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कहां गुम हो गयी पोशाक की राशि
आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच कर रही िवशेष शाखा पटना : सरकारी स्कूलों के बच्चों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को भी पोशाक देने की योजना की शुरुआत 2010-11 में हुई थी. शुरुआती के दो-तीन साल बच्चों को पोशाक के पैसे मिले, लेकिन पिछले तीन वर्षों में अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को पोशाक […]
आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच कर रही िवशेष शाखा
पटना : सरकारी स्कूलों के बच्चों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को भी पोशाक देने की योजना की शुरुआत 2010-11 में हुई थी. शुरुआती के दो-तीन साल बच्चों को पोशाक के पैसे मिले, लेकिन पिछले तीन वर्षों में अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को पोशाक के पैसे नहीं मिल पाये हैं.
विभागीय सूत्र बताते हैं कि बड़ी संख्या में रुपयों का वितरण कागज पर होने की आशंका है. इस मामले की पुलिस मुख्यालय की विशेष शाखा जांच कर रही है. विशेष शाखा आंगनबाड़ी केंद्रों में पोशाक वितरण की वास्तविक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है.
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान किसी जिले में पोशाक की राशि का वितरण केंद्रों पर नहीं हुआ है, जबकि वर्ष 2015-16 के दौरान गया, पूर्णिया, किशनगंज, मधेपुरा समेत कुछ अन्य जिलों में पोशाक के रुपये का किसी केंद्र पर वितरण ही नहीं हुआ था. पिछले वित्तीय वर्षों में कई जिलों में रुपये आवंटित ही नहीं हुए हैं, तो कई में रुपये पड़े हुए हैं. कुछ जिलों में रुपये बांटने की महज कागजी खानापूर्ति की गयी है.
जांच में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने बच्चों को पोशाक की राशि नहीं मिली है. लेकिन, गड़बड़ी की स्थिति सामने आने से यह स्पष्ट हो गया है कि इस वितरण में सब ठीक नहीं है. राज्य में अभी 91 हजार 677 आंगनबाड़ी केंद्र मौजूद हैं. प्रति केंद्र 40 बच्चों को रखने का प्रावधान है.
अगर यह मान लिया जाये कि 20 बच्चों के बीच रुपये का वितरण नहीं हुआ है, तो इस आधार पर सभी केंद्रों में राशि नहीं मिलनेवालों बच्चों की संख्या हुई 18 लाख 33 हजार 540. प्रति बच्चे 250 रुपये के हिसाब से यह राशि हुई 45 करोड़ 83 लाख 85 हजार रुपये. इस तरह इतने की गड़बड़ी साफतौर पर सामने आती है. जांच होने पर यह आंकड़ा बढ़ेगा ही.
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