शराब के साथ-साथ इन पर भी लगे बैनलाइफ रिपोर्टर पटनापिछले दिनों बिहार सरकार ने बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी की घोषणा कर दी. यह खबर सुनते ही कई लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गयी. खास कर महिलाएं इस पाबंदी से काफी खुश हो गयी. देखते ही देखते सारी दुकानें खाली हो गयी. शटर गिर गये. शराब दुकानों के सामने लगने वाली भीड़ गायब हो गयी, साथ ही छेड़छाड़ भी कम हो गयी. ये सारे बदलाव देखते हुए अब सरकार से शहर की लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गयी हैं. गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में खुद राज्यपाल राम नाथ कोविद ने भी कहा कि अब सरकार को तंबाकू कानून के प्रति गंभीर होना होगा. यह इच्छा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि पटना समेत पूरे बिहार में प्रतिदिन 2200 लोगों की मौत कैंसर की वजह से हो रही है. वहीं बिहार में 53 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. ऐसे में इस पर रोक लगाने के लिए सरकार को कदम उठाना होगा. राज्यपाल के साथ ही शहर के कई लोग चाहते हैं कि शराब की तरह ही, अन्य खराब चीजों पर बैन लगे. प्रभात खबर से बातचीत में लोगों ने ऐसे कई मुद्दों बताये, जिनकी वजह से शहर खराब हो रहा है. सभी ने कहा कि अब अगला कदम इन चीजों पर बैन लगाने का हो. बताते चलें कि इन मुद्दों पर तंबाकू, ट्रैफिक की समस्या, कचरा प्रमुख था.एजुकेशन सिस्टम को करना चाहिए ठीकइन दिनों सबसे ज्यादा कहीं करप्शन है, तो वह एजुकेशन में है, क्योंकि पहले की अपेक्षा अब वैसा एजुकेशन नहीं दिया जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण है, अच्छे टीचर्स की कमी. शहर के सभी स्कूलों में 60 प्रतिशत टीचर्स बिना किसी ट्रेनिंग के रखे गये हैं. उन्हें खुद नहीं मालूम होता कि क्या पढ़ाना है? इसके अलावा सभी स्कूल की फीस बराबर होनी चाहिए. जिस तरह से सभी सरकारी स्कूलों में बराबर का नियम है. वैसे ही प्राइवेट स्कूल में एक जैसी पढ़ाई के साथ-साथ एक जैसी बुक्स और फीस होनी चाहिए. क्योंकि अब बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना हर किसी की बात नहीं है. स्कूल की फीस और किताब-कॉपी के दाम आसमान छू रहे हैं. लोग दुकान की तरह स्कूल चला रहे हैं. इस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इस वजह से एजुकेशन सिस्टम पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. एक नियम तय करना चाहिए. मो परवेश, फुलवारी शहर से नहीं निकल पाता कचरा पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया है. उट्रैफिक की समस्या है को जड़ से हटाना चाहिएस समय कई लोग झाड़ू देना शुरू किये थे. उस दौर में कई संस्था पेपर में फोटो कराने के लिए झाड़ू ले कर फोटो सेशन करायें, लेकिन गंदगी को शहर से नहीं निकाल पायें. पटना के कई पॉश एरिया में कचरा का भंडार लगा हुआ है. लोग कहीं भी कचरा फेंक देते हैं. इसके लिए भी नियम लागू होते है, लेकिन दो दिन में खत्म हो जाते हैं. ऐसे में शहर से कचरा नहीं निकल पाता है. न ही कोई कचरा उठाने आता है. इस वजह से गंदगी बढ़ते जाती है. यहां कई जगह मार्केट में भी कचरों का भंडार लगा हुआ है. इसलिए शहर को साफ रखने के लिए भी कड़ा फैसला लेना चाहिए. क्योंकि जब तक इंसान के अंदर उस काम को करने के लिए डर नहीं होता, तो वह करते जाते हैं. इस पर कोई बड़ा नियम बनाना चाहिए, तब जा कर सफाई पूरी होगी.