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सौ स्कूलों की फाइल गायब
छात्रवृत्ति घोटाला. जिला शिक्षा कार्यालय का एक और कारनामा 100 से ज्यादा स्कूलों को बगैर जांचे भेज दी गयी छात्रवृति की राशि वाली फाइल खो गयी है. इस मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा कार्यालय की भूमिका संदेह के घेरे में है रविशंकर उपाध्याय पटना : पटना के जिला शिक्षा कार्यालय से […]
छात्रवृत्ति घोटाला. जिला शिक्षा कार्यालय का एक और कारनामा
100 से ज्यादा स्कूलों को बगैर जांचे भेज दी गयी छात्रवृति की राशि वाली फाइल खो गयी है. इस मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा कार्यालय की भूमिका संदेह के घेरे में है
रविशंकर उपाध्याय
पटना : पटना के जिला शिक्षा कार्यालय से प्रखंड शिक्षा कार्यालयों से छात्रवृति के लिए चयनित स्कूलों की फाइल गायब हो गयी है. पटना जिले के 100 से ज्यादा स्कूलों की सूची उन फाइलों में कैद है. इसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी यानी बीइओ ने जिला शिक्षा कार्यालय को भेजे थे. प्रिमिलरी जांच में यह निकल कर सामने आया है कि बगैर जांचे परखे लाखों की छात्रवृति की राशि स्कूलों को भेज दी गयी थी. 80 लाख रुपये के घोटाले की अब तक पुष्टि भी हो चुकी है. अब उन फाइलों की तलाश जिले से लेकर प्रखंड स्तर से की जा रही है.
आशंका है कि शिक्षा और कल्याण विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से सरकारी राशि का बड़े पैमाने पर बंदरबांट किया गया. ऐसे सभी स्कूल संदेह के घेरे में हैं और अब फर्जीवाड़ा सामने आने पर उन सभी स्कूलों की जांच कराने पर यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है. यह मामला 2014-15 के प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप का है. जब विद्यालय शिक्षा समिति के बैंक खाते में राशि भेजी जाती थी. डीएम एसके अग्रवाल ने जब जांच करायी तो उसमें स्कूल है या नहीं? उसका बैंक खाता संख्या कहां है और क्या है? उसमें कब कब राशि हस्तांतरित की गयी? इन सारे बिंदुओं पर पड़ताल की जा रही है. जांच के बाद कुछ और सनसनीखेज मामले सामने आ सकते हैं, जिससे इस फर्जीवाड़े की और परतें खुलेगी.
तीन स्कूलों की जांच के बाद आगे बढ़ी कार्रवाई
तीन गलत खाते में राशि भेजने का मामला सामने आने के बाद कार्रवाई आगे बढ़ी है. इन तीन स्कूलों में दो स्कूल ऐसे थे जो कहीं जमीन पर है ही नहीं और एक स्कूल ऐसा पाया गया जिनके खाते की संख्या ही गलत थी. गलत खाते के कारण स्कूल में नहीं बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति के खाते में राशि हस्तांतरित कर दी गयी जो ना तो विद्यालय शिक्षा समिति से जुड़े थे ना ही स्कूल से. इस मामले में पहले प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गयी, उनकी जांच में पुष्टि होने के बाद निकासी और व्ययन पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गयी.
निकासी और व्ययन पदाधिकारी ने लिखित रिपोर्ट दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि ये स्कूल है ही नहीं. जो स्कूल जमीन पर थे ही नहीं उसमें बाढ़ के कंसाबिगहा का मध्य विद्यालय और रघुनाथपुर का उत्क्रमित मिडिल स्कूल शामिल हैं जबकि उच्च विद्यालय, साईं, धनरुआ का नाम सही है लेकिन जिस खाते में राशि भेजी गयी वह शिक्षा समिति का है ही नहीं.
विभाग एक दूसरे पर थोप कर खेल रहे हैं खेल
शिक्षा और कल्याण विभाग एक दूसरे पर इस फर्जीवाड़े की जिम्मेवारी थोप रहे हैं. कल्याण विभाग साफ तौर पर कह रहा है कि हमें जो सूची जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से मिलती है, हम उसी खाते पर राशि ट्रांसफर कर देते हैं. हमें जांच करने का काम नहीं दिया गया है.
इधर शिक्षा विभाग यह कह रहा है कि कल्याण शाखा के पदाधिकारी आंख मूंद कर कैसे राशि हस्तांतरित कर सकते हैं? उन्हें कम से कम क्राॅस चेक करना चाहिए. बहरहाल जांच जारी है और इन दोनों कार्यालयों के साथ बैंकों के कर्मचारियों की भी बड़ी भूमिका सामने आ सकती है.
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