अनुपम कुमारी
पटना : किस्मत कब किस करवट बैठे कुछ कह नहीं सकते. कोई फर्श से अर्श पर, तो कोई अर्श से फर्श पर पहुंच जाता है. किस्मत कहां से कहां जुड़ जाये, कह नहीं सकते. घर से करने कुछ निकलते हैं, पर किस्मत किसी और ही रास्ते ले जाती है. यहां हम बात कह रहे हैं पश्चिम बंगाल की दो युवितयों संचिता चक्रवर्ती अौर तब्बसुम बेगम की. उनकी किस्मत ने भी कुछ ऐसा ही किया. दोनों अपने सपनों को उड़ान देने चलीं थी, पर दिगामी अवसाद और भटकाव ने उनका मानिसक संतुलन बिगाड़ दिया. वह रास्ता भटक कर मुंबई से बिहार से आ गयीं. मॉडिलंग की दुनिया से सीधे सड़कों पर आ गयीं. भिखारी बन दर-दर भटकने को मजबूर हो गयीं.
काउसेलिंग के बाद मिली जानकारी
गया के मेटा बुद्धा शांति कुटीर में चार अप्रैल को संचिता चक्रवर्ती को पुनवार्स के लिए लाया गया. कुछ दिनों तक
उनकी काउसिलिंग की गयी. संचिता जीवन से इतनी निराश हो गयी कि अवसाद और भारी तनाव से उसका मानसिक संतुलन पर गहरा आघात पहुंचा. वह बार-बार जिंदा नहीं रहने की बात कहती. बार-बार भाई और पिता के बारे में पूछती. मानिसक विचलन की स्थित में उसे डर था कि कहीं उसके पिता और भाई को मार, तो नहीं दिया गया.
चेतनाशून्यता के बाद भी बीता हुआ कल याद था
संचिता से जब संस्था के लोगों ने नाश्ते के बारे में पूछा, तो वह फ्रूट और फलों के जूस की मांग करती. खुद को
वह एक्ट्रेस भी बताती. जब कई बार उसके बारे में पूछा, तो उसने फिल्म माचो मस्तानी का नाम लिया. जब मूवी को देखा, तो उसमें संचिता मुख्य किरदार में थी. यह सभी को अचरज में डालनेवाला था.
पश्चिम बंगाल पुलिस से मिली जानकारी
संस्था के लोगों ने जब बंगाल पुलिस से संपर्क किया, तो संचिता के परिजनों के बारे में पता चला. लंबे प्रयास के
बाद पुलिस की मदद से संचिता के मिसिंग एफआइआर की सूचना भी मिली. संचिता के पिता, जो रेलवे में
आॅडिटर अधिकारी थे, को सूचना दी गयी, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि खोयी बेटी मिल गयी है. इसके बाद
संचिता के परिजन बेटी से मिलने शांति कुटीर पहुंचे.
घर से शूटिंग के लिए निकली थी संचिता
संचिताके पिता ने बताया कि वह फिल्मों में काम करती थी. करीब एक साल पहले भी वह घर से शूटिंग के लिए निकली थी. हालांकि कुछ महीने से वह मानिसक रूप से व्यथित और अस्वस्थ्य चल रही थी, हमें अंदाजा नहीं था कि वह अचानक कहीं चली जायेगी. दिमागी गड़बड़ी में शूटिंग पर गयी तब से वह वापस नहीं लौटी. बहुत ढूंढ़ने पर भी उसका कुछ पता नहीं चला.
मुख्यमंत्री योजना का मिला लाभ
मुख्यमंत्री भिक्षावृित्त निवारण योजना के तहत गया जिले के ‘बेगर होम’ में इन दोनों को लाया गया. वे दोनों पेशे से मॉडल और एक्ट्रेस थीं. लेकिन हादसे के बाद ये दोनों बंगाल और मुंबई से सीधे बिहार पहुंची. भिक्षावृित करने लगीं. इसके बाद योजना से जुड़े लोगों ने उन्हें बेगर होम में रख कर उनका इलाज और पुनवार्स के बाद उनके परिजनों से मिला रहे हैं.
तब्बसुम नाम बताती थी सीमा
बीते वर्ष 29 सितंबर को मुंबई में मॉडलिंग करनेवाली पश्चिम बंगाल की ही सीमा विश्वास भी बेगर होम में मिली, वह सहजता से जवाब नहीं दे पा रही थी. नाम और पता भी गलत बता रही थी. जब काफी देर काउंसिलिंग की गयी, तो उसने अपने भाई का मोबाइल नंबर बताया. जिस पर फोन करने पर पता चला कि उसका सही नाम तब्बसुम बेगम है. वह मॉडलिंग करती थी. उसके बारे में पता चला कि वह तलाकशुदा है. उसके अचानक गायब हाेने पर उसे ढूंढ़ने का काफी प्रयास किया गया. पर वह नहीं मिली.