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हिंदी के महीने खगोल शास्त्र के अनुरूप अधिक तार्किक

हिंदी के महीने खगोल शास्त्र के अनुरूप अधिक तार्किक – केपी जायसवाल शोध संस्थान में व्याख्यान लाइफ रिपोर्टर, पटना ‘हिंदी के महीने खगोल शास्त्र के अनुरूप अधिक तार्किक हैं. इसके अतिरिक्त और भी कई चीजें प्राचीन भारत की हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि यहां की प्राचीन खगोल विद्या काफी विकसित थी. आधुनिक […]

हिंदी के महीने खगोल शास्त्र के अनुरूप अधिक तार्किक – केपी जायसवाल शोध संस्थान में व्याख्यान लाइफ रिपोर्टर, पटना ‘हिंदी के महीने खगोल शास्त्र के अनुरूप अधिक तार्किक हैं. इसके अतिरिक्त और भी कई चीजें प्राचीन भारत की हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि यहां की प्राचीन खगोल विद्या काफी विकसित थी. आधुनिक विज्ञान में भी जो चीजें अब सामने आ रही हैं वह इसकी और अधिक पुष्टि करती है.’ यह बातें नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो अमिताभ घोष ने कहीं. उन्होंने प्राचीन भारत के खगोलशास्त्र के इतिहास को विस्तार पूर्वक बताया. साथ ही वर्तमान में कैसे यह श्रेष्ठता साबित होती है यह भी बताया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के महीने और वर्ष को जोड़ें तो उसमें एक दिन अधिक हो जाता है, लेकिन भारतीय हिंदी के महीने और साल कभी भी इधर उधर नहीं होते. वह इतने परफेक्ट होते हैं जैसा हमारा खगोलशास्त्र कहता है. हिंदी के महीनों, उसके दिन और चांद और सूरज की स्थिति का जितना सटीक वर्णय भारतीय खगोलशास्त्र में दिखता है वह कहीं और नहीं. यही वजह है कि भारतीय ज्योतिष विद्या भी इसके अनुरूप होती है और काफी सटीक होती है. उन्होंने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन से इसे बखूबी समझाया. स्वागत संस्थान के निदेशक डाॅ विजय कुमार चौधरी ने किया. अध्यक्षीय भाषण बीएन कॉलेज के भौतिकी के पूर्व प्रोफेसर डा एनएन पांडे ने की. धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के सहायक निदेशक अनिल कुमार ने की.

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