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बिहार में शुरू हुआ इंसेफलाइटिस का कहर, 11 बच्चों की मौत, दर्जनों बीमार

मुजफ्फरपुर : बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद मुजफ्फरपुर जिले समेत कई जिलों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) से बच्चों की मौत का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है. इसी वर्ष अप्रैल और मई में अबतक एक दर्जन बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं. आंकड़ों की मानें तो इस […]

मुजफ्फरपुर : बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद मुजफ्फरपुर जिले समेत कई जिलों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) से बच्चों की मौत का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है. इसी वर्ष अप्रैल और मई में अबतक एक दर्जन बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं. आंकड़ों की मानें तो इस बीमारी से अबतक 50 से अधिक प्रभावित हैं, जिनका इलाज विभिन्न अस्पतालों में जारी है. यह बीमारी प्रत्येक साल जून महीने में अपना पांव पसारती है और सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है. राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रभावित जिलों के सिविल सर्जन को विशेष तौर पर सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है.

दर्जनों जिले हैं प्रभावित

बिहार के वैसे कई जिले हैं जो इस बीमारी से प्रभावित हैं. जिनमें प्रमुख तौर पर मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, खगड़िया, लखीसराय, मधेपुरा, शिवहर, पश्चिम चंपारण और नालंदा के अलावा भोजपुर जिला भी शामिल है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सबसे ज्यादा बच्चे मुजफ्फरपुर में इस बीमारी से पीड़ित हैं. दूसरे नंबर पर पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी हैं. जानकारी की माने तो 2 जून तक पीड़ितों की संख्या मात्र 28 थी जो अब बढ़कर पचास से ऊपर चली गयी है. चिकित्सक मानते हैं कि बारिश होने के बाद पीड़ितों की संख्या घटने लगती है.

मुजफ्फरपुर में बढ़ा प्रकोप

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इंसेफलाइटिस से पीड़ित 53 बच्चेजेई ( जापानी इंसेफलाइटिस) से पीड़ित हैं, वहीं दूसरी ओर शेष बच्चों में एईएस(एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) पाया गया है. बीमारी का सबसे ज्यादा प्रकोप मुजफ्फरपुर में देखा गया है. जिले में 19 बच्चों के पीड़ित होने की रिपोर्ट है. गौरतलब हो कि बच्चों को तेज बुखार, शरीर में ऐंठन जैसे लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज ना करें बल्कि नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे. चिकित्सकों के मुताबिक अधिकांश मरीज मुजफ्फरपुर, वैशाली और सारण जिले से आते हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी इस बीमारी से राज्य में 150 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी जबकि 2012 में इस अज्ञात बीमारी से 100 से ज्यादा बच्चों ने अपनी जान गंवा दी थी.

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