कृष्ण नंदन, शेखपुरासिगरेट पर भी लगना चाहिए रोकशराब पर रोक लगने का फैसला सराहनीय है. मैं इसके लिए बहुत खुश हूं. क्योंकि यह फैसला सिर्फ नाम के लिए नहीं लागू किया गया है बल्कि इस पर कार्रवाई की जा रही है. ठीक उसी तरह मैं चाहता हूं कि सिगरेट पर भी रोक लगायी जाये. क्योंकि सिगरेट की वजह से आये दिन किसी न किसी की जान जाती है और सिगरेट इतनी खतरनाक होती है कि सिर्फ पीने वाले ही नहीं बल्कि पास में खड़े होने वाले लोग भी पैसिव स्मोकिंग के शिकार होते हैं. इसलिए सरकार को सिगरेट पर भी बैन लगानी चाहिए. शराब की तरह सिगरेट भी किसी दुकान में नहीं मिलना चाहिए, तो सही रहेगा. क्योंकि इन दिनों पटना का कई एरिया स्मोकिंग जोन बन गया है. लोग हस्सी ठहाकों के बीच सिगरेट का धुआं उड़ाते जाते हैं. इस पर रोक लगनी चाहिए. पुलिस किसी को सिगरेट बेचते या पीते देख, तो उन्हें भी गिरफ्तार करना चाहिए. साथ ही कड़ी कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी लगाना चाहिए.अभिषेक, सहदेव महतो मार्गगांजा, गुटखा को भी एकदम हटा देना चाहिएशराब बंदी पर लोग खुश हैं. क्योंकि इसके लिए ठोस कदम उठाया गया. यह फैसला सिर्फ फाइल या कागज के पन्नों तक सिमट के नहीं रहा है. इससे लोग डर रहे हैं. शराब बेचने वाले भी अपने दुकानें बंद कर दिये हैं, लेकिन आज भी गांजा का व्यापार होता है. कई जगह लोग गांजा की खेती करते हैं. पुलिस पकड़ती है, तो पैसा वसूल के छोड़ देती है. इसके क्राइम बढ़ रहा है. इसके अलावा गुटखा के अलावा तंबाकू जैसे कई चीजें मार्केट में मिल ही जाती है. इस पर पूरे तरह से रोक लगनी चाहिए. इसे हटाने के प्रयास ही नहीं कोई कदम उठानी चाहिए, तब जा कर शराब बंद की तरह गांजा, गूटखा भी बंद हो पायेगा. क्योंकि शहर से हट कर कई ऐसे एरिया है, जहां गांजा की खेती होती है. उससे पुलिस भी अनजान बनने की कोशिश करती है.विनय, कंकड़बागअतिक्रमण नहीं हट पाता हैशहर के कई एरिया में अतिक्रमण नजर आती है, जो शुरू से देखा जाता है, लेकिन इसे हटाया नहीं जाता है. यहां देखा जाता है कि पार्किंग एरिया में खाने पीने की दुकानें लगी हुई है. इस पर कड़े फैसले नहीं लिये जाते हैं. कभी-कभी पुलिस एक या दिनों के लिए कार्रवाई करती है. फिर वही स्थिति हो जाती है. अगर इसके लिए कोई कड़ा फैसला लिया जाये, तो शायद किसी में डर हो, लेकिन यहां तो हमेशा से अतिक्रमण देखने को मिलते हैं. यहां बोरिंग रोड, राजा बाजार, अशोक राजपथ, स्टेशन रोड जैसे कई एरिया में लोगों को चलने के लिए फूटपाथ नहीं मिलती है. क्योंकि सुबह होते यहां फुटपाथों पर भी दुकानें लग जाती है. जिसके दुकान अंदर भी है, तो वह फुटपाथ पर बोर्ड या प्रचार करने के लिए कई तरह की चीजों को रख देता है. इससे आम लोगों को परेशानी होती है. इस पर भी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. शराब बंदी की तरह इन परेशानियों से निदान मिल जाये, तो लोगों को राहत मिलेगी. अमित, जगदेव पथट्रैफिक की समस्या है को जड़ से हटाना चाहिएट्रैफिक की समस्याएं अब आम हो चुकी है. इस वजह से हर दिन लोग अपने स्कूल, कॉलेज और ऑफिस देर पहुंचते हैं. कभी-कभी गाड़ियां सिसकती है. इसका सबसे बड़ा कारण है. ऑटो वाले, गाड़ी वालों की मनमानी. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस भी अपनी जगह पर नहीं रहते, तो इन बातों पर ध्यान दे सके. यहां ऑटो पर लोगों को लाद कर लाया जाता है. ड्राइवर के पास बच्चें बैठे रहते हैं, तो चार चक्कों वाली गाड़ियां बीच सड़क पर लगी रहती है. प्रशासन द्वारा नियम कुछ दिनों के लिए बनती है, लेकिन हर दिन ट्रैफिक पुलिस पर ध्यान, दो, तो शायद इन से निजात मिल सके. इसके अलावा आम लोग भी ट्रैफिक के सिग्नल को फॉलो नहीं कर पाते हैं. कई बार प्रशासन को नहीं रहने की वजह से लोग ट्रैफिक के नियमों को ताखे पर रख रोड पर चलते हैं. ऐसे में सभी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.सौरव, बोरिंग रोड
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शराब के साथ-साथ इन पर भी लगे बैन
शराब के साथ-साथ इन पर भी लगे बैनलाइफ रिपोर्टर पटनापिछले दिनों बिहार सरकार ने बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी की घोषणा कर दी. यह खबर सुनते ही कई लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गयी. खास कर महिलाएं इस पाबंदी से काफी खुश हो गयी. देखते ही देखते सारी दुकानें खाली हो गयी. […]
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