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ऐसे तो स्मार्ट होने से रहा पटना
पड़ताल : निगम कर रहा पूरी तैयारी का दावा, पर अब भी हैं कई खामियां पटना : केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए शॉर्ट लिस्ट पटना सहित देश के 11 शहरों से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट तय 15 बिंदुओं के आधार पर ही बनानी है. हालांकि, पटना नगर निगम अब भी कई मानकों पर […]
पड़ताल : निगम कर रहा पूरी तैयारी का दावा, पर अब भी हैं कई खामियां
पटना : केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए शॉर्ट लिस्ट पटना सहित देश के 11 शहरों से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट तय 15 बिंदुओं के आधार पर ही बनानी है. हालांकि, पटना नगर निगम अब भी कई मानकों पर पीछे है. इसमें सुधार के बिना स्मार्ट सिटी के लिए चयनित होना मुश्किल है.
ठोस कचरा प्रबंधन में हो रही देरी
ठोस कचरा प्रबंधन योजना के तहत निगम को 26 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये. यह राशि बढ़ कर 37 करोड़ हो गयी है. इसके बावजूद योजना पूरी नहीं की जा सकी है. निगम प्रशासन ने ठोस कचरा प्रबंधन के तहत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर टेंडर निकाला है. एजेंसी चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
इ-म्यूनिसिपलिटी सेवा भी लचर
पूर्व में इ-गवर्नेंस और इ-म्यूनिसपलिटी सेवा ध्वस्त थी. पिछली बार इसमें निगम को शून्य अंक मिले थे. अब तक ऑनलाइन जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र और नक्शे की स्वीकृति नहीं की जा रही है.
जलापूर्ति व्यवस्था पर्याप्त नहीं
निगम क्षेत्र में 102 बोरिंग के जरिये घर-घर पीने का पानी पहुंचाया जाता है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. स्थिति यह है कि जलापूर्ति पाइप ध्वस्त है. हजारों लीटर पानी बरबाद होता है और लोगों के घरों में गंदा पानी पहुंचता है.
उपयोगिता प्रमाणपत्र तैयार करना
निगम के उपयोगिता प्रमाणपत्र में कई खामियां होती हैं. इसमें वित्तीय अनियमितता को लेकर घालमेल किया जाता है. अनियमितता पर कार्रवाई नहीं होती है.
पटना को स्मार्ट सिटी में शामिल कराने की तैयारी के लिए बुधवार को नगर आयुक्त ने चार अधिकारियों की टीम गठित की है. यह टीम स्मार्ट सिटी के तय मानकों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी. टीम में पटना सिटी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी. स्पर के अधिकारी, सिटी मैनेजर और कार्यपालक अभियंता शामिल हैं. इसके साथ ही निजी एजेंसी के सहयोग से बेहतर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी तैयार किया जायेगा.
गौरतलब है कि भारत सरकार के शहरी मंत्रालय ने फेज-दो की स्मार्ट सिटी को लेकर देश के 11 शहरों को शॉर्ट लिस्ट किया है. इस लिस्ट में पटना भी शामिल है. पटना नगर निगम को 15 मानकों पर जून के अंत में या फिर जुलाई के पहले सप्ताह तक रिपोर्ट भेज देना है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही स्मार्ट सिटी में शामिल शहरों की घोषणा की जायेगी.
90 अंक का लक्ष्य
स्मार्ट सिटी की पहली परीक्षा में पटना नगर निगम को सिर्फ 35 अंक मिले थे. इतना ही नहीं, निगम को स्वच्छता मिशन, न्यूज लेटर, वार्ड सभा की बैठक की प्रोसिडिंग, संस्थागत प्रणाली व क्षमता, तीन वर्षों की राजस्व वसूली में बढ़ोतरी, वेतन का भुगतान आदि बिंदु पर शून्य अंक मिले थे. निगम का दावा है कि इस बार कई कमियों को दूर कर लिया गया है. इस बार 90 अंक हासिल करने का लक्ष्य बनाया गया है.
ये हैं 15 मानक
शौचालय निर्माण, ऑनलाइन शिकायत निवारण, न्यूज लेटर, निर्वाचन प्रतिनिधियों के संकल्प, वार्ड सभा की प्रोसिडिंग, संस्थागत प्रणाली व क्षमता, तीन वर्षों की राजस्व वसूली की स्थिति, वेतन का भुगतान, लेखाओं की लेखा परीक्षा, राजस्व प्राप्ति में किसका कितना अंश, जलापूर्ति व्यवस्थता, एक वित्तीय वर्ष का उपयोगिता प्रमाणपत्र, नुरूम सुधार और वर्ष 2012 में नुरूम की स्वीकृत योजना.
स्मार्ट बनने के लिए इन 11 शहरों के बीच है होड़
जम्मू-कश्मीर से जम्मू व श्रीनगर, यूपी से मेरठ व रायबरेली, केरल से तिरूवनंतपुरम, बिहार से पटना, अरुणांचल प्रदेश से इटानगर, हिमाचल से शिमला, कर्नाटक से बेंगलुरु, आंध्र से अमरावती और छत्तीसगढ़ से नया रायपुरपटना : मई माह में हुई स्थायी समिति की बैठक में निर्णय लिया गया था कि नूतन राजधानी अंचल क्षेत्र में 20 जून से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन कार्य शुरू कर दिया जायेगा.
हालांकि, मौजूदा स्थिति में यह संभव नहीं दिख रहा है. टेंडर में शामिल सात एजेंसियों का आर्थिक मूल्यांकन कर लिया गया है लेकिन अभी तकनीकी मूल्यांकन का काम पूरा नहीं हुआ है. इसको लेकर मुख्य नगर अभियंता की अध्यक्षता में बुधवार की शाम एजेंसियों के प्रतिनिधि के साथ बैठक की गयी. अब जून अंत या फिर जुलाइ के पहले सप्ताह से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन शुरू होने की संभावना है.
पटना : नगर निगम स्थायी समिति की अगली बैठक सात जून को निर्धारित की गयी है. नगर आयुक्त से निगम के खाली भूखंड का पूरा ब्योरा मांगा गया है. निगम के किस -किस भूखंड पर केस चल रहा है, इसकी जानकारी भी मांगी गयी है.
मेयर ने बताया कि निगम प्रशासन की अनदेखी के कारण निगम के भूखंडों पर कब्जा किया जा रहा है. इसके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है. निगम के खाली भूखंडों को उपयोग में लाने के लिए निर्णय लिया जायेगा.
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