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खुद को बदला, अब दूसरों की बदल रहीं जिंदगी
प्रेरणा : मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत भिक्षावृत्ति में लगीं महिलाएं हो रहीं हुनरमंद अनुपम पटना : कल तक जो हाथ दूसरों के सामने भिक्षावृत्ति के लिए उठते थे, आज उन हाथों में हुनर है. ऐसा हुनर जो जिंदगी संवारने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर भी कर रहा है. यहां बात उन महिलाओं की […]
प्रेरणा : मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत भिक्षावृत्ति में लगीं महिलाएं हो रहीं हुनरमंद
अनुपम
पटना : कल तक जो हाथ दूसरों के सामने भिक्षावृत्ति के लिए उठते थे, आज उन हाथों में हुनर है. ऐसा हुनर जो जिंदगी संवारने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर भी कर रहा है. यहां बात उन महिलाओं की हो रही है, जो दो साल पहले तक एक-एक पैसे की मुहताज हुआ करती थीं. मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत शांति कुटीर में रही रही महिलाएं आज आत्मनिर्भर हैं.
ट्रेनिंग लेकर हुईं आत्मनिर्भर : शांति कुटीर में रह रहीं सभी महिलाएं किसी-न-किसी तरह के रोजगार से जुड़ चुकी है. ये सभी महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं हैं, पर अब वे अपने कार्यों और हुनर से लोगों को शिक्षित कर रही हैं.
शांति और जमीला दोनों बाेल और सुन नहीं सकती हैं. परिवार से बिछुड़ने के बाद से दोनों सड़क किनारे भीख मांग कर जीवन यापन करती थीं. इसके बाद ये दोनों महिलाएं दो साल पहले पाटलिपुत्र स्थित शांति कुटीर लायी गयीं. जहां, इन्हें जूट और मूर्ति कला की ट्रेनिंग दी गयी. ट्रेनिंग के तीन महीने बाद ये महिलाएं जूट के कई सुंदर-सुंदर खिलौने आदि बनाने लगीं. इसके बाद वे उन प्रोडक्ट्स की बिक्री भी करने लगी. यहां तक कि जूट और मूर्ति कला में माहिर ये महिलाएं अब दूसरों को ट्रेनिंग भी दे रही हैं. जमीला और शांति अकेली नहीं, ऐसी कुल 70 महिलाएं हैं. जो प्रशिक्षण के बाद अब जूट और टेराकोटा की मूर्तियां बना कर उन्हें बेच भी रही हैं.
मंत्री ने भी की सराहना : महिलाओं द्वारा निर्मित वस्तुओं की सराहना समाज कल्याण मंत्री ने भी की है. इसके बाद से इनके बने उत्पादों को बेचने के लिए सरकार की ओर से भी प्रयास किया जा रहा है. सरकारी विभागों में जूट की बनी फाइलों और बैगों को बेचने की बात की जा रही है. इसके अलावा महिलाओं को कई सरकारी विभागों के पास स्टॉल भी लगाये जा रहे हैं. इसके अलावा निजी जगहों पर भी स्टॉल लगा कर महिलाएं अपने उत्पादों को बेच रही हैं.
दे रही हैं अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग :
ये महिलाएं अब कौशल प्रशिक्षण केंद्रों पर जाकर अपने जैसी महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही हैं. इतना ही नहीं, शांति कुटीर में रह कर कई पदों की कमान भी संभाल रही है. साथ ही अपने बच्चों को भी शिक्षित कर रही हैं. चुनमुन देवी पति के मृत्यु के बाद दो बेटे अौर एक बेटी के साथ शांति कुटीर में रह रही हैं. अब ये अपनी बेटी को नोटेड्रेम एकेडमी तक में दाखिला करा चुकी हैं.
समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत सक्षम की ओर से संचालित मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत पटना जिले में भिक्षावृत्ति में लगी महिलाओं को पुनर्वासित किया जा रहा है. इसके महिलाओं के लिए स्वरोजगार से जोड़ने के लिए हैंडक्राफ्ट की ट्रेनिंग दी गयी हैं.
इनमें कुछ महिलाएं, जिनका कोई नहीं हैं. उन्हें स्वयंसेवी संस्था द्वारा संचालित शांति कुटीर महिला पुनर्वास केंद्र में रखा जा रहा है. वर्तमान में कुल 68 महिलाएं रह रही हैं. ये सभी महिलाएं पूर्व में महावीर मंदिर, चिरैयाटांड़ चितकोहरा पुल आदि इलाकों में भिक्षावृत्ति में संलिप्त थीं.
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