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कैंसर के कारणों को रोकने की जरूरत

कैंसर के कारणों को रोकने की जरूरतदूसरे दिन भी आयोजित हुआ ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन का कार्यक्रमआयोजित हुए कई पैनल डिस्कशनलाइफ रिपोर्टर पटनाकैंसर भारत में एक तबाही का रूप ले रहा है, इसकी वजह से न केवल मरीज बल्कि पूरा का पूरा परिवार तबाह हो जाता है. यह बातें मशहूर सर्जन डॉक्टर एए हई ने ग्रामीन […]

कैंसर के कारणों को रोकने की जरूरतदूसरे दिन भी आयोजित हुआ ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन का कार्यक्रमआयोजित हुए कई पैनल डिस्कशनलाइफ रिपोर्टर पटनाकैंसर भारत में एक तबाही का रूप ले रहा है, इसकी वजह से न केवल मरीज बल्कि पूरा का पूरा परिवार तबाह हो जाता है. यह बातें मशहूर सर्जन डॉक्टर एए हई ने ग्रामीन स्नेह फाउंडेशन द्वारा आयोजित हेल्थ एंड वेलनेस फेस्टिवल-2016 के दूसरे दिन पैनल डिस्कशन में हिस्सा लेते हुये कही. श्री हई ने कहा कि कैंसर की बढ़ती रफ्तार चिंता का विषय है. आज देश में करीब 40 प्रतिशत कैंसर तंबाकु की वजह से, पंद्रह प्रतिशत मोटापे की वजह से, दस प्रतिशत लाइफस्टाइल की वजह से, छह प्रतिशत खानपान और चार से पांच प्रतिशत वंशानुगत होता है और इसमें भी करीब 25 प्रतिशत कैंसर ऐसे होते हैं जिनके होने की वजह का पता नहीं चलता है. एक्सपर्ट्स ने दिये अपने सुझावडिस्कशन में आगे अपनी बात रखते हुए डॉक्टर हई ने कहा कि कैंसर को रोकने के के लिए तंबाकू,शराब और मोटापे पर रोक लगाना जरूरी है. इसके अलावा व्यायाम और संतुलित आहार पर भी ध्यान रखाना होगा. युवा पीढ़ी को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि वह फास्टफूड को पसंद करती है लेकिन उसे अपनी कमजोरी ना बनाये. उन्होंने आगे कहा कि बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से बात हुई है. जिसके अंतर्गत संभवत: अगले साल से तंबाकू क्या है ? इसके क्या नुकसान हैं? जैसे अहम मुद्दों पर एक चैप्टर शामिल किया जायेगा. डिस्कशन को आगे बढ़ाते हुए डाक्टर जेके सिंह ने कहा कि बिहार में मुंह का कैंसर आम है. लगभग 97 प्रतिशत लोगों में इस तरह का कैंसर पाया जाता है. तंबाकु उत्पाद से बने खैनी, सिगरेट्, गुटका से कैंसर धीरे धीरे बनता है. इसके लक्षण सामने आने में करीब 15 से 20 सालों को वक्त लग जाता है. इससे लोगों में यह धारणा भी हो जाती है कि जब उसे कैंसर नहीं हो रहा है तो मुझे क्यों होगा ? आज हालात यह है कि करीब एक लाख लोग प्रति माह के औसत से सलाना 12 लाख लोग हर साल अपने देश में कैंसर का शिकार हो रहे हैं. बिहार में करीब 54 प्रतिशत लोग तंबाकु चबाते हैं. इस स्थिति पर तभी काबू पाया जा सकता है जब शिक्षा और जानकारी हो. इस रोग पर और ध्यान देने की जरूरतइस डिस्कशन में हिस्सा लेते हुए इंडिया टूडे के पूर्व एडिटर डाॅक्टर दिलीप मंडल ने कहा कि अपने देश में हेल्थ की प्रथमिकता बहुत अलग है. करीब 20 साल हमने एड्स जैसी बीमारी के ऊपर गंवा दिया है. अब दुबारा