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कम ठंड से गेहूं और मसूर की उपज में आयेगी कमी

किसी रसायनिक खाद से भी नहीं बचा जा सकता है मौसम की मार के सामने सब-के-सब हैं बेबस पटना : इस साल औसत से कम ठंड पड़ने से गेहूं और दलहन की फसल प्रभावित होगी. यदि तापमान में कमी नहीं आयी, तो फसल की उपज बुरी तरह प्रभावित होगी. मौसम की इस मार से न […]

किसी रसायनिक खाद से भी नहीं बचा जा सकता है
मौसम की मार के सामने सब-के-सब हैं बेबस
पटना : इस साल औसत से कम ठंड पड़ने से गेहूं और दलहन की फसल प्रभावित होगी. यदि तापमान में कमी नहीं आयी, तो फसल की उपज बुरी तरह प्रभावित होगी. मौसम की इस मार से न ही किसी रसायनिक खाद से बचा जा सकता है अौर न ही अतिरिक्त सिंचाई कर फसल की क्षित को कम किया जा सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फिलहाल तापमान में वृद्धि में लगातार परिवर्तन हो रहा है. यदि आने वाले समय में तापमान में कमी आयी तो आमतौर पर गेहूं या दलहन की फसल की क्षति कम होगी. मौसम की मार से राज्य सरकार द्वारा रबी फसल के उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं होगा.
राज्य सरकार 2016 में 23.5 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य तय किया है. यह लक्ष्य राज्य में औसत 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन के आधार पर तय किया गया है.
वहीं, मसूर की खेती के लिए 1.5 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया गया है. मसूर की उपज प्रति हेक्टेयर 12 क्विंटल होता है. सरकार दलहन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष दलहन के लिए लक्ष्य को बढ़ा रही है.
तापमान बढ़ने से उचित विकास नहीं होगा. संपूर्ण विकास के बजाय बीच में ही फूल और फल आने लगता है, जिससे उपज में भारी कमी आती है. तापमान में यदि वृद्धि हुई तो आम पर भी इसका असर दिखेगा.
प्रभात कुमार, संयुक्त निदेशक, पौधा संरक्षण

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