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रूठ गयी गंगा मइया, दर्शन को तरसीं आंखें
बाढ़: अनुमंडल मुख्यालय के किनारे गंगा नदी की जल धारा सूख गयी है, जिससे जगह-जगह गंदगी व घास जमा हो गये हैं. गंगा नदी के प्रवाह को दुरुस्त करने के लिए कई बार स्थानीय लोगों ने मुहिम छेड़ी, लेकिन उसका कोई भी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया. जानकारी के अनुसार गंगा नदी काशी के बाद […]
बाढ़: अनुमंडल मुख्यालय के किनारे गंगा नदी की जल धारा सूख गयी है, जिससे जगह-जगह गंदगी व घास जमा हो गये हैं. गंगा नदी के प्रवाह को दुरुस्त करने के लिए कई बार स्थानीय लोगों ने मुहिम छेड़ी, लेकिन उसका कोई भी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया. जानकारी के अनुसार गंगा नदी काशी के बाद बाढ़ में उत्तरायणी है. इस कारण इसका काफी धार्मिक महत्व है. इस गंगा तट पर सदियों से लाखों लोग पावन जलधारा का स्पर्श करने पहुंचते हैं.
इस तट पर मनौती पूरी होती है और बाजों के साथ मंगलगान के बीच गंगा मां का आशीर्वाद लिया जाता है, पर वर्तमान में पिछले माह से गंगा नदी में पानी नहीं है. बाढ़ शहर का लगभग दो किलोमीटर गंगा नदी का क्षेत्र लगातार उपेक्षा के कारण उथलेपन का शिकार होता रहा है. इसके मुहाने पर आसपास के गाद व अवांछित उत्पाद जमते चले गये. लिहाजा जलगोविदं गांव से पोस्ट आॅफिस घाट तक के क्षेत्र में गंगा नदी के प्रवाह में लगातार विचलन होता गया. अब गंगा नदी के दर्शन को लेकर रेतीली तीन किलोमीटर जमीन तय कर समस्तीपुर क्षेत्र में लोगों को जाना पड़ रहा है.
बच्चे खेलते है सूखी नदी में : गंगा नदी के फैले दोनों किनारों के बीच सूखी हुई बड़े-बड़े दरारों पर बच्चे सरपट दौड़ते हैं और खेलने का मजा ले रहे हैं. वहीं , दियारा में खेती करनेवाले किसान बिना नाव के अपने खेतों में पैदल ही पहुंच रहे हैं. कुछ लोग नदी की गोद में बैठक कर शहर को निहारते नजर आते हैं. कई श्रद्धालु महिलाओं ने बताया कि वर्षों से गंगा नदी के तट पर हमलोग आरती दिखाने आते थे, लेकिन अब सूखी गंगा नदी को दर्द भरी नजरों से निहारती रहती है. गंगा नदी के किनारे 1861 में बांध रोड अंगरेजों ने स्वच्छ और शीतल वायु के सेवन के लिए बनाया था, पर अब बोझिल मन से लोग इस रोड में सैर कर रहे हैं. उन्हें सब कुछ सूना-सूना -सा लग रहा है.
बड़ी योजना की जरूरत
गंगा नदी को बचाने के लिए बड़ी योजना बनाने की जरूरत है. इसके लिए उनके स्तर से हर संभव पहल की जायेगी. यह बाढ़ शहर की पहचान है.
मनु आरिफ रहमान,बीडीओ, बाढ़
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