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कानून का राज सिर्फ मुख्यमंत्री का जुमला : मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के 10 दिन बाद भी आरोपित विधायक राजबल्लभ यादव सहित इस मामले के किसी भी अभियुक्त की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है. ‘कहां बच कर जायेंगे, और यहां कानून का […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के 10 दिन बाद भी आरोपित विधायक राजबल्लभ यादव सहित इस मामले के किसी भी अभियुक्त की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है.
‘कहां बच कर जायेंगे, और यहां कानून का राज है, जैसे जुमले बोलनेवाले मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि आखिर किसके दबाव में विधायक सहित अन्य अभियुक्तों को पुलिस गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा रही है. राजद के नालंदा जिलाध्यक्ष महेन्द्र यादव ने सार्वजनिक तौर पर आरोपित विधायक के कोर्ट में सरेंडर करने की तिथि का ऐलान किया, उसे पुलिस ने केवल नोटिस थमा कर क्यों छोड़ दिया. रजौली के राजद नेता न समर्थन में खुलेआम बयान दे रहे हैं, बल्कि पुलिस के काम में बाधा भी डाल रहे हैं.
उनके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. आरोपित विधायक का बेटा अगर साक्ष्य मिटाने का आरोपित है, तो फिर किसके इशारे पर उसे जेल न भेज कर थाने से ही छोड़ दिया गया. पीिड़ता के पिता को प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए तीन तक थाने का चक्कर क्यों लगाना पड़ा. 9 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज हुई और 10 फरवरी को पीड़िता ने अभियुक्त और उसके मकान की पहचान कर ली तो फिर गिरफ्तारी का आदेश जारी होने में चार दिन क्यों लगा. पीड़िता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन में 7 दिन का समय क्यों लगा.
अगर नालंदा के एसपी अपराधियों को संरक्षण दे रहे थे तो क्या इसकी सजा मात्र तबादला है. आधा दर्जन से ज्यादा थानों के पुलिसकर्मी और अधिकारी आरोपित विधायक को पुलिस की कार्रवाई की सूचना दे रहे हैं,उनके खिलाफ सरकार कौन सी कार्रवाई कर रही है.
वह कौन सा सफेदपोश है जो लड़की के परिजनों से समझौता कराने की पहल कर रहा था, आखिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया. इतने गंभीर और सुर्खियों में रहे इस मामले में पीपी को कोर्ट में अभियुक्त की जमानत की अर्जी निरस्त कराने की जगह यह क्यों कहना पड़ा कि केस डायरी पढ़ने के लिए उसे 24 घंटे का समय चाहिए. दरअसल नीतीश कुमार ‘बेचारा मुख्यमंत्री‘ बन कर रह गए हैं. सत्ताधारी दल के विधायकों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है.

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