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संकट में लाइफलाइन: सेतु की सेहत बिगाड़ रहा ओवरलोड
पटना सिटी: उत्तर बिहार को जोड़ने वाली लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु पर दरार आने का यह पहला मामला नहीं है. जानकारों की मानें तो 18 साल पहले 1998 में पहली दफा दरार होने का मामला प्रकाश में आया था. उस वक्त से लेकर अब तक सेतु की सेहत सुधारने को पुल विशेषज्ञों की टीम […]
पटना सिटी: उत्तर बिहार को जोड़ने वाली लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु पर दरार आने का यह पहला मामला नहीं है. जानकारों की मानें तो 18 साल पहले 1998 में पहली दफा दरार होने का मामला प्रकाश में आया था. उस वक्त से लेकर अब तक सेतु की सेहत सुधारने को पुल विशेषज्ञों की टीम लगी है, लेकिन सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ती ही चली जा रही है.
स्लैब की अधिकतर हिंज बियरिंग टूटी : 34 साल पुराने महात्मा गांधी सेतु में लगाये गये स्लैब की अधिकतर हिंज बियरिंग टूटी हुई है. सेतु से जुड़े लोगों की मानें तो सबसे पहले यह समस्या सेतु की पाया संख्या 46 में आयी थी. अभी सेतु के अप स्ट्रीम लेन में पाया संख्या 46 से 39 तक पटना की तरफ से आठ स्पैन पर झुकाव आया था. इनमें पाया संख्या 46, 45 व 44 पर वाहनों का परिचालन फिलहाल बंद है. इसके चलते पाया संख्या 38 से 46 के बीच एक लेन पर ही वाहनों का परिचालन होता है.
डायमंड कटिंग मशीन से काटी गयी पाया संख्या 44 : महात्मा गांधी सेतु की पाया संख्या 44 के स्पैन व झुके स्ट्रक्चर को तोड़ कर बनाने का काम मुंबई की कंपनी संभाल रही है. जुलाई 2011 से ही इस पाये पर भारी वाहनों का परिचालन रोक कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है. इसके लिए मुंबई से चार डायमंड कटिंग मशीन मंगायी गयी. कटिंग का काम अप स्ट्रिम लाइन में पटना से हाजीपुर जाने वाले मार्ग में हुआ. कटिंग के समय सबसे अहम बात यह थी कि पाया के कटिंग हिस्सा को ट्राली की मदद से उसे नीचे उतारा जाता था. चूंकि मलबा गंगा में न गिरे, कटिंग कार्य पूरा होने के बाद भी पाया लगाने का कार्य चल रहा है.
जापानी कंपनी ने भी किया निरीक्षण : वर्ष 1997 में राजमार्ग की सहमति के बाद सर्वे का कार्य स्टूप कंसल्टेंट को दिया गया. कंपनी ने सेतु के खस्ताहाल की रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी थी. जापानी कंपनी जायका ने भी सेतु की सेहत को देखा था और अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. पर कोई सार्थक पहल नहीं हुई. रूड़की की टीम सेतु की कायाकल्प करने के लिए 25 मई से पटना में रह कर सेतु की पाया व नींव की मजबूती का आकलन कर रही है.
क्यों बिगड़ी सेहत
रखरखाव
पुल के रखरखाब नहीं होने से भी इसकी सेहत कमजोर हुई है. दरअसल बियरिंग कोट व हिंज बियरिंग की मरम्मत, बीम बेयरिंग की ग्रिसिंग व समेत अन्य मैकेनिकल कार्य नहीं होने से भी सेतु की सेहत कमजोर हुई है.
ओवरलोड
सेतु पर चलने वाले अधिकतर ट्रक ओवर लोडेड होने की वजह से पुल की स्थिति और जर्जर हो रही है. बीते दो माह से भी अधिक समय से कायम जाम की समस्या को देखते हुए पुलिसकर्मियों द्वारा सेतु पर ट्रकों व हैवी माल वाहक वाहनों को कतार में खड़ा कर देते है. जिससे भी जर्जर हो चुके सेतु पर दबाव बढ़ता है.
अब क्या
सुपर स्ट्रक्चर में बदलाव की चल रही कवायद
स्टील के सुपर स्ट्रक्चर को बदलने के लिए आइआइटी रूड़की की टीम गांधी सेतु की स्थिति का जायजा ले रही है. सड़क परिवहन मंत्रालय के निर्देश पर बीते 12 मई से टीम के सदस्य सेतु की स्थिति का आकलन करने में लगे है. टीम सेतु में स्टील के सुपर स्ट्रक्चर का उपयोग हो सकता है कि नहीं इसी विषय में जांच के लिए आयी है. टीम के सदस्यों ने बताया कि दो माह के अंदर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी जायेगी. टीम सेतु के नींव प पिलर की मजबूती को जांचने में लगी है. दरअसल सुपर स्ट्रक्चर हावड़ा ब्रिज की तरह गांधी सेतु का कायाकल्प होना है. इसकी के लिए टीम कार्य कर रही है
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