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21 हजार टोलों में शुद्ध पेयजल पहुंचायेगा पीएचइडी
हाल ही में सात निश्चयों को लेकर हुई बिहार विकास मिशन की बैठक में पीएचइडी का काम तय होने के बाद उस पर अमल शुरू हो गया है. विभाग अब दूषित पानी से ग्रस्त इलाके के 21 हजार टोले में घर-घर पाइप से शुद्ध पानी पहुंचाने की दिशा में काम करेगा. ऐसे विभाग द्वारा पहले […]
हाल ही में सात निश्चयों को लेकर हुई बिहार विकास मिशन की बैठक में पीएचइडी का काम तय होने के बाद उस पर अमल शुरू हो गया है. विभाग अब दूषित पानी से ग्रस्त इलाके के 21 हजार टोले में घर-घर पाइप से शुद्ध पानी पहुंचाने की दिशा में काम करेगा. ऐसे विभाग द्वारा पहले से दूषित पानी से ग्रसित टोलों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है.
पटना : मुख्यमंत्री सात निश्चय में हर घर पानी की योजना अब लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पीएचइडी के हाथ से निकल गया है. पीएचइडी का काम अब सिर्फ राज्य के अार्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानीवाले 21 हजार टोलों में पीएचइडी शुद्ध पानी पहुंचाना होगा. पाइप से घर-घर पानी की सप्लाइ होगी. इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर पानी को शुद्ध कर घरों तक ले जाने की योजना है. इसके लिए पीएचइडी विभाग दूषित पानी प्रभावित इलाके को अब फोकस कर पानी पहुंचाने का डीपीआर तैयार करेगा. हाल ही में सात निश्चय को लेकर हुई बिहार विकास मिशन की बैठक में पीएचइडी विभाग का काम तय होने के बाद उस पर अमल शुरू हो गया है.
विभाग अब दूषित पानी प्रभावित इलाके 21 हजार टोले में घर-घर पाइप से शुद्ध पानी पहुंचाने की दिशा में काम करेगा. ऐसे विभाग द्वारा पहले से दूषित पानी से प्रभावित टोले का सर्वेक्षण कराया जा रहा है. विभाग द्वारा पहले साल में लगभग दो हजार टोले में शुद्ध पानी पहुंचाने पर काम करना शुरू किया है. विभाग द्वारा ऐसे इलाके का सर्वे कराया जा रहा है. इसमें पांच सौ टोले का सर्वें काम पूरा कर पाइप से पानी पहुंचाने के लिए काम की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. जानकारों के अनुसार सर्वे हो चुके पांच सौ टोले में सितंबर से काम शुरू होगा. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दूषित पानी से प्रभावित टोले में पाइप से घर-घर शुद्ध पानी पहुंचाने पर लगभग 7400 करोड़ खर्च होगा.
लगेगा ट्रीटमेंट प्लांट : दूषित पानी से प्रभावित टोले में ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर पानी को शुद्ध कर घरों में पाइप से पानी पहुंचाया जायेगा. पीने के पानी का मानक 6़ 5 से 8़ 5 पीएच(पावर ऑफ हाइड्रोजन) है. दूषित पानी पीने से चेहरे पर दाग, हथेली का चमड़ा उड़ना, दांत काला होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी आदि की शिकायत होती है.
ग्रामीण क्षेत्र में 21 हजार टोलों में दूषित पानी
ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 21 हजार टोलों में दूषित पानी की समस्या है. जहां आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन युक्त पानी पीने के लिए लोग मजबूर है. ऐसे टोले में घर-घर शुद्ध पानी पहुंचाने की व्यवस्था ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर होगा.राज्य में 33 जिले के लगभग 250 ब्लॉकों में दूषित पानी की समस्या है. जहां पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की अधिकांश मात्रा पायी जाती है.
पांच जिले में बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर व कटिहार के कुछ ब्लॉक में अलग-अलग टोले में पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की मात्रा मिलती है.
13 जिले में आर्सेनिक, 11 जिले में फ्लोराइड व नौ जिले में आयरन की मात्रा अधिक पायी जाती है.
आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या वाले जिले
आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या वाले जिलों में सारण, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार शामिल हैं. कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, बांका, मुंगेर, भागलपुर व नवादा आदि जिलों में फ्लोराइड युक्त पानी मिलता है. आयरन युक्त पानी की समस्या सुपौल, अररिया, किशनगंज, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, बेगूसराय व खगड़िया में है. सबसे अधिक आयरन प्रभावित लगभग 16 हजार टोले हैं. अार्सेनिक प्रभावित 2000 व फ्लोराइड प्रभावित 4000 टोले हैं.
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