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चोर-चोर समधी भाई
लालकेश्वर के समधी व पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार एमयू में प्राचार्य नियुक्ति मामले में हैं आरोपित पटना : ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ कहावत तो बहुत प्रचलित है, लेकिन यहां ‘चोर-चाेर समधी भाई’ की नयी कहानी बन रही है. बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो लालकेश्वर प्रसाद सिंह और मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अरुण […]
लालकेश्वर के समधी व पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार एमयू में प्राचार्य नियुक्ति मामले में हैं आरोपित
पटना : ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ कहावत तो बहुत प्रचलित है, लेकिन यहां ‘चोर-चाेर समधी भाई’ की नयी कहानी बन रही है. बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो लालकेश्वर प्रसाद सिंह और मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अरुण कुमार दोनों समधी हैं.
हालांकि, इंटर रिजल्ट घोटाले में लालकेश्वर के समधी की कोई भूमिका सीधे तौर पर अब तक सामने नहीं आयी है. लेकिन, यह महज इत्तफाक ही है कि दोनों शिक्षण संस्थानों के प्रमुख रहे हैं और दोनों पर बड़े आरोप लगे हैं. लालकेश्वर के कार्यकाल में हुए बिहार बोर्ड का पूरा रिजल्ट घोटाला सामने आया है. इसी तरह उनके समधी व पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल में मगध विवि में 2012 में 22 प्राचार्य और 2013 में 12 प्राचार्यों की हुई बहाली में गड़बड़ी सामने आयी थी.
पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार के भी खेल निराले : मगध विवि के तत्कालीन वीसी प्रो अरुण कुमार के खेल उच्च शिक्षा में बेहद निराले रहे हैं. प्राचार्य नियुक्ति में हुई गड़बड़ियों के मामले में प्रो अरुण कुमार को जेल भी जाना पड़ा था.
निगरानी ने उन्हें 2015 में गिरफ्तार किया था. 15 दिन जेल की हवा खाने के बाद उन्हें जमानत मिली. यह मामला अभी हाइकोर्ट में चल रहा है और फैसला सुरक्षित रखा हुआ है. प्रो अरुण कुमार ने 2012 में 22 प्राचार्यों की बहाली का विज्ञापन निकाला और इसमें तमाम नियमों को ताक पर रख कर अपनी मनमर्जी से प्राचार्यों की बहाली कर दी.
जनवरी, 2013 में 12 प्राचार्यों की बहाली करने का विज्ञापन निकाला. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के कई मामलों में इन्हें आरोपित मानते हुए इन्हें हटाने का आदेश दे दिया. यह आदेश बहाली प्रक्रिया चलने के दौरान ही आया. लेकिन, प्रो अरुण कुमार ने मार्च, 2013 में बैकडेट से विभिन्न कॉलेजों के 12 शिक्षकों को प्राचार्य बनाने की अधिसूचना जारी कर दी. मोटी रकम लेकर शिक्षकों को मनचाहे कॉलेज के प्राचार्य पद पर तैनात कर दिया गया.
जिन शिक्षकों को मार्च में ज्वाइनिंग लेटर दिया गया था, उस पर जनवरी तारीख अंकित थी. इसकी शिकायत शिक्षा विभाग से की थी. हंगामा होने पर जांच करने के लिए अगस्त, 2013 में विभाग ने बीबी लाल कमेटी का गठन किया था. इसमें प्रो अरुण कुमार को पूरी तरह से दोषी पाया गया.
समधिन को अवैध तरीके से बनाया प्राचार्य
प्रो अरुण कुमार ने अपनी समधिन प्रो उषा सिन्हा को अवैध रूप से लाभ पहुंचाते हुए उन्हें गंगा देवी महिला कॉलेज का प्रिंसिपल इंचार्ज या कार्यकारी प्रिंसिपल बना दिया था. इस पद पर वह दो दिन पहले तक कायम थीं. मगध विवि में अवैध रूप से जिन 12 प्राचार्यों की बहाली की गयी थी, उनमें तीन लोगों को फ्यूचर वैकेंसी के रूप में सुरक्षित रखा गया था.
इनमें एक नाम प्रो उषा सिन्हा का भी था. बताया जाता है कि उस दौरान जिन-जिन लोगों ने ज्यादा पैसे दिये, उन्हें प्राचार्य बना दिया गया. लेकिन, जिन्होंने कम पैसे दिये या जुगाड़ या पैरवीवाले थे, उन्हें फ्यूचर वैकेंसी के लिए रखा गया. इस बात को लेकर उन दिनों समधिन और समधी में रिश्ते भी खराब हुए थे, जो काफी समय तक चले. लेकिन, बाद में लालकेश्वर प्रसाद के बोर्ड अध्यक्ष बनने पर यह फिर से प्रगाढ़ हो गया.
प्रो अरुण कुमार ने अपनी समधिन को मनाने और रिश्ते सुधारने का प्रयास करते हुए प्रो उषा सिन्हा का कॉलेज ऑफ कॉमर्स से तबादला सीधे गंगा देवी महिला कॉलेज में सिर्फ इसलिए कर दिया कि इनसे सीनियर वहां कोई नहीं था और इसका फायदा उन्हें मिल सके. इसका फायदा उन्हें मिला भी. वह कॉलेज की प्रिंसिपल इंचार्ज बन गयी और प्रिंसिपल नहीं होते हुए भी सीधे तौर पर उन्हें फायदा मिला. जबकि अकेले तबादला करने का कोई सीधा प्रावधान नहीं है.
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