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मुकेश पाठक समेत कई पर एक लाख का इनाम

इंजीनियर हत्याकांड में आरोपित है मुकेश पाठक पटना : गया, मोतिहारी, शिवहर और सीतामढ़ी जिलों में कई घटनाओं को अंजाम देकर फरार छह कुख्यात उग्रवादियों या अपराधियों पर राज्य सरकार ने एक-एक लाख के इनाम की घोषणा की है. इसमें दरभंगा हाइवे पर इंजीनियर की हत्या करने के मुख्य आरोपी मुकेश पाठक और निकेश दुबे […]

इंजीनियर हत्याकांड में आरोपित है मुकेश पाठक
पटना : गया, मोतिहारी, शिवहर और सीतामढ़ी जिलों में कई घटनाओं को अंजाम देकर फरार छह कुख्यात उग्रवादियों या अपराधियों पर राज्य सरकार ने एक-एक लाख के इनाम की घोषणा की है. इसमें दरभंगा हाइवे पर इंजीनियर की हत्या करने के मुख्य आरोपी मुकेश पाठक और निकेश दुबे भी शामिल हैं. इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दोनों अपराधी नेपाल भागे हुए हैं.
गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है. जिन कुख्यातों पर इनाम की घोषणा की गयी है. इसमें गया के भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी का सदस्य कालिका यादव उर्फ पुन यादव को 21 नक्सली कांडों में फरार रहने की वजह से इनाम की घोषणा की गयी है.
इसी तरह सब जोनल सदस्य इंदलजी उर्फ उमा भोक्ता को 30 नक्सली कांडों के अलावा मोतिहारी जिला के कुख्यात अपराधी मुकेश पाठक उर्फ चुटुल पाठक को 17 अपराधी कांडों तथा निकेश दुबे को छह अपराधी कांडों, शिवहर जिला के कुख्यात अपराधी अभिषेक झा को दो अपराधी कांडों और सीतामढ़ी
जिला के कुख्यात अपराधी विकास झा उर्फ कलियां को आठ अपराध के मामलों में फरार रहने के कारण एक लाख रुपये पुरस्कार के राशि की घोषणा की गयी है.
जब गांधीजी की बन गयी मुक्तिदाता की छवि
गांधी के चंपारण आने का मुख्य कारण तीनकठिया ही था इसलिए गांधी इस प्रथा को लेकर अधिक सतर्क थे. समिति ने स्पष्ट लिखा कि चंपारण में अब किसी भी किसान को उसकी इच्छा के विपरीत नील की खेती करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. यदि किसान अपनी इच्छा से भी नील की खेती करेंगे तो उन्हें उचित मुआवजा देना होगा.
उन्होंने यह भी लिखवा दिया कि किसानों के साथ अधिक वर्षों का सट्टा नहीं किया जा सकता है और किस खेत में नील की खेती होगी, यह किसान ही तय करेंगे. अब नील का दाम खेत के आकार पर नहीं बल्कि उत्पाद के तौल पर आधारित होगा. उस समय बेतिया राज कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत थी. समिति ने खेती के पट्टे के संबंध में पूर्व की व्यवस्था को ही कायम रखने की अनुशंसा की, लेकिन उसमें यह जोड़ दिया कि किसानों से अबवाव वसूलना गैरकानूनी होगा.
शरहवेशी की नयी दर जल्लाह और सिरनी फैक्टरी क्षेत्र में भी लागू करने पर सहमति बनी.तवान के बारे में निर्णय हुआ कि भुगतान की गयी राशि की एक चौथाई रैयतों को वापस मिल जायेगी. जिन गांवों की बंदोबस्ती निलहों को हाल में हुई है, वहां पूरी राशि किसानों को वापस मिल जायेगी. बेतिया राज को अगले सात वर्षों तक मालगुजारी के रूप में एक पैसा भी नहीं मिलेगा.
यदि पिता के नाम पर जमीन है तो वह पुत्रों के नाम पर स्वत: परिवर्तित हो जायेगी और इसके लिए पैसा मांगने को गैरकानूनी करार दिया गया. ‘चरसा महाल’ के संबंध में समिति ने अनुशंसा की कि मृत पशु की चमड़ी निकालने के लिए अब किसी तरह का पैसा नहीं देना होगा, यह पूरी तरह कर मुक्त रहेगा.
केरोसिन की बिक्री के लिए लाइसेंस निर्गत करने को भी गैरकानूनी करार दे दिया गया.लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा जांच समिति की अनुशंसा को स्वीकार कर लिया गया और इसे बिहार एवं ओड़िशा के गजट में प्रकाशित भी कर दिया गया. चंपारण की रैयतों को तो मानो खुशी के पंख लग गये. वे इतने खुश थे कि गांधी को ईश्वर एवं मुक्तिदाता मानने लगे. वर्षों-वर्ष से निलहों से पीड़ित चंपारण के किसानों का एक वर्ग अब किसी भी हालत में निलहों को मालगुजारी देने के लिए तैयार नहीं था.
हालांकि, निलहे पहले से ही
भयभीत थे कि गांधी के कारण ऐसी हालत आ सकती है लेकिन अब तो उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया था. गांधी की नेतृत्व क्षमता को निलहों ने भी स्वीकार कर लिया. वे भी गांधी की शरण में ही गये और अनुरोध किया कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर किसानों को समझायें ताकि उन्हें मालगुजारी मिल सके.

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