इस गरमी ले आएं एक किताबगरमी का मौसम बुक स्टोर्स व बुक राइटर्स के लिए बेहतर महीना माना जाता है. वैसे तो बुक्स की खरीदारी साल भर होती है, लेकिन इन चंद महीनों में यह बढ़ जाती है. परीक्षाएं खत्म हो चुकी होती हैं और युवा फ्री होते हैं. पैरेंट्स भी बच्चों को रोजाना स्कूल छोड़ने-लाने जैसे कामों से आराम पाते हैं और अपने लिए कुछ खास वक्त निकाल पाते हैं. ऐसे में बच्चे हो या बड़े, बुक्स की तरफ अपना रुख करते हैं. मौसम की इसी मांग व रीडर्स के मूड को देखते हुए हम आपको बता रहे हैं कुछ बुक्स, जो इन दिनों सभी बहुत पढ़ रहे हैं और पसंद कर रहे हैं. आप भी इन्हें खरीद सकते हैं. बुक : नजाकतलेखक : डाविड फोइन्किनोसकीमत : 226 रुपये- यह फ्रेंच भाषा की बेस्ट सेलर बुक का हिंदी ट्रांसलेशन है, जिसमें 2011 में फिल्म भी बन चुकी है.- दो दिलों की कशमकश में डूबते-उतरते प्यार की कहानी है यह बुकटेली अपनी जिंदगी से बेहद खुश है. अपने काम में सफल है और अपने पति के साथ सुखी जीवन बिता रही है, लेकिन अचानक जब उसका पति एक कार दुर्घटना में मारा जाता है तो उसकी हंसती-खेलती दुनिया एकदम वीरान और उदास हो जाती है. कई बरस बीत जाते हैं और फिर एक दिन, यूं ही बिना कुछ सोचे-समझे वह अपने साथ काम कर रहे मार्कस को चुम्बन देती है. मार्कस नैटेली को चाहने लगता है, लेकिन नैटेली अपने ही गम की दुनिया में डूबी है….क्या मार्कस नैटेली को यह विश्वास दिला सकेगा कि वह उसके जीवन में फिर से प्यार की बहार ला सकता है? क्या नैटेली उसकी मुहब्बत को कबूल कर पायेगी…दो दिलों की कशमकश में डूबते-उतरते प्यार की कहानी है नजाकत.————-बुक : मैं गुमशुदालेखक : पाट्रिक मोडिआनोकीमत : 220 रुपये- 2014 के नोबेल पुरस्कार-साहित्य से सम्मानित लेखक की किताब- अंतरराष्ट्रीय बेस्ट सेलर ‘मिसिंग पर्सन’ का हिंदी अनुवाद‘मैं गुमशुदा’ कहानी है डिक्टेटिव गी रोलां की, जो अपना असली अस्तित्व और बीती जिंदगी की हकीकत जानने की खोज पर निकल पड़ता है. गी रोलां अपनी याददाश्त खो चुका है और शायद इसलिए अपने अतीत को जानना-समझना उसके लिए बहुत जरूरी है. जैसे-जैसे गी अपने जीवन के बीते वर्षों की परतें हटाता है तो उसे लगता है कि वह अपनी जिंदगी में कई रूप, कई अस्तित्व धारण कर चुका है. मैं गुमशुदा, 2014 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक पात्रिक मोदियानो का सबसे महत्त्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है और उनकी अन्य कृतियों की तरह इसकी पृष्ठभूमि भी उनका प्रिय शहर पेरिस है. 1978 में प्रकाशित यह उनका छठा उपन्यास है और उसी वर्ष इसे Prix Goncourt पुरस्कार से सम्मानित किया गया.