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पुलिस कोड नहीं लेने पर टेंपो होगा जब्त

पुलिसिया पहल. रात में टेंपों में बढ़ते अपराध को एसएसपी ने लिया गंभीरता से, दी चेतावनी पटना : टेंपोचालकों द्वारा फिर से अपराध के दो-तीन मामले सामने आने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने इसे गंभीरता से लिया है. उन्होंने मृत पड़े टेंपो पर पुलिस कोड लेने की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का […]

पुलिसिया पहल. रात में टेंपों में बढ़ते अपराध को एसएसपी ने लिया गंभीरता से, दी चेतावनी
पटना : टेंपोचालकों द्वारा फिर से अपराध के दो-तीन मामले सामने आने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने इसे गंभीरता से लिया है. उन्होंने मृत पड़े टेंपो पर पुलिस कोड लेने की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है. इससे संबंधित पत्र को तमाम डीएसपी व थानाध्यक्षों को भेज दिया गया है और पुलिस कोड लेने वाले तमाम चालकों की जानकारी को अपडेट करने का निर्देश दिया है.
पत्र में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि संबंधित डीएसपी व थानाध्यक्ष अपने-अपने इलाकों में चलने वाले टेंपो पर पुलिस कोड लगवाना सुनिश्चित करें. टेंपो चालकों को 10 दिनों के अंदर पुलिस कोड लेने का अल्टीमेटम दिया गया है. इसके बाद अगर जांच के क्रम में टेंपो पर पुलिस कोड नहीं पाया गया, तो उनकी गाड़ी जब्त कर ली जायेगी.
एसएसपी ने ट्रैफिक एसपी प्राणतोष कुमार दास को भी पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है कि टेंपो के कागजात की जांच के समय उस पर पुलिस कोड है या नहीं, इस बिंदु पर भी जांच कराएं. पुलिस कोड नहीं रहने पर जुर्माने के साथ-साथ वाहन को भी जब्त किया जाये.
इस बाबत एसएसपी ने बताया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह निर्देश जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि टेंपो चालक अपने संबंधित स्टैंड के थाने से जाकर पुलिस कोड ले सकते हैं. अगर उन्हें थाने में पुलिस कोड लेने में कोई परेशानी हो, तो वे एसएसपी से शिकायत कर सकते हैं.
30 हजार में से 17 हजार टेंपो के पास ही कोड : शहर में लगभग 30 हजार टेंपो हैं, लेकिन लगभग 17500 टेंपो के पास ही पुलिस कोड है. 21 जून, 2014 तक इन टेपों ने शहर के विभिन्न थानों में पुलिस कोड लिया था.
इसके बाद से एक टेंपो ने भी पुलिस कोड नहीं लिया है. पुलिस ने अपने अभियान में पुलिस कोड को भी शामिल किया था, जिसका नतीजा था कि इतने टेंपोचालकों ने थाने से कोड लिया. पुलिस का अभियान खत्म, तो टेंपो की वही पुरानी स्थिति. खास बात यह है कि पुलिस भी इसे भूल गयी. पुलिस कोड चेक करनेवाली पुलिस अब कागजात तक ही सिमट गयी है.
क्या है पुलिस कोड
हर टेंपोचालक को पुलिस कोड लेना आवश्यक है. इसके तहत चालक को थाने में जाकर अपनी गाड़ी के कागजात के साथ ही अपने आवासीय पते की छायाप्रति व मोबाइल नंबर अंकित कराना है. इसके बाद थाने की ओर से उसे कोड दिया जाता है, जिसे अपने टेंपो के आगे व पीछे बोल्ड अक्षरों में उसे अंकित कराना है. इसी नंबर पर टेंपो की पहचान होती है.
सृष्टि हत्याकांड में मिली थी मदद
सूत्रों के अनुसार पुलिस कोड के कारण ही कई आपराधिक मामले सुलझाये गये, तो कई मामलों के अनुसंधान में काफी गति आयी. पुलिस को सबसे बड़ी सफलता सृष्टि हत्याकांड में मिली थी.
गोली चलने के बाद चालक घटनास्थल से फरार हो गया था, लेकिन जिस टेंपो में हत्या हुई थी, उस पर पुलिस कोड अंकित था. पुलिस ने उस कोड के माध्यम से तुरंत ही उसका मोबाइल नंबर प्राप्त कर लिया और फोन कर चालक को खोज निकाला. उसने घटना के संबंध में आंखों देखी पूरी कहानी पुलिस को बता दी. इसके कारण पुलिस को त्वरित अनुसंधान में काफी मदद मिली. इसी वजह से एसएसपी ने एक बार फिर पुलिस कोड के प्रति गंभीर हो गयी है. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि इस अभियान को शुरू करने का निर्देश जारी कर दिया गया है. मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं.
निर्भया कांड से शुरू हुई थी कोडिंग
वर्ष 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के समय भी पटना में एसएसपी के पद पर मनु महाराज ही थे. उन्होंने ही टेंपो में पुलिस कोडिंग की शुरुआत की थी. इसके साथ ही टेंपो कोड लेनेवालों चालकों की सूची को एसएसपी व सिटी एसपी कार्यालय को भी अवगत कराने की जिम्मेवारी थानाध्यक्षों को दी गयी थी. यह अभियान कुछ दिन चला और फिर बंद हो गया. अब फिर से इसे शुरू किया जा रहा है.

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