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पीएमसीएच में नहीं हो रही ग्लूकोमा की जांच

पटना : पटना सहित पूरे विश्व में 6-12 मार्च तक ग्लूकोमा (काला मोतिया) जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है. इसमें आंख के कई डॉक्टर लोगों को ग्लूकोमा बीमारी की पहचान और उससे बचाव के उपाय बता रहे हैं. लेकिन, पीएमसीएच जैसे बड़े सरकार अस्पताल में जागरूकता तो दूर, इस बीमारी की जांच भी नहीं हो […]

पटना : पटना सहित पूरे विश्व में 6-12 मार्च तक ग्लूकोमा (काला मोतिया) जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है. इसमें आंख के कई डॉक्टर लोगों को ग्लूकोमा बीमारी की पहचान और उससे बचाव के उपाय बता रहे हैं.
लेकिन, पीएमसीएच जैसे बड़े सरकार अस्पताल में जागरूकता तो दूर, इस बीमारी की जांच भी नहीं हो पा रही है. पीएमसीएच में ग्लूकोमा, माड़ा और मोतिया की जांच करने वाली स्लिट लैंप मशीन पिछले कई महीनों से खराब पड़ी हुई है, इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या काम करता है स्लिट लैंप : स्लिट लैंप एक माइक्रोस्कोप की तरह होता है. इसके इस्तेमाल से आंखों की बारीक त्रुटियां देखी जाती हैं. ग्लूकोमा, मोतियाबिंद के साथ ही यह केरेटोमेट्री, टोपोग्राफी और पेकीमेट्री, कॉर्निया के आकार व मोटाई की जानकारी इससे मिलती है. आंख में संक्रमण की जानकारी भी इस मशीन से मिलती है.
मुफ्त होती थी जांच, बाहर दो हजार तक खर्च : मशीन खराब होने के कारण मरीजों को जांच के लिए बाहरी अस्पतालों में जाना पड़ता है. वहां से रिपोर्ट लाने के बाद पीएमसीएच के डॉक्टर इलाज करते हैं. एक जांच पर के बदले मरीजों को एक जांच के बदले मरीजों को डेढ़ से दो हजार रुपये देने पड़ते हैं. वहीं, पीएमसीएच में इसकी जांच मुफ्त होती थी. ग्लूकोमा से पीड़ित 40 से 50 मरीज रोज पीएमसीएच आते हैं.
क्या है ग्लूकोमा रोग : आंखमें जितना पानी बनता है, वह निकल नहीं पाता है. इस वजह से प्रेशर बढ़ जाता है. इस प्रेशर के कारण आंख से ब्रेन तक संदेश ले जानेवाला ऑप्टिकल नर्व डैमेज हो जाता है. इससे रोशनी जाने की संभावना अधिक रहती है. एक बार रोशनी गयी तो दोबारा लौटायी नहीं जा सकती है. डॉक्टरों के अनुसार उन लोगों को सतर्क रहना चाहिए, जिनके परिवार में इस बीमारी के मरीज हैं.
जल्द ठीक होगी मशीन
पीएमसीएच की सभी खराब मशीनों को ठीक कराया जा रहा है. हाल ही में डायलिसिस की कई मशीनें ठीक हुई हैं. ग्लूकोमा जांच की मशीन को ठीक करने की स्वीकृति मिल गयी है. कुछ दिनों में मशीन काम करने लगेगी.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच
मशीन ठीक होना जरूरी
आंख के 30 फीसदी मरीजों में ग्लूकोमा की बीमारी होती है. इस बीमारी का पता होने के तीन साल तक नहीं चलता है. ऐसे में स्लिट लैंप मशीन का ठीक होना काफी जरूरी है, ताकि मरीजों को बाहर न जाना पड़े.
डाॅ सुनील कुमार सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ

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