कैंसर के ऊपर काम हो रहा है. कैंसर हमारे जीवन में अंधेरा ला देता है मगर इस पर सरकार का ध्यान कम और एड्स पर ज्यादा है. ऐसे हालात के लिए मीडिया भी जिम्मेदार है. इसके लिए जो भी अल्टरनेटिव मेडिसीन है उसे जादू की छड़ी ना समझे. साथ ही तंबाकु को ग्लैमराइज करने को भी बंद करना होगा. कैंसर का पटना में भी वही ईलाज है, जो एम्स दिल्ली और टाटा में है. वहीं यूनिसेफ के बिहार प्रतिनिधि यामी मजूमदार ने बताया कि यूनिसेफ़ बच्चों के साथ जागरूकता अभियान चला सकती है ताकि वो आगे से बीमारियों के प्रति सचेत रहे. कैंसर से प्रिवेंशन सबसे ज्यादा बेहतर है. चीन में लोग बहुत स्मोक करते हैं इसलिये वहां लंग्स कैंसर का ग्राफ बहुत ऊंचा है. मैक्स हॉस्पीटल की ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रमुख डाक्टर मीनू वालिया ने कहा कि जिन चीजों से भारत बदल सकता है उन चीजों पर हमारा ध्यान नहीं है. आज देश की महिलाओं में सबसे ज्यादा सरवाइकल कैंसर के केस हैं. अभी तक हमारा देश दुनिया का डायबिटिक हब था लेकिन अगर कैंसर की यही रफ्तार रही तो जल्द ही यह कैंसर का हब हो जायेगा. हमारे देश में पैसे नहीं हैं इसलिए जागरूकता जरूरी है. पैनल के अपनी बात रखते हुए मनीषा कोइराला ने कहा कि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं लेकिन अपने इलाज के दौरान जो मैंने सीखा, समझा और महसूस किया वह शेयर कर रही हूं. इस डिस्कशन में सरवाइकल कैंसर से बचाव करने वाली वैक्सीन के बारे में भी जानकारी दी गयी. साथ ही यह भी बताया गया कि इसके डोज कितने की है और बचाव के लिए कितना टीका लगाना होगा. इस बात की भी जानकारी दी गयी. दूसरे सत्र के पैनल डिसकसन में दूसरे सत्र में प्रधान सचिव बिहार सरकार त्रिपुरारी शरण, युवा आचार्य शुभम जी महाराज, वर्ल्ड एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस नीदरलैंड के डॉक्टर रमेश चौहान, काउंसलर हिलर्स की शान खटाऊ, इप्टा के मशहुर कलाकार तनवीर अख्तर और न्युयार्क की डाक्टर सुनीता शाह ने भी भाग लिया. इस आयोजन में आचार्य शुभम जी महाराज ने कहा कि जीवन पृथ्वी के सामान है. अगर हमारा एटिट्यूड हेल्दी होगा ताे जीवन सुंदर होगा. वहीं मशहूर रंगकर्मी तरवीर अख्तर ने कहा कि आदमी जब बीमार होता है तो वह कसरत और योगा के बारे में कम सोचता है लेकिन परफॉर्मिंग आर्ट को देख कर वह खुश होता है. वहीं डॉक्टर रमेश चौहान ने कहा कि लोग इस बात को भूल जाये कि कैंसर पुरानी बीमारी है. अंतर यह है कि चार हजार साल पहले लोग अपने शरीर को खुद का शरीर समझते थे और अाज अपने शरीर को डॉक्टर का शरीर समझते हैं. इस मौके पर डॉक्टर सुनीता शाह ने एक डेमो को प्रस्तुत किया.आयोजित हुए कई और कार्यक्रमआयोजन के दूसरे दिन इस हेल्थ एंड वेलनेस फेस्टिवल में लॉफ्टर थेरापी का आयोजन किया. इसमें लाफ्टर गुरू एचएल कटारिया ने हिस्सा लिया. इसके अलावा वहां लगे अलग-अलग स्टॉलों, कोरियन थेरापी सेंटर पर लोगों की मौजूदगी दर्ज की गयी.

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