स्टोरी : 44 करोड़ गबन, 43 एफआइआर, वसूली बस छह लाखफ्लैगघोटालेबाज राइस मिलर के आगे बौना साबित हो रहा खाद्य निगम- आरोपित बनाये गये 49 लोगों में से 31 ने कोर्ट से ले रखी है जमानत – बड़े पैमाने पर गबन होने के कारण पुलिस मुख्यालय मामले की कर रहा मॉनीटरिंग – 15 दिनों के अंदर की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट एसएसपी कार्यालय से जाती है पुलिस मुख्यालय नितिश, पटनापटना जिला में प्रमादी मिलरों (राइस मिलर) ने 44.38 करोड़ की राशि गबन कर ली. इन लोगों ने बिहार राज्य खाद्य निगम से 44 करोड़ रुपये कीमत का धान लिया, लेकिन उसे लौटाया नहीं. हर साल राइस मिलरों ने गबन किया, लेकिन इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगी और हमेशा इस तरह के गाेलमाल होते रहे. किसी ने 30 लाख तो किसी ने 50 लाख का धान गबन कर लिया. राइस मिल खोला गया और बिहार राज्य खाद्य निगम में सिक्यूरिटी मनी की राशि जमा कर लाखों का धान ले लिया और फिर आराम से बैठ गये. निगम ने जब अपने धान के बदले चावल की मांग की, तो कुछ-न-कुछ बहाना बना कर टालमटोल करते रहे. अंत में निगम के पास प्राथमिकी कराने के अलावा कुछ भी बचा नहीं था. इसके बाद अब तक पटना जिले के विभिन्न थानों में राइस मिलरों के खिलाफ 43 एफआइआर दर्ज की जा चुकी है और 49 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इनमें से 31 आरोपित राइस मिलर मालिकों ने जमानत करा ली और एक की गिरफ्तारी पर रोक है. सिक्यूरिटी मनी से ही संतोष कर रहा निगम इतनी बड़ी राशि के धान का गबन होने का मामला प्रकाश में आते ही सरकार में भी हलचल शुरू हो गयी. आनन-फानन में पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को इन लोगों के खिलाफ हो रही कानूनी कार्रवाई की मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया. इसके बाद उन मामलों में त्वरित अनुसंधान व निर्गत वारंट व कुर्की जब्ती आदेश पर की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट एसएसपी स्तर से हर 15 दिन पर मांगा जाने लगा, ताकि पुलिस मुख्यालय के अधिकारी भी उस रिपोर्ट के माध्यम से आगे की कार्रवाई का निर्देश दे सके. लेकिन, इन सबके बीच राइस मिलर भी काफी तेज निकले. कई मिलरों ने जमानत ले ली. अब तक इन राइस मिलरों से 44 करोड़ राशि में से मात्र साढ़े छह लाख की राशि ही बिहार राज्य खाद्य निगम वसूल पाया है. वह भी सिक्यूरिटी मनी को जब्त कर राशि वसूली गयी है. खाद्य निगम ने दर्ज करायी है प्राथमिकी यह सारे मामले प्रकाश में आते ही खाद्य निगम के जिला प्रबंधक ने अपने बयान पर संबंधित राइस मिलरों के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. डेढ़ दर्जन प्राथमिकी केवल इस साल अप्रैल व मई माह में दर्ज करायी गयी हैं. खास बात यह है कि अधिकांश गबन के मामले विक्रम व बिहटा थानाें के इलाकों में स्थित राइस मिलरों के हैं. इसके अलावा नौबतपुर, फतुहा, दनियावां, जानीपुर, रानी तालाब, मनेर, बाढ़, शाहपुर, दीदारगंज, पुनपुन थाने में भी राइस मिलरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है. सवालों के घेरे में निगम हर साल प्रकाश में आ रहे गबन के मामले के कारण खाद्य निगम भी सवालों के घेरे में है. निगम की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ही कमजोर है, जिसके कारण राइस मिलर आसानी से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद लाखों रुपये का धान निगम से लेने के बाद फिर उसे लौटाते नहीं है. और, निगम भी उनसे अपने धान के बदले में चावल वसूल नहीं पाया और राइस मिलर लखपति बन गये. निगम बस उनके सिक्यूरिटी मनी को ही जब्त कर संतोष करना पड़ा. दूसरे जिलों में भी किया लाखों का गबन पटना जिला के साथ ही अन्य जिलाें के भी खाद्य निगम से भी पटना जिले के कुछ प्रमादी मिलरों ने लाखों का धान उठाया था. लेकिन, वे सारा का सारा गबन कर गये. उन जिलों के निगम के अधिकारियों ने भी पटना जिला के संबंधित थानों में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
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स्टोरी : 44 करोड़ गबन, 43 एफआइआर, वसूली बस छह लाख
स्टोरी : 44 करोड़ गबन, 43 एफआइआर, वसूली बस छह लाखफ्लैगघोटालेबाज राइस मिलर के आगे बौना साबित हो रहा खाद्य निगम- आरोपित बनाये गये 49 लोगों में से 31 ने कोर्ट से ले रखी है जमानत – बड़े पैमाने पर गबन होने के कारण पुलिस मुख्यालय मामले की कर रहा मॉनीटरिंग – 15 दिनों के […]
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