पटना: श्रीकृष्णापुरी थाना क्षेत्र के बोरिंग कैनाल रोड स्थित एक निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद शव लेने पहुंचे परिजनों ने हंगामा किया. उनका आरोप था कि फीस से अधिक पैसे लेने के बाद भी शव देने के लिए पैसे मांगा जा रहा है. जबकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दवा व इलाज का बकाया पैसा नहीं जमा कराने के कारण शव नहीं दिया जा रहा है.
पूर्णिया के धमधहा गांव निवासी अजय कुमार पाल ने अपने 85 वर्षीय पिता हीरा लाल पाल को 7 जनवरी की रात आइसीयू में भरती कराया था. भरती चार्ज के रूप में 10 हजार रुपये जमा कराये गये. दो दिनों तक इलाज के बाद भी हीरा लाल को होश नहीं आया, तो अजय ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की. अस्पताल प्रशासन ने ब्रेन हैमरेज होने की बात कही और तत्काल ऑपरेशन करवाने की सलाह दी. अजय ने लोगों से कर्ज मांग कर एक लाख रुपये अस्पताल में जमा करा दिये. ऑपरेशन के छह दिन बाद भी हीरा लाल को होश नहीं आया. जब अजय डॉक्टर से मिले, तो बताया गया कि हीरा लाल की मौत हो चुकी है.
भरती के समय अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन सहित पूरे इलाज का खर्च दो लाख रुपये बताया था. 15 जनवरी की रात तक 1 लाख 90 हजार रुपये जमा कर चुके थे. 18 हजार रुपये बकाया था. 16 जनवरी को मौत की जानकारी मिलने पर अजय शव लेने आया, तो अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 18 हजार रुपये का बिल थमा दिया. थानाध्यक्ष ईश्वर चंद विद्यासागर ने कहा कि मामले की जांच कर रहे हैं. स्थिति जानने के बाद कार्रवाई करेंगे.