सच्चाई : साधारण बूथों पर सुविधाओं का टोटा, कहीं पंखे व पानी भी नहीं
पटना : दिन के पौने बारह बज रहे हैं. फुलवारीशरीफ प्रखंड के प्राइमरी स्कूल बोचाचक का बूथ संख्या 94 सजा धजा हुआ है. स्वागत के लिए तोरणद्वार हैं, टेंट की छाया में ग्रीन और रेड काॅरपेट लगे हैं, फिल्टर्ड पानी के साथ बच्चों के खेलने की भी व्यवस्था है. गुलाबी वस्त्रों में सजी-धजी महिला मतदान कर्मचारी भी मोरचा संभाले थीं. सबकुछ चकाचक और शानदार.
यहीं राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य आयुक्त एके चौहान और जिला निर्वाचन पदाधिकारी डीएम एसके अग्रवाल पहुंचते हैं. वाह कितनी बढ़िया व्यवस्था है, यह महिला सशक्तीकरण का सूचक है. निरीक्षण के बाद कमेंट भी आता है. यहां से लगभग एक किमी की दूरी पर चकपुर के दो और बूथ 81 और 82 पर तो बैकग्राउंड में शहनाई की मद्धम धुन भी बज रही होती है. ये तीनों बूथ आदर्श की श्रेणी में थे, लेकिन इस तसवीर के इतर इसी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गाजचक का बूथ संख्या 38 सुविधाओं के नाम पर बेजार नजर आता है.
ना तो यहां लाइन के अनुसार शेड ही था, पानी-बिजली के साथ पंखे भी नहीं थे. मतदान कर्मचारी हैरान और परेशान नजर आते हैं. मुरगियाचक प्राइमरी स्कूल का बूथ संख्या एक और मोहनचक चलंत बूथ नंबर पांच भी कुछ इसी कदर बुनियादी सुविधाओं से परेशान नजर आते हैं यहां मतदाताओं को कोई पूछ भी नहीं रहा था.
नौबतपुर के आदर्श बूथ 182 कन्या मध्य विद्यालय, फतेहपुर पर दिन के तकरीबन दो बजे भी आदर्श स्थिति थी. महिलाओं ने कमान संभाल रखी थी. कुरसियों के कारण वोटरों को काफी सहूलियत हो रही थी और जेनेरेटर की घरघराहट बता रही थी कि यहां सुविधाएं उम्दा थीं.
कुल 773 वोट में से 43 प्रतिशत वोट कास्ट हो गये थे और यहां की इंचार्ज ने भीड़ बढ़ने पर तीन काउंटर भी लगा दिये थे ताकि जल्दी वोट हो. यहां से दो किमी पहले प्राइमरी स्कूल, बड़ी टंगरैला मुसहरी के बूथ 167 और 168 पर पीठासीन पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार परेशान थे क्योंकि वे रात में भी बगैर पंखे के यहां मुश्किल से सो पाये थे. यहां भी शेड नदारद था. बड़ी टंगरैला के उत्क्रमित मिडिल स्कूल के बूथ पर नीचे मतदान और छत पर जलपान की व्यवस्था थी.के साथ मजिस्ट्रेट भी सुस्त थे इसी कारण मतदाताओं की भीड़ स्कूल परिसर के अंदर घुसी हुई थी. उन्हें रोेकनेवाला कोई नहीं था.