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लालू को भी नीतीश बना लें अपना परामर्शी: मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद को भी प्रशांत किशोर की तरह कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर अपना परामर्शी बना लेना चाहिए. इससे लालू प्रसाद को सरकार के कामों में सीधे हस्तक्षेप का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जायेगा. विपक्ष के नेता जैसे वैधानिक पद पर […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद को भी प्रशांत किशोर की तरह कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर अपना परामर्शी बना लेना चाहिए.
इससे लालू प्रसाद को सरकार के कामों में सीधे हस्तक्षेप का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जायेगा. विपक्ष के नेता जैसे वैधानिक पद पर रहने के कारण निरीक्षण करना और ‘जनता के दरबार’ में जनता की समस्याओं को सुनना तथा उसके समाधान के लिए आवाज उठाना तो मेरा नैतिक दायित्व है, नीतीश कुमार बताएं कि लालू प्रसाद किस हैसियत से अस्पताल का निरीक्षण और अधिकारियों को निर्देश देते हैं. अब नीतीश कुमार को ‘बेचारे मुख्यमंत्री’ के तौर पर लालू प्रसाद के दबाव में ही काम करना होगा. मोदी ने कहा कि बेटिकट यात्रा व शराब के नशे में महिला यात्री के साथ छेड़खानी करने के आरोपित अपने विधायकसरफराज आलम पर कार्रवाई का नाटक करने वाले मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि कार्रवाई करने में सात दिन क्यों लगा. जमानतीय धारा लगा कर सरफराज आलम को पांच घंटे में ही थाने से क्यों छोड़ दिया गया. क्या अब कंपलेन लिखाने वाले ट्रेन अधीक्षक को घेरे में लेकर इस पूरे मामले को रफा–दफा कराने की कोशिश नहीं हो रही है.
कुख्यात अपराधी अवधेश मंडल को थाने से भगाने की आरोपित विधायक बीमा भारती और पूर्णिया के सांसद के खिलाफ अब तक कौन सी कार्रवाई हुई है. अपराधियों को संरक्षण देने, सजा दिलाने की रफ्तार को कम कर देने से क्या अपराधियों का हौसला नहीं बढ़ा है.
भाजपा नेता ने कहा कि नीतीश कुमार तिलमिलाहट में भाजपा पर छाती पीटने का तंज कस रहे हैं, जबकि छाती तो पूरे बिहार की जनता पीट रही हैं. मुख्यमंत्री बतायें कि एक महीना पहले दरभंगा में दिनदहाड़े दो इंजीनियरों को एके 47 से भूनने वाला मुकेश पाठक अब तक क्यों नहीं पकड़ा गया हैं.
राजधानी पटना में रंगदारी के लिए स्वर्ण व्यवसायी की हत्या कराने वाला सरगना दुर्गेश शर्मा अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर क्यों है. दिन दहाड़े पटना में एक लड़की की हत्या क्यों हो गई. अगर कानून का राज है तो रंगदारी के लिए धमकियों व हत्या का सिलसिला थम क्यों नहीं रहा है. क्या बिहार की जनता एक बार फिर दस साल पहले की तरह सहम कर जीने के लिए विवश नहीं हैं.

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