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ब्लैक लिस्टेड कंपनियों ने रोकी खरीद प्रक्रिया
समस्या. उलझी 235 प्रकार की दवाओं की खरीद नौ अगस्त, 2015 को सरकारी अस्पतालों में 235 दवाओं की खरीद के लिए टेंडर जारी हुआ था. इसमें सर्दी, खांसी, बुखार सहित अन्य बीमारियों की दवाएं शामिल थीं. पटना : दो ब्लैक लिस्टेड दवा कंपनियों ने दवाओं की खरीद की पूरी प्रक्रिया का ही खेल बिगाड़ दिया. […]
समस्या. उलझी 235 प्रकार की दवाओं की खरीद
नौ अगस्त, 2015 को सरकारी अस्पतालों में 235 दवाओं की खरीद के लिए टेंडर जारी हुआ था. इसमें सर्दी, खांसी, बुखार सहित अन्य बीमारियों की दवाएं शामिल थीं.
पटना : दो ब्लैक लिस्टेड दवा कंपनियों ने दवाओं की खरीद की पूरी प्रक्रिया का ही खेल बिगाड़ दिया. दवाओं का दर निर्धारित नहीं होने का कारण दवाओं की खरीद शुरू नहीं हुई है. अब इन दवाओं की खरीद कब होगी इसे बताने वाला कोई नहीं है. इसके कारण सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आ रहे मरीजों को 235 दवाओं की जगह सिर्फ 11 दवाओं की आपूर्ति ही की जा रही है. जिन वेयर हाउसों में पुराना स्टॉक है वहां से कुछ अतिरिक्त दवाएं मरीजों के लिए भेज दी जा रही है.
नौ अगस्त 2015 में सरकारी अस्पतालों में 235 दवाओं की खरीद के लिए टेंडर जारी हुआ था. इसमें सर्दी, खांसी, बुखार सहित अन्य प्रकार की बीमारियों की दवाएं शामिल थी. बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम द्वारा जारी टेंडर की अंतिम तिथि 12 सितंबर 2015 थी.
दवाओं की आपूर्ति में कुल 50 निर्माता संस्थाओं ने भाग लिया. जिन कंपनियों ने टेंडर में भाग लिया था उनके कागजातों की जांच के लिए लाइसेंसिंग ऑथेरिटी के नेतृत्व में छह औषधि निरीक्षकों को प्रतिनियुक्त भी किया गया था. इन्होंने अपने काम को अच्छी तरह से अंजाम दिया.
तकनीकी रूप से टेंडर को फाइनल करने के लिए 22 अप्रैल 2016 को तकनीकी मूल्यांकन समिति की बैठक की गयी . तकनीकी कमेटी ने 36 औषधि निर्माताओं के विभिन्न प्रकार की दवाओं को सही पाया. इसमें कुछ दवा कंपनियां तकनीकी टेंडर में योग्य पायी गयी थी.
जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया कि बीएमएसआइसीएल ने दवाओं के दर निर्धारण को ठंडे बस्ते में डाल दिया. साथ ही उन दोनों कंपनियों की दवाओं की खरीद पर रोक लगा दी. अभी तक उस टेंडर को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका है कि कब फाइनल टेंडर जारी किया जायेगा.
मामला प्रकाश में आने के बाद दवा कंपनी पर नकेल कसा जाना शुरू हो गया. मालूम हो कि राज्य में दवाओं की खरीद जिलों में सिविल सर्जनों के द्वारा की जाती है जबकि बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम द्वारा सभी प्रकार की दवाओं का रेट तय किया जाता है. एक बार दर निर्धारित हो जाने के बाद इसकी सूचना सिविल सर्जनों को भेज दी जाती है. सरकार द्वारा निर्धारित दर पर ही वे अपनी आवश्यकता के अनुसार विभिन्न दवाओं की खरीद करते है. अब स्थिति यह है कि दवाओं के दर निर्धारण का फाइनल टेंडर कब होगा यह बतानेवाला कोई नहीं है.
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