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बेगानी हुई शहर से सटी पांच पंचायतों की 60 हजार आबादी

समस्या. पंचायत का साथ छूटा, योजनाओं का भी लाभ नहीं करीब 60 हजार की आबादी बेगानी हो गयी है. इन पंचायतों को न तो पंचायती राज योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही नगरीय विकास को लेकर चल रही योजनाओं को शामिल किया गया है. नये वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों में […]

समस्या. पंचायत का साथ छूटा, योजनाओं का भी लाभ नहीं
करीब 60 हजार की आबादी बेगानी हो गयी है. इन पंचायतों को न तो पंचायती राज योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही नगरीय विकास को लेकर चल रही योजनाओं को शामिल किया गया है. नये वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों में इन पंचायतों में कोई नयी योजना नहीं ली गयी है.
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर से लगी पांच पंचायतों की करीब 60 हजार की आबादी बेगानी हो गयी है. इन पंचायतों को न तो पंचायती राज योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही नगरीय विकास को लेकर चल रही योजनाओं में इसे शामिल किया गया है. नये वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों में इन पंचायतों में कोई नयी योजना नहीं ली गयी है. ऐसे में शहर से लगी इन पांच पंचायतों दीघा पश्चिमी, दीघा पूर्वी, मैनपुरा पश्चिमी, मैनपुरा पूर्वी व मैनपुरा उत्तरी का विकास ठप पड़ गया है. वहीं, इन पंचायत में प्रतिदिन सफार्इ की कोर्इ व्यवस्था नहीं होने से स्थानीय लोगों को परेशानी होती है और पंचायत क्षेत्र शहर से लगे होने के कारण राजधानी की छवि खराब हो रही है.
नगर निगम ने मुख्य सड़कों पर शुरू की है सफाई : नगर निगम की नूतन राजधानी अंचल की ओर से इन पंचायतों की मुख्य सड़कों पर सफाई शुरू की है.
कार्यपालक पदाधिकारी विशाल आनंद ने बताया कि कुछ सड़क राजधानी से प्रमुख रूप से जुड़ी है. वहां पहले से काफी गंदगी रहती थी. इसलिए अंचल कार्यालय कुर्जी मोड़ सेअल्पना मार्केट तक और राजापुर पुल से दीघा रेलवे लाइन तक सफाई की जा रही है.सरकार के तीन निश्चय का सर्वे भी नहीं : नगर निगम में किसी भी क्षेत्र की अपने अंतर्गत शामिल करने के लिए होल्डिंग की गणना और घरों को होल्डिंग नंबर देने से की जाती है.
इसकी शुरुआत करने के लिए नगर आयुक्त स्तर से कर्इ बार नगर विकास व आवास विभाग से मार्गदर्शन मांगा है. लेकिन कोर्इ निर्देश नहीं मिला. नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि अभी नगर निगम से किसी तरह का कोर्इ विकास योजना शुरू नहीं किया जा रहा है. वहीं नगर निगम की ओर से सरकार के तीन निश्चय के लिए सर्वे भी इस क्षेत्र में नहीं किया जा रहा है.
बीच में लटका है क्षेत्र, अधिकारी बात ही नहीं सुनते
इधर इन क्षेत्रों में पूर्व में चुने जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल बीते 27 मर्इ को समाप्त हो गया है.मैनपुरा पूर्वी के पूर्व मुखिया राकेश कुमार बताते हैं कि हमारे क्षेत्र में किसी तरह का कोर्इ विकास काम नहीं हो रहा है. सरकार ने इस क्षेत्र को त्रिशंकु बनाकर छोड़ दिया है. जब कोर्इ विकास की बात लेकर संबंधित अधिकारी से मिलते हैं तो क्षेत्र के स्पष्ट नहीं होने का हवाला देकर टाल दिया जाता है. वहीं दीघा पूर्वी के पंचायत समिति के सदस्य सह पटना सदर के प्रखंड के उपप्रमुख नीरज यादव बताते हैं कि सरकार को जल्द-से-जल्द इस क्षेत्र को किसी भी एक तरफ शामिल कर देना चाहिए.
कई योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
चूंकि अभी तक इन पांच पंचायतों को नगर निगम में शामिल नहीं किया गया है. इसलिए नगर निगम या शहरी क्षेत्र में चलनेवाली कोई योजना अब तक शुरू नहीं की गयी है. इन क्षेत्रों में राजीव गांधी शहरी गरीब आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, हाउस फाॅर आॅल के अलावा नगर निगम की सड़क, नाला निर्माण के साथ इन क्षेत्रों की सफार्इ के लिए नगर निगम की ओर से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की शुरुआत करने की प्रक्रिया नहीं अपनायी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ पंचायत में चलनेवाली इंदिरा आवास योजना, मनरेगा और सामाजिक सुरक्षा योजना की शुरुआत नये वित्तीय वर्ष से बंद है.

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