जांच में दोनों तकनीक में कंक्रीट की मजबूती को बेहतर मान रहे हैं.
गांधी सेतु के पाये की जांच के लिए मई माह में आइआइटी रूड़की के इंजीनियर पटना आये थे. पटना में लगभग एक माह रह कर सभी पाये की जांच की. इंजीनियर द्वारा पाये के कंक्रीट को जमा कर उसे जांच के लिए लैब भेजा गया था. लैब में जांच के बाद आयी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. एनएच के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि लैब में हुये जांच में सेतु के पाये की स्थिति काफी बेहतर है. जिस तरह की शंका व्यक्त की जा रही थी ऐसा नहीं है.
सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर का बदलाव होगा. ऊपरी स्ट्रक्चर कंक्रीट की जगह स्टील का बनेगा. केंद्र ने इसके लिए 1800 करोड़ राशि स्वीकृत की है. स्टील स्ट्रक्चर के बदलने के लिए 15 जुलाई को कांट्रैक्टर का चयन होगा.
सेतु निर्माण पर कुल लागत 87. 21 करोड़ रुपए और सेतु का निर्माण मई 1982 में हुआ था.
गांधी सेतु से 1982 से 2007 तक टॉल टैक्स वसूल : 139. 17 करोड़
सेतु का निर्माण गैमन इंडिया लिमिटेड
प्रीस्ट्रेड कंक्रीट बैलेंस कैंटीलीवर तकनीक से बना
पुल की लंबाई : 5.57 किलो मीटर
कुल पाया: 46
सेतु मरम्मत पर लगभग 200 करोड़ खर्च
डिसट्रैक्टिव व नन डिस्ट्रैक्टिव जांच में सफल
डिस्ट्रैक्टिव जांच में कंक्रीट के ऊपर इतना लोड रखा जाता है जब तक कंक्रीट टूट नहीं जाये. लैब में जांच के दौरान गांधी सेतु के पाये के कंक्रीट पर लोड रखे जाने पर पाया गया कि कंक्रीट की मजबूती का मापक एम-40 है. नन डिस्ट्रैक्टिव जांच साउंड वेव सिस्टम से होता है. इसमें कंक्रीट के ऊपर साउंड वेव सिस्टम से कंपन कराया जाता है.इससे कंक्रीट के कंपन सहने की क्षमता का पता चलता है.
आइआइटी रूड़की की छह सदस्यीय टीम पटना पहुंची
सेतु के पाये की जांच के साथ मिट्टी व कंक्रीट का लिया नमूना
प्रत्येक दिन वाहनों के आवागमन की स्थिति देखी
आइआइआटी रूड़की की सर्वेयर टीम आयी थी पटना
एक माह रह कर सभी पाये की जांच के साथ कंक्रीट का किया संग्रहण
कंक्रीट व मिट्टी को भेजा गया आइआइटी रूड़की लैब
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