पटना: यह पहला मौका है जब नीतीश कुमार सत्ता के शीर्ष पद के साथ-साथ संगठन की जिम्मेवारी भी संभालेंगे. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद अब नीतीश के कंधे पर सरकार के साथ-साथ दल की भी जिम्मेवारी आ पड़ी है. इतना ही नहीं भाजपा के खिलाफ देश भर में जदयू की अगुवाई में बनने वाले नये गंठजोड़ को जमीन पर मजबूती से उतारने की जवाबदेही भी नीतीश कुमार संभालेंगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के पहले उनका संगठन का कोई खास अनुभव नहीं रहा है. हालांकि, समता पार्टी के दिनों में नीतीश कुमार कुछ दिनों के लिए बिहार के अध्यक्ष रहे थे. लेकिन, यह साल भर से कम का ही मामला था. इसी बीच वह केंद्र में रेल मंत्री बन गये और समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुरसी रघुनाथ झा को सौंपी गयी.
समता पार्टी हो या जदयू, नेता नीतीश कुमार ही रहे. 1985 में जब वह पहली बार विधायक बने, उस समय लोकदल के टिकट पर वह चुनाव जीते थे. उसके बाद पहली बार वह केंद्र में कृषि राज्य मंत्री बने, इस समय उनके पास संगठन का कोई पद नहीं था. इसके बाद भूतल परिवहन राज्य मंत्री, इसी में कैबिनेट मंत्री, और फिर रेल मंत्री का सफर. इस समय उन्होंने संगठन का कोई पद स्वीकार नहीं किया. यह पहला मौका है जब नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला है.
2019 में लोकसभा का चुनाव होना है. इसके पहले अप्रैल और मई में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल यूपी व पंजाब विधानसभा का चुनाव. इनमें भाजपा के खिलाफ बननेवाले गंठजोड़ की अगुवाई नीतीश कुमार करने वाले हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वह राष्ट्रीय राजनीति के भी केंद्र बिंदु बन जायेंगे. छात्र आंदोलन के बाद के दिनों में जब नीतीश कुमार राजनीति की मुख्यधारा में आये तो उन दिनों चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल में समाजवादियों का जुटान था.
नीतीश कुमार भी इसी दल के नेता थे. 1987-88 में वह युवा लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने. उनकी पहल पर 1994 में समता पार्टी का गठन हुआ. जार्ज फर्नांडीस इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये गये. बाद में समता और शरद यादव की नेतृत्व वाले जनता दल का विलय हुआ और नयी पार्टी जदयू बनी. जाॅर्ज इसके अध्यक्ष बने. बाद में 2006 में शरद यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.
पटना इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र, जेपी आंदोलन में प्रमुख भूमिका
जन्म एक मार्च, 1951, बख्तियारपुर, पटना
1977 जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव, हारे
1985 लोकदल टिकट पर हरनौत से विधानसभा का चुनाव, पहली बार जीत
1987-88 बिहार युवा लोक दल के अध्यक्ष
1989 जनता दल के महासचिव
1989 पहली बार बाढ से सांसद
अप्रैल 1990- नवंबर 1990 केंद्रीय राज्य मंत्री कृषि व सहकारिता
1991 सांसद
1991 -93 जनता दल के महासचिव, संसद में जनता दल के उपनेता
17 दिसंबर 1991 – 10 मई 1996 रेलवे कंवेंशन कमेटी के सदस्य
1996 तीसरी बार सांसद
1998 चौथी बार सांसद
19 मार्च 1998 – पांच अगस्त 1999 रेल मंत्री
1999 सांसद
13 अक्तूबर 1999 – 22 नवंबर 1999 केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री
22 नवंबर 1999 – तीन मार्च 2000 केंद्रीय कृषि मंत्री
तीन मार्च 2000 – 10 मार्च 2000 मुख्यमंत्री, बिहार
27 मई 2000 – 20 मार्च 2001 केंद्रीय कृषि मंत्री
20 मार्च 2001 – 21 जुलाई 2001 कृषि मंत्री, रेल का अतिरिक्त प्रभार
22 जुलाई 2001 – 21 मई 2004 रेल मंत्री
2004 14वीं लोकसभा सदस्य (सांसद)
24 नवंबर 2005 – 24 नवंबर 2010 मुख्यमंत्री, बिहार
नीतीश की चुनौतियां
2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की चालीस सीटों में अधिकतर सीटों पर महागंठबंधन के उम्मीदवार की जीत
सरकार के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय
सहयोगी दल खासकर कांग्रेस और राजद के साथ बेहतर तालमेल
विलय को लेकर जिन राज्यों पर जदयू की नजर है, वहां की राजनीति और कार्यकर्ताओं के साथ तालमेेल
सरकार के स्तर पर गुड गवर्नेंस और कानून व्यवस्स्था की स्थिति पर लगातार नजर बनाये रखना
जदयू को फायदा
देश में पिछड़ों की रहनुमाई पार्टी के रूप में अपने को स्थापित करना
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी धारा के अगुआ की भूमिका
राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में जदयू स्थापित
2017 के यूपी चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाना