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शराब कंपनी में उत्पादन बंद

मोकामा : हाथीदह स्थित शराब कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट इकाई में शराब का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है. कंपनी प्रबंधन ने सोमवार से कंपनी में पूरी तरह से उत्पादन बंद होने की सूचना भी चिपका दी है. कामगारों ने बंद पड़े गेट पर तालाबंदी का नोटिस देख धरना पर बैठ गये. हालांकि, राज्य […]

मोकामा : हाथीदह स्थित शराब कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट इकाई में शराब का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है. कंपनी प्रबंधन ने सोमवार से कंपनी में पूरी तरह से उत्पादन बंद होने की सूचना भी चिपका दी है. कामगारों ने बंद पड़े गेट पर तालाबंदी का नोटिस देख धरना पर बैठ गये. हालांकि, राज्य सरकार ने अधिकृत शराब कंपनियों की ओर से शराब उत्पादन पर रोक नहीं लगायी है.

लेकिन, हाथीदह स्थित शराबबंदी में प्रबंधन ने उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है. कंपनी ने तालाबंदी के निर्णय के पीछे राज्य सरकार की ओर से शराबबंदी को ही कारण बताया है. यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार नमामि गंगे परियोजना के तहत कंपनी प्रबंधन पर विस्तृत शुद्धीकरण सयंत्र लगाने का दबाव बना रही थी. कंपनी बीस करोड़ की लागत से लगने वाली एक्सटेंडेड ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के पक्ष में नहीं थी. इससे पहले कंपनी की मोकामा यूनिट की ओर से प्रदूषित पानी ही गंगा में डाला जा रहा था.

175 स्थायी व 450 अनुबंध पर कर्मचारी हैं कार्यरत

कंपनी के कामगारों ने बताया कि तालाबंदी की तैयारी काफी महीनों से चल रही थी. कोस्ट कटिंग के नाम पर सौ कामगारों की छंटनी की भी तैयारी थी. हाथीदह स्थित शराब कंपनी के कर्मचारी रोजगार छीने जाने से आहत है.

विगत कई महीनों से शराब उत्पादन में कमी लायी गयी थी और अप्रैल महीने से उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया गया था. सूत्रों के अनुसार इकाई में 175 स्थायी और 450 अनुबंध पर कर्मचारी कार्यरत हैं.

स्थायी कर्मियों को औसतन 800 रुपये प्रतिदिन और अनुबंध कर्मियों को औसतन 400 रुपये के हिसाब से भुगतान होता है.

इनके अलावा 200 अन्य मजदूर विभिन्न सप्लायरों की ओर से कार्यरत हैं. कंपनी प्रबंधन द्वारा उत्पादन ठप करने से मजदूरों के परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. कंपनी के कामगार बाटा कंपनी की तर्ज पर बकाया सेवा अवधि के वेतन का तीस फीसदी बतौर मुआवजा चाहते हैं, जबकि कंपनी प्रबंधन हर साल के तेरह दिन की मजदूरी को जोड़ कर बतौर मुआवजा भुगतान करने का मन बना रही है.

कंपनी 50 से 80 हजार मुआवजे की तैयारी

कामगारों का आरोप है कि कंपनी के 80 फीसदी से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी प्रति माह सैलरी 25 हजार रुपये है और उनको मुआवजा के तौर पर 50 हजार से 80 हजार रुपये देने की ही तैयारी चल रही है. कामगार अपनी बची हुई कार्यावधि के वेतन का तीस फीसदी मुआवजा चाहते हैं, जैसा कि कई कंपनियां देते आयी हैं. कंपनी प्रबंधन की ओर से तालाबंदी करने के बाद प्रबंधन का कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.

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