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सीनियर सिटीजन को काउंटर पर दिखाना होगा आयु प्रमाणपत्र

रेलवे ने नियम में की सख्ती, गलत उम्र बता कर टिकट कटा लेते हैं लोग, जांच में हुआ खुलासा, तो उठाया कदम पटना : बुजुर्ग यात्रियों के कोटे में सेंधमारी की शिकायत रेलवे बोर्ड तक पहुंच गयी है. ऐसे में कोटे में मिलनेवाली सुविधा के नियम कड़े किये गये हैं. अब टिकट बुकिंग एवं यात्रा […]

रेलवे ने नियम में की सख्ती, गलत उम्र बता कर टिकट कटा लेते हैं लोग, जांच में हुआ खुलासा, तो उठाया कदम
पटना : बुजुर्ग यात्रियों के कोटे में सेंधमारी की शिकायत रेलवे बोर्ड तक पहुंच गयी है. ऐसे में कोटे में मिलनेवाली सुविधा के नियम कड़े किये गये हैं. अब टिकट बुकिंग एवं यात्रा के समय आयु प्रमाणपत्र दिखना अनिवार्य कर दिया गया है. इसको लेकर मार्च से पूरी सख्ती बरती जायेगी. फिलहाल गलत तरीके से टिकट कटाने के बाद यात्रा करते पकड़े जाने पर यात्रियों को बेटिकट मानते हुए उससे जुर्माना वसूला जाता है तथा उसकी सीट भी खत्म कर दी जाती है.
वरिष्ठ नागरिकों की छूट पर हर साल 1100 करोड़ खर्च
अधिकारियों के मुताबिक रेलवे यात्रियों को विभिन्न मद में दी जानेवाली छूट पर रेलवे हर साल 1400 करोड़ रुपये खर्च करता है. इसमें से 1100 करोड़ खर्च सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों के स्कीम पर खर्च होता है. जब इसकी गहन मॉनीटरिंग की गयी, तो पिछले साल कई मामले पकड़ में आये, जो कि गलत उम्र बता कर आरक्षण काउंटर से टिकट लेकर सफर कर रहे थे.
यह है वरिष्ठ नागरिकों के लिए नियम
रेलवे में अभी तक किसी भी रेल आरक्षण केंद्र या ऑनलाइन टिकट की खरीद पर आयु प्रमाणपत्र नहीं देना पड़ता था. टीटीइ के मांगने पर ट्रेन में ही प्रमाण पत्र दिखाना होता है. वरिष्ठ नागरिक के लिए लोअर बर्थ भी कंफर्म हो जाता था. इसके साथ ही यात्रा में पुरुषों को 60 वर्ष से अधिक होने पर 40 प्रतिशत और महिलाओं को 58 वर्ष से ऊपर होने पर 50 प्रतिशत किराये में छूट मिलती है.
इस तरह की मिली है शिकायत
यात्रा के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को अपना आयु प्रमाणपत्र दिखाना होता था. ऐसे में यात्री आरक्षण कराते समय अपनी उम्र को गलत दरसा कर वरिष्ठ नागरिक कोटे का लाभ ले लेते थे.
यात्रा के दौरान अगर टीटीइ पकड़ लेता था, तो यात्री जुर्माना देकर बच जाते थे. इतना ही नहीं, आयु प्रमाणपत्र न दिखा पाने की स्थिति में यात्रियों से डिफरेंस फेयर वसूल कर उसे सीट दे दी जाती थी, जिससे रेल राजस्व का नुकसान होता था और सीट भी जरूरतमंद को नहीं मिल पाती थी.

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