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मैथिली में आया पहला लप्रेक, 52 कथाएं

पहली बार मैथिली में निकली लघु प्रेम कथा प्रेम विवाह को मिली मिथिलांचल में जगह रिंकू झा पटना : प्रेम कोई एक शब्द तक सीमित नहीं है. प्रेम दिखाने नहीं, अनुभव की चीज होती है. हर इंसान के अंदर एक प्रेम है, इससे हम इंकार नहीं कर सकते. प्रेम है तो हम है, प्रेम के […]

पहली बार मैथिली में निकली लघु प्रेम कथा
प्रेम विवाह को मिली मिथिलांचल में जगह
रिंकू झा
पटना : प्रेम कोई एक शब्द तक सीमित नहीं है. प्रेम दिखाने नहीं, अनुभव की चीज होती है. हर इंसान के अंदर एक प्रेम है, इससे हम इंकार नहीं कर सकते. प्रेम है तो हम है, प्रेम के बिना कुछ नहीं… प्रेम के अलग-अलग स्वरूप पर आये दिन फेसबुक, टि्वटर अौर ब्लाॅग पर हम लिखते रहे हैं.
स्वरूप भले ही अलग हो, लेकिन है तो वह प्रेम ही. पहली बार मैथिली के कुछ युवाओं ने मैथिली में प्रेम पर लघु प्रेम कथा (लप्रेक) लिखा है. प्रेम की कोई टाइमलाइन नहीं होती है. जब समय मिले, तभी प्रेम करें. प्रेम न तो बांधा जा सकता है और न ही पाबंदी लगायी जा सकती है.
अभी तक युवा अपनी भावनाओं को फेसबुक, टि्वटर पर डाल कर अपनी बातें कहते थे, लेकिन समाज के हर कोने तक उनकी प्रेम की बातें पहुंचे, इसके लिए लप्रेक को लिखा गया है. युवा लेखक गुंजनश्री ने बताया कि मैथिली साहित्य में यह विडंबना रही है कि अभी तक प्रेम पर किसी ने कुछ नहीं लिखा है.
मिथिलांचल में अब भी प्रेम विवाह या प्रेम करनेवालों को गलत नजर से देखा जाता है. मैथिल समाज की इस कुरीतियों को खत्म करने और प्रेम विवाह को जगह देने के लिए मैथिल साहित्य में प्रेम का खुलापन जरूरी है. इस कारण हम आठ लाेगों ने मिलकर लघु प्रेम कथा लिखी है. प्रेमक टाइमलाइन लघु प्रेम कथा का िवमोचन रविवार को किया जायेगा.
मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन रविवार को लप्रेक का िवमोचन किया जायेगा. मैथिली लप्रेक के बारे में लेखक अजित आजाद ने बताया कि अभी तक लघु प्रेम कथा केवल हिंदी में ही लिखी गयी है. मैथिली या दूसरी भाषा में पहली बार पाठकों के लिए इसकी रचना की गयी है. आज के युवा प्रेम के बारे में क्या सोच रखते हैं, इस किताब में पूरी तरह से लिखा गया है. मैथिली भाषा को बहुत ही सरल रूप में लिखा गया है, जिससे आम लोग भी इसे पढ़ पायेंगे.
आठ युवाओं ने लिखी कहानी
मैथिली भाषा में पहली बार प्रेम पर कोई किताब लिखी गयी है. छोटी-छोटी 52 प्रेम कथाओं का संग्रह इसमें शामिल हैं. हर कहानी 140 शब्दों के बीच ही समेटा गया है. मिथिलांचल के रहनेवाले आठ युवाओं ने मिल कर लघु प्रेम कथा के संग्रह को किताब का नाम दिया है.
समस्तीपुर के रहनेवाले बाल मुकुंद पाठक ने बताया कि इस किताब में प्रेम के अलग-अलग स्वरूप है. किसी ने प्रेम को शहर और गांव के प्रेम में फर्क को बताया है. किसी ने प्रेम को राजनीति से जोड़ कर बताया है. एक महीने में तैयार किये गये इस लप्रेक में नवलश्री, सुनील कुमार, निधि कात्यायन, गुंजनश्री, श्याम झा, बिन्देश्वर ठाकुर, मुकुंद मयंक, शारदा झा, विकास झा, बाल मुकुंद पाठक आठ युवाओं ने कहानियां लिखी हैं.

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