—————–बुक : विश्वास की ताकतलेखक : डॉ जो विटालेकीमत : 93 रुपयेयह पुस्तक विश्वास की ताकत द्वारा बाधाओं को पार करने के बारे में है, जिसे आप हमेशा संभव मानते आए हैं . आप भय के साथ जीने का चयन कर सकते हैं या विश्वास के साथ जीना पसंद कर सकते हैं. यह कहना आसान है, लेकिन आप वास्तव में सही मार्ग को कैसे चुन सकते हैं, जबकि दुनिया उथल पुथल से भरी और भविष्य अनिश्चित हो? डॉ जो विटाले एक सार्थक तथा प्रेरक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं कि प्रेम और विश्वास के साथ कैसे रहा जा सकता है. उनका ईमानदारी भरा प्रयास आपको सशक्त बनने और रह तलाशने में मदद करता है. वे आपके भीतर, दूसरों में और एक उच्च शक्ति में विश्वास पार चर्चा करते हैं. यह ‘अंध विश्वास’ पार आधारित पुस्तक नहीं है, बल्कि यह पुस्तक तो विश्वास के सच्चे उदाहरणों और कहानियों से भरी है. आप इस ताजगी देने वाली पुस्तक को बहुत कम समय में पढ़ सकते हैं और इसे वास्तविकताओं पार आधारित कर अपनी जिंदगी को आसानी के साथ बेहतर बनाने में समर्थ हो सकते हैं.——————–बुक : ठीक तुम्हारे पीछेलेखक : मानव कौलकीमत : 92 रुपये- ‘काइ पो छे’, ‘वजीर’ और ‘गंगाजल’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं लेखकलेखक कहते हैं, बहुत सारे कोरे पन्नों के बीच मैंने बहुत सारा खाली वक्त बिताया है. नाटक और कविताएं लिखने के बीच बहुत सारा कुछ था जो अनकहा रह जाता था.. मैंने वह सारा अनकहा अपनी कहानियों में कहा है. कहानियां मेरे पास कुछ इस तरह आईं कि मेरी कविताएं और नाटक सभी पढ़ और देख रहे थे, कहानियां लिखना कोई बहुत अपने से संवाद जैसा हो गया था. मैं बार-बार उस अपने के पास जाने लगा. मैं जब भी कहानी लिखता, मुझे लगता यह असल में सुस्ताने का वक्त है.. इन सुस्ताती बातों में कब कहानियों की एक पोटली-सी बन गयी, पता ही नहीं चला. मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह अपने से खुसफुसाते हुए बहुत निजी संवाद एक दिन सबके हाथों में पहुंच सकते हैं. चूकि मैं दृश्य में सोचता हूं तो मेरी कहानियां एक दृश्य से दूसरे दृश्य की यात्रा-सी सुनाई देती हैं. नाटक लिखते रहने से कहानियों में एक नाटकीयता भी बनी रहती है. मैं कभी बहुत सोचकर नहीं लिखता हूं और मैंने कभी अपने लिखे में काट-छांट नहीं की है… कहानियां विचारों की निरंतरता में बहना जैसी हैं.. इसमें जो जैसा आता गया मैं उसे वैसा-का-वैसा छापता गया. कई कहानियां मुझे लंबी कविता-सी लगती हैं, तो कई नाटक… इन सबमें ‘प्रयोग’ शब्द बहुत महत्वपूर्ण है.————————-टॉप 5 फिक्शनकॉमेथ द अउर : जैफरी आर्चरद गर्ल ऑन द ट्रेन : पाउलो हॉकिंसद रेवनेंट : माइकल पंकरेकलेस : सिडनी शेल्डनअवर इंपॉसिबल लव : दुर्जाय दत्ता————टॉप 5 नॉन फिक्शनमिसेज फनीबोंस : ट्विंकल खन्नामोसाद : निसिम मिशल एलॉन मस्क : एश्ली वेंसमाय गीता : देवदत्त पटनायकवेन ब्रीथ बीकम्स एयर : पॉल कलानिथी
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इस गरमी ले आएं एक किताबगरमी का मौसम बुक स्टोर्स व बुक राइटर्स के लिए बेहतर महीना माना जाता है. वैसे तो बुक्स की खरीदारी साल भर होती है, लेकिन इन चंद महीनों में यह बढ़ जाती है. परीक्षाएं खत्म हो चुकी होती हैं और युवा फ्री होते हैं. पैरेंट्स भी बच्चों को रोजाना स्कूल […]
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