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शराबबंदी को नयी जिम्मेवारी के तौर पर लें पुलिस अफसर

कार्यशाला . मुख्यमंत्री ने पुलिस से कहा- कानून की ताकत दिखाएं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग की कार्यशाला के उद्घाटन संबोधन में पुलिस महकमे से कहा कि शराबबंदी को एक नयी जिम्मेवारी के तौर पर लें. एक नया चैप्टर जुड़ गया है. एक भी मामला विचलित नहीं हो. पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने […]

कार्यशाला . मुख्यमंत्री ने पुलिस से कहा- कानून की ताकत दिखाएं

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग की कार्यशाला के उद्घाटन संबोधन में पुलिस महकमे से कहा कि शराबबंदी को एक नयी जिम्मेवारी के तौर पर लें. एक नया चैप्टर जुड़ गया है. एक भी मामला विचलित नहीं हो.

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग की कार्यशाला के उद्घाटन संबोधन में पुलिस महकमे से कहा कि शराबबंदी को एक नयी जिम्मेवारी के तौर पर लें. एक नया चैप्टर जुड़ गया है.

एक मामला भी विचलित नहीं हो. पीने वालों के खिलाफ सख्त लहजे में कहा कि ‘पीअल त, जइबा 10 साल ला’. एक बार पीने का मजा 10 साल अंदर रहने के बाद ही पता चलेगा. क्या सोच के होटल में बैठ कर पी रहे थे. इस तरह की कोई करतूत बरदाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने पब्लिक प्रोसिक्यूटर (पीपी) से कहा कि इस तरह के मामलों में ठीक से बहस करें, ताकि कोई दोषी छूट नहीं सके. पुलिस वाले ठीक से जार्चशीट दायर करें.

उन्होंने कहा कि शराबबंदी से पीने वालों को जो तकलीफ लगे, लेकिन आम लोग बेहद खुश हैं. अब लोग अपना पैसा सही जगह खर्च कर सकेंगे. जो लोग यह कहते हैं कि यह अभियान सफल नहीं होगा, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नेपाल बॉर्डर पर तो एसएसबी है.

सीमा पर पूरी तरह से सख्ती बरती जाये. पड़ोसी राज्यों से बात चल रही है कि वे कुछ दूरी पर शराब की दुकानें खोलें. इस मौके पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि जिला स्तर पर एसपी और पीपी के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरूरत है. पीपी और जीपी कार्यालय को भी कंप्यूटरकृत किया जाये. कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है.

20 लाख मुकदमे लंबित, सालाना चार लाख नये मुकदमे होते हैं दायर

कार्यशाला को संबोधित करते हुए पटना हाइ कोर्ट के महानिबंधक बिनोद कुमार सिंह ने कहा कि सभी स्तर के कोर्टों में 20 लाख मुकदमे लंबित पड़े हुए हैं. हर साल करीब 4 लाख नये मुकदमे दायर होते हैं.

इसमें 6 लाख मुकदमे ऐसे हैं, जो 10 साल से ज्यादा पुराने हैं. पिछले वर्ष 96 हजार मुकदमे का निपटारा किया गया था. उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निबटने के लिए स्पीडी ट्रायल बढ़ाने की जरूरत है. किसी मुकदमे में हर छोटी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है, ताकि मुकदमा का जल्द निपटारा हो सके और आरोपी को सजा मिल सके. किसी कांड में डॉक्टर और आइओ का बयान भी दर्ज करें. इसके लिए जल्द ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा शुरू होने जा रही है. हर जिले में 4-5 कोर्ट इन सुविधाओं से लैस बनाये जायेंगे.

15 दिनों में जमा करें डायरी

डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि वैज्ञानिक तौर-तरीके से ही किसी मामले की जांच होने से इसके परिणाम बेहतर मिलेंगे. एफआइआर होने के 15 दिनों के अंदर केस डायरी जमा कर दें.

कम, आवश्यक और जरूरी गवाह को ही किसी मुकदमा में प्रस्तुत करें. केस डायरी में सभी आइओ अपने मोबाइल नंबर भी दें. कोर्ट में पुलिस पेपर मुहैया कराने पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि जिलों से किसी कांड की समीक्षा से जुड़ी आने वाली रिपोर्ट अच्छी नहीं रहती है. इस पर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है.

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