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Toppers Scam : बच्चा राय की अवैध कमाई में एक नहीं, दो नहीं, कई नेताओं की हिस्सेदारी
पटना : इंटर टॉपर घोटाले के मुख्य अभियुक्तों में एक विशुन राय कॉलेज के प्राचार्य बच्चा राय के एक-दो नहीं, बल्कि कई बड़े नेताओं से संबंध हैं. इनमें केंद्र व राज्य के मंत्री से लेकर विधायक तक शामिल हैं. बच्चा राय अपने कॉलेज के माध्यम से इन सफेदपोशों से पैसा लेकर अपने काले कारोबार में […]
पटना : इंटर टॉपर घोटाले के मुख्य अभियुक्तों में एक विशुन राय कॉलेज के प्राचार्य बच्चा राय के एक-दो नहीं, बल्कि कई बड़े नेताओं से संबंध हैं. इनमें केंद्र व राज्य के मंत्री से लेकर विधायक तक शामिल हैं. बच्चा राय अपने कॉलेज के माध्यम से इन सफेदपोशों से पैसा लेकर अपने काले कारोबार में लगाता था और कुछ समय बाद बदले में इन्हें अच्छा-खासा रिटर्न करता था. यानी इन नेताओं के लिए वह एक तरह से ‘चिट फंड कंपनी’ चलाता था, जिसमें बेहद कम समय में अच्छा मुनाफा मिलता था. इस धंधे में कुछ नेताओं की अच्छी-खासी साझेदारी भी थी.
एसआइटी ने छापेमारी के दौरान बच्चा राय के कॉलेज से इस धंधे से जुड़े के कई दस्तावेज और हिसाब-किसाब का रजिस्टर समेत अन्य कई कागजात बरामद किये हैं. इस दौरान पुलिस को उसके कॉलेज से 50 से ज्यादा अलग-अलग नेताओं के साथ टंगी उसकी तसवीरें भी मिली हैं. हालांकि, इनमें कई नेताओं को उसने अपने कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में बुला रखा था और इसी बहाने उसने अपना फोटो खिंचवा कर लगा लिया. जांच में यह बात भी स्पष्ट हुई है कि जिन सभी बड़ी हस्तियों के साथ इसने फोटो खिंचवा रखा था, उन सभी के साथ इसका कोई लेन-देन नहीं था. वह सिर्फ अपना रसूख बढ़ाने के लिए इन फोटो का उपयोग करता था.
हालांकि, जांच में मिले दस्तावेजों के मुताबिक, कई बड़े नेताओं और विधायकों के साथ इसकी अच्छी सांठगांठ थी और वे इसके अवैध धंधे के मुनाफे में हिस्सेदार भी थे. इनमें वैशाली जिले के नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इस जिले के कई विधायक भी इसके कॉलेज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से हिस्सेदार थे. कई नेताओं के रिश्तेदार इसके ट्रस्ट में बतौर ट्रस्टी हैं. प्राप्त सूचना के अनुसार, बच्चा राय ने इस बार वैशाली जिले से निर्वाचित एक विधायक का तमाम चुनाव खर्च भी उठाया था.
इस तरह नेताओं के पैसे का करता था उपयोग
बच्चा राय जिन नेताओं से जितने पैसे लेता था, उन्हें इंटर का रिजल्ट आने के बाद ज्यादा करके या जितने में जिससे तय हुआ होता था, उतने पैसे लौटा देता था. नेताओं से लिये गये इन रुपये को वह परीक्षा दिलाने से लेकर मनमुताबिक रिजल्ट निकलवाने में खर्च करता था. हर जगह वह पैसे बांटता था. सबसे ज्यादा बिहार बोर्ड में पैसे देता था, खासकर इसके अध्यक्ष या मुख्य सेटर को. इस सेटिंग के आधार पर वह छात्रों या उनके अभिभावकों से ज्यादा नंबर दिलाने, फर्स्ट डिवीजन, डिस्टिंक्शन, टॉप कराने के लिए अवैध रूप से मनमाना पैसे लेता था, जैसा काम, वैसा दाम.
सूत्रों के अनुसार, 75% से ज्यादा नबंर के लिए 75 से 85 हजार, जबकि प्रथम श्रेणी के लिए 50-60 हजार रुपये लिये जाते थे. इस तरह वह प्रत्येक वर्ष 10 से 15 करोड़ रुपये कमाता था. इस मुनाफा को वह अपने से जुड़े सभी लोगों में बांटता था. सूत्रों का कहना है कि वह अपने कॉलेज को मिलनेवाले अनुदान के रुपये का एक हिस्सा कुछ शिक्षा मंत्रियों तक को देता था. इससे अनुदान में किसी तरह की कटौती नहीं, इसका लाभ उसे जम कर मिलता था.
इस कदर था बच्चा की सेटिंग का बोलबाला
हर साल उसके कॉलेज का रिजल्ट राज्य में सबसे बेहतर रहता था. मौजूदा वर्ष के रिजल्ट में टॉपरों को छोड़ कर जहां उसके करीब 450 छात्रों को 75% या उससे ज्यादा अंक प्राप्त हुए हैं, वहीं पिछले साल इसके सभी छात्र प्रथम श्रेणी से पास हुए थे. पिछले कई सालों से बेहतरीन रिजल्ट के कारण उसकी अवैध कमाई भी बढ़ गयी थी.
ज्यादा से ज्यादा छात्र मनचाहा नंबर प्राप्त करने के लिए हर तरह की कीमत अदा करने को तैयार रहते थे. इस काली कमाई में उसके साथ हिस्सेदारी करने वाले नेताओं का कुनबा भी बढ़ता गया. सभी को कम समय में अच्छा मुनाफा का लालच जोड़े हुए था.
वैशाली जिले के सभी दलों के नेताओं से बच्चा के संबंध
इस िजले के कई िवधायक भी उसके कॉलेज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से िहस्सेदार
प्रत्येक साल बोर्ड परीक्षा में 10-15 करोड़ रुपये कमाता था बच्चा राय, सभी को शेयर के हिसाब से बांटता था पैसे
छापेमारी के दौरान पुलिस ने कई दस्तावेजों के साथ 50 अलग-अलग नेताओं के साथ तसवीरें भी कीं जब्त
डील करते थे लालकेश्वर, पैसा लेती थीं उषा
अब तक हुई जांच में यह बात सामने आयी है कि िबहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह खुद पैसे नहीं लेते थे, बल्कि बच्चा राय जैसे जो भी बड़े देनेवाले थे, वे उनकी पत्नी उषा सिन्हा के माध्यम से पैसे उन तक पहुंचाते थे. इसमें बोर्ड के कई कर्मचारी भी उनके सहयोगी थे, जो ऐसे लोगों से ठीक-ठाक ‘कट’ लेने के बाद अध्यक्ष तक पहुंचाते और काम करवाते थे.
िबहार बोर्ड के कुछ खास कर्मचारी तमाम तरह के ठेका-ठेकेदारी तक में अहम भूमिका निभाते थे. इन सबों के नाम धीरे-धीरे करके सामने आ रहे हैं. पुिलस ने दो िदन पहले िहलसा से पूर्व प्रमुख अनिल कुमार को िगरफ्तार िकया था. अनिल उषा िसन्हा के माध्यम से लालकेश्वर से जुड़ा था और पर्सनल असिस्टेंट के बनने के बाद उसने बड़े पैमाने पर दलाली शुरू की थी.
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