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दो वर्षों से डॉक्टरों की नहीं भेजी जा रही है उपस्थिति
पटना : राज्य के 11 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों मे कितने डाक्टर प्रतिदिन ड्यूटी से गायब होते हैं, इसकी जानकारी सरकार को नहीं है. मेडिकल काॅलेज अस्पताल प्रशासन पिछले दो सालों से ड्यूटी से गायब रहने वाले डाॅक्टरों की सूची स्वास्थ्य विभाग को भेजना बंद कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव द्वारा तीन साल […]
पटना : राज्य के 11 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों मे कितने डाक्टर प्रतिदिन ड्यूटी से गायब होते हैं, इसकी जानकारी सरकार को नहीं है. मेडिकल काॅलेज अस्पताल प्रशासन पिछले दो सालों से ड्यूटी से गायब रहने वाले डाॅक्टरों की सूची स्वास्थ्य विभाग को भेजना बंद कर दिया है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव द्वारा तीन साल पूर्व हर दिन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों की उपस्थिति प्रति दिन सुबह के 9.30 बजे तक स्वास्थ्य विभाग को भेजने का निर्देश दिया था. छह माह तक स्वास्थ्य विभाग को उपस्थिति मिलती रही. परिणाम यह हुआ कि चिकित्सकों को समय पर अस्पताल में ड्यूटी करनी होती थी. अब इसे बंद कर दिया गया है. विभाग के पास डाॅक्टरों के मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था ही नहीं रही. विभाग में पदस्थापित नये पदाधिकारियों को तो यह जानकारी भी नहीं कि ऐसी कोई व्यवस्था थी.
स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा और व्यासजी ने हर मेडिकल काॅलेज में कार्यरत चिकित्सकों की प्रतिदिन की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए हर दिन की उपस्थिति भेजने का निर्देश दिया था. मकसद था कि जो चिकित्सक ड़्यूटी से अनुपस्थित रहेंगे उनका वेतन काट लिया जायेगा. इस कार्य की जिम्मेवारी उस समय के तत्कालीन उपाधीक्षकों को सौंपी गयी थी कि वे प्रतिदिन सुबह नौ बजे आउटडोर सहित हर वार्ड में जाकर चिकित्सकों की उपस्थिति की जांच करें. जितने चिकित्सक उपस्थित हैं उनके साथ अनुपस्थित चिकित्सकों की सूची 9.30 बजे तक विभाग को भेज दी जाती थी.
अनुपस्थित चिकित्सकों द्वारा इस बात को लेकर एक गहरी साजिश शुरू की गयी. इसका परिणाम हुआ कि स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाने वाला उपस्थिति रिपोर्ट ही बंद करवा दिया गया. वर्तमान समय में चिकित्सकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में मेडिकल काॅलेज अस्पतालों में चिकित्सक कब आते हैं और कब चले जाते है इसे सुनिश्चित करने का साहस किसी में नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के प्रभावी नियंत्रण नहीं रहने का नतीजा है कि विभाग के पास किसी भी चिकित्सक के अनुपस्थित होने के बाद कार्रवाई करने के लिए भी कोई प्रमाण नहीं है.
जिन मेडिकल काॅलेजों को उपस्थिति भेजनी होती थी उसमें पीएमसीएच, एनएमसीएच,पटना, डीएमसीएच, लहेरियासराय, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर, राजकीय मेडिकल काॅलेज अस्पताल, बेतिया, जेएलएनएमसीएच,भागलपुर, वर्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी, अनुग्रह नारायण मेडिकल काॅलेज, गया, राजकीय डेंटल काॅलेज, पटना और राजकीय आयुर्वेदिक काॅलेज पटना शामिल थे.
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