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पिछले क्लास का गणित सॉल्व करेंगे बच्चे
क्लास एक के बच्चों को तीन महीने तक प्री नर्सरी के क्रैश कोर्स से दी जायेगी शिक्षा पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूल के बच्चे नये सत्र की शुरुआत के बाद अपनी पिछली क्लास के गणित को सोल्व करेंगे. साथ ही अपनी रिडिंग स्कील को मजबूत करने के लिए भी हिंदी के टेक्स्ट का पाठ […]
क्लास एक के बच्चों को तीन महीने तक प्री नर्सरी के क्रैश कोर्स से दी जायेगी शिक्षा
पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूल के बच्चे नये सत्र की शुरुआत के बाद अपनी पिछली क्लास के गणित को सोल्व करेंगे. साथ ही अपनी रिडिंग स्कील को मजबूत करने के लिए भी हिंदी के टेक्स्ट का पाठ करेंगे.
अप्रैल महीने से शुरू होने वाले नये सत्र से इसे प्रारंभिक स्कूलों में दो महीने के लिए लागू करने की तैयारी की जा रही है. शिक्षा के अधिकार के तहत हर बच्चे किसी क्लास में बच्चे को रोका नहीं जा सकता है. इसलिए नये सत्र में उन्हें पुराने पाठ्यक्रमों का एक से दो महीने तक रिविजन कराया जायेगा. इसके बाद नये पाठ्यक्रम पढ़ाये जायेंगे. बच्चे गणित व भाषा में दक्ष हों, इसके लिए शिक्षा विभाग फिर से यह पहल करने की तैयारी कर रहा है. वहीं, क्लास एक में एडमिशन लेने वाले बच्चों को नये सत्र में तीन महीने तक प्री नर्सरी में चलने वाले क्रेस कोर्स के माध्यम से शिक्षा दी जायेगी. इसके बाद अगले नौ महीने तक क्लास एक के पाठ्यक्रम पढ़ाये जायेंगे.
नये पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद हर महीने स्कूल स्तर पर बच्चों का एसेसमेंट किया जायेगा और एक तरह से रैंकिंग की जायेगी. इस साल आठवीं के बच्चों का एसेसमेंट टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है.
नये सत्र के अंत में (मार्च 2017) पांचवीं, आठवीं, नौवीं, 11 वीं और 12वीं में एसेसमेंट टेस्ट भी लिया जायेगा. इसका शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने भी पिछले दिनों ही एलान किया है. शिक्षा विभाग ने मिशन गुणवत्ता के लिए इससे पहले भी 2013 और 2014 में भी दो महीने से लिए बच्चों को दो महीने तक पुराने पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करायी थी. इससे बच्चों के गणित व भाषा की रिडिंग में भी सुधार हुआ था.
बेंच-डेस्क की स्थिति बतायेंगे बच्चे व अभिभावक
राज्य के 19 हजार मिडिल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और उनके अभिभावक स्कूलों की बेंच-डेस्क की स्थिति बतायेंगे. पिछले साल ही मिडिल स्कूलों में बेंच डेस्क खरीदने के लिए राज्य सरकार ने 206 करोड़ रुपये स्कूलों को दिये थे.
साथ ही क्वालिटी वाले फर्नीचर खरीदने और उसकी राशि भी निर्धारित की थी. इसमें इस पैसे का क्या हुआ, किस स्तर के बेंच-डेस्क खरीदे गये. इसके लिए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को स्कूल वार खरीदे गये बेंच डेस्क का आंकड़ा देना है.
उस आंकड़े को पब्लिक डोमेन में डाला जायेगा. साथ ही अभिभावक और स्कूल के बच्चे भी बतायेंगे कि उनके स्कूल में बेंच-डेस्क खरीदे गये या नहीं. अगर खरीदे गये वह क्वालिटी के हैं या नहीं. अगर क्वालिटी के नहीं होंगे तो संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक से भी शो-कॉज पूछा जायेगा.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो बच्चों व अभिभावकों की जो भी शिकायतें आयेंगी उस पर गंभीरता से विचार किया जायेगा.
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