पटना : सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया में तेजी लायी जायेगी. राजपत्रित और अराजपत्रित पदों के एक ही परीक्षा आयोजित होगी. इसमें अंकों के आधार पर च्वाइस पोस्टिंग की जायेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को सरकारी पदों पर नियुक्तियों के लिये बहाली प्रक्रिया में तेजी लाने का कड़ा निर्देश दिया है. मंगलवार को सामान्य प्रशासन विभाग की कामकाज की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बहाली प्रक्रिया में तेजी आने से खाली पड़े रिक्त पदों पर जल्द भर्ती हो सकेगी. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में कई महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं, इसका असर विभागीय काम और योजनाओं पर पड़ता है.
उन्होंने कहा कि इसके लिये बिहार लोक सेवा आयोग और बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग आवश्यक व्यवस्था करने का टास्क दिया. उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर जो सहयोग की अपेक्षा है, उन्हें हरसंभव सहयोग मिलेगा, लेकिन बहाली शीघ्र हो, इससे राज्य के कामकाज में तेजी आयेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग वार्षिक कैलेंडर तैयार करे और निर्धारित समयानुसार विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन करे. उन्होंने कहा कि राजपत्रित एवं अराजपत्रित पदों पर नियुक्ति के लिये अलग- अलग प्रारंभिक एवं लिखित परीक्षा का करने के बजाय एक ही लिखित परीक्षा के आयोजन पर आयोग विचार करे. इस परीक्षा में प्राप्त अंक तथा च्वाईस के आधार पर विभिन्न पदों पर चयन किया जाय. इससे समय की बचत होगी और बहाली की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी. इस संबंध उन्होंने आवश्यक प्रस्ताव लाने का अधिकारियों को निर्देश दिया.
मुख्मयंत्री ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग विभिन्न विभागों से वेंकेसी की अधियाचना ले. सरकारी नियमानुसार सभी प्रकार से इसकी जांच कर अधियाचना संबंधित आयोग को भेजी जाय. आयोग का कार्य परीक्षा लेकर नियुक्ति के लिये अनुशंसा भेजना है. उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को यह भी निर्देश दिया कि नियुक्तियों के लिये अधियाचना भेजने की समय सीमा तय होनी चाहिए. उस तिथि तक हरेक विभाग को उस वर्ष के लिये रिक्ति भेज देनी होगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये प्रमुख विषयों, जिसमें अधिक रिक्तियां हैं, उनकी भर्ती प्राथमिकता के आधार पर की जाये. इसी प्रकार डॉक्टर, इंजीनियर, कृषि सेवा आदि पदों के लिये लिखित परीक्षा को समाप्त करने पर विचार करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा के बाद सीधे साक्षात्कार होना चाहिये. इसके लिये एक्ट या नियमावली में यदि संशोधन की आवश्यकता है तो इस पर भी विचार कर प्रस्ताव सौंपें.
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