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अलग करना हो