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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठग रही सरकार: मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जब सारे विश्वविद्यालयों के शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू होते हैं, तो अक्तूबर से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू करने का क्या औचित्य है? उन्होंने कहा है कि बैंकों की शिक्षा ऋण योजना को ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ का नाम देकर राज्य सरकार छात्रों को […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जब सारे विश्वविद्यालयों के शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू होते हैं, तो अक्तूबर से स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू करने का क्या औचित्य है?
उन्होंने कहा है कि बैंकों की शिक्षा ऋण योजना को ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ का नाम देकर राज्य सरकार छात्रों को ठगने जा रही हैं. बैंक तो वर्षों से शिक्षा ऋण योजना चला रही है, जिसमें चार लाख तक का ऋण बिना किसी गारंटर के 11 से 13 प्रतिशत की ब्याज दर पर छात्रों को दिया जाता है. उन्होंने सीएम से पूछा है कि सात निश्चय के तहत शुरू की जा रही स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में नया क्या है?
क्या बैंकों की योजना का नाम बदल कर सरकार अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश नहीं कर रही है? बिहार में बैंकों की ओर से औसतन 30–35 हजार छात्रों को ही प्रतिवर्ष शिक्षा ऋण दिया जाता है. अभी बिहार के 1,03,574 छात्रों पर बैंकों का 3,014 करोड़ का कर्ज बकाया है. क्या ऐसे में बैंकों से बिहार के पांच लाख छात्रों को प्रतिवर्ष कर्ज देने की अपेक्षा की जा सकती है? अगर सरकार छात्रों को ऋण देना चाहती है, तो अपने बजट से एक हजार करोड़ का फंड बना कर यह योजना क्यों नहीं शुरू कर रही है?
सरकार की ओर से अजा, अजजा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक और नि:शक्तों के लिए शुरू की गयी शिक्षा ऋण योजना, जिसके तहत पांच लाख तक का कर्ज चार प्रतिशत साधारण ब्याज पर दिया जाता था, लगभग बंद है. छात्रों को धोखा देने की जगह सरकार इसी तर्ज पर अपने बजट से सस्ती ब्याज दर शिक्षा ऋण योजना शुरू करें.

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