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4% मंटू, तो 6% खाते थे अफसर
पूछताछ में खुलासा. टेंडर मैनेज में 10 प्रतिशत कमीशन की होती थी वसूली पटना : अपराधी मंटू शर्मा ने पुलिस के सामने कबूल किया कि वह कुल 10 प्रतिशत कमीशन वसूलता था. इसमें से चार प्रतिशत वह लेता था, बाकी कमीशन विभाग के अधिकारी लेते थे. मंटू का कहना है कि विभाग के अधिकारी भी […]
पूछताछ में खुलासा. टेंडर मैनेज में 10 प्रतिशत कमीशन की होती थी वसूली
पटना : अपराधी मंटू शर्मा ने पुलिस के सामने कबूल किया कि वह कुल 10 प्रतिशत कमीशन वसूलता था. इसमें से चार प्रतिशत वह लेता था, बाकी कमीशन विभाग के अधिकारी लेते थे.
मंटू का कहना है कि विभाग के अधिकारी भी चाहते थे कि टेंडर मैनेज हो, जिससे उन्हें कमीशन मिलता रहे. इस संबंध में एसएसपी ने बताया कि मंटू के टेंडर मैनेज कर लेने से कोलकाता व अन्य जगह के कंस्ट्रक्शन कंपनियां खुद को सेफ समझती थीं.
दरअसल जेल से जमानत पर छूटने के बाद शंभु-मंटू गैंग ने एक बार फिर अपना पांव पसारना शुरू कर दिया था. यूपी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली तक अपने गुर्गों के माध्यम से टेंडर मैनेज करा कर उनसे रंगदारी वसूल रहा था. अभी हाल में उसने दिल्ली के एक ठेकेदार से पांच करोड़ रुपये की रंगदारी भी मांगी थी. वर्ष 2016 से उसने दोबारा बिहार के टेंडरों में टांग अड़ाना शुरू किया. उसने सबसे पहले अपने चहेते विभाग सीपीडब्ल्यूडी को निशाना बनाया और पुराने नेटवर्क को सक्रिय करके रंगदारी वसूलने लगा. जब उसने मार्च में 11 करोड़ के तीन टेंडरों को मैनेज कराया, तो कंस्ट्रक्शन का काम करने वाली कंपनियों के कान खड़े हो गये.
जानकारी के अनुसार शंभु-मंटू गैंग ने मार्च माह में तीन टेंडर मैनेज किया. इसमें एक टेंडर रक्सौल का है, जो 1.25 करोड़ का है. यह टेंडर उसी को मिला, जिसे इस गैंग ने इशारा किया. दूसरा टेंडर गया में एमएसएम कंपनी को दिया गया, जो सात करोड़ का था. वहीं तीसरा टेंडर दो करोड़, 66 लाख का था, जो बगहा में काम होना था. टेंडर मैनेज की शिकायत मिलने पर पटना पुलिस ने जाल बिछाया और लखनऊ में मंटू गिरफ्तार हुआ.
ऐसे होता था मैनेज : सीपीडब्ल्यूडी में टेंडर मैनेज के लिए शंभु-मंटू गैंग सीरियल लिस्ट बनाता था.सीरियल से ठेकेदारों को टेंडर दिलाया जाता था और सबसे कमीशन लिया जाता था. गैंग के इशारे पर क्लास वन के ठेकेदार और एक डविंग ठेकेदार टेंडर डालते थे. इसमें डविंग बाद में बैक हो जाता था अौर क्लास वन ठेकेदार को टेंडर मिल जाता था.
नौ अप्रैल को पकड़े गये थे गैंग के तीन अपराधी : सीपीडब्लूडी कार्यालय पटना से इसी साल नौ अप्रैल को तीन अपराधियों को पकड़ा था. इसमें रंजीत कुमार विभाग में ही जेनरेटर ऑपरेटर था. इसके अलावा अशोक कुमार व अनिल यादव को गिरफ्तार किया गया. यह गिरफ्तारी ठेकेदार रजत बंसल व बृजेश मिश्रा की शिकायत पर पुलिस ने की थी.
मंटू ने कहा, अब नहीं करेंगे अपराध : मंटू शर्मा नेएसएसपी के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह अब अपराध नहीं करेगा.
ऐसे पकड़ा गया मंटू शर्मा
4 अप्रैल, 2013 में देहरादून इंदिरानगर कॉलोनी से शंभु के पकड़े जाने के बाद एसटीएफ ने मंटू को भी लखनऊ से गिरफ्तार किया था. शंभु ने देहरादून में ही शादी की और 2004 से ही वहीं रहने लगा. उस दौरान दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था.
लेकिन, जेल जाने के बाद दोनों को जमानत मिल गयी. इस पर मंटू ने दोबारा लखनऊ में अपना अड्डा बनाया. उसने अपना मकान भी लखनऊ में ही बना लिया. इधर जब पटना में उसकी गतिविधियां बढ़ीं, तो पटना पुलिस ने लखनऊ पुलिस से संपर्क किया. इनपुट मिलने पर पटना पुलिस के रंगदारी सेल की टीम लखनऊ गयी और उसे गिरफ्तार किया गया. सफलता के लिए पटना एससएसपी मनु महाराज ने रंगदारी सेल को पुरस्कृत किया है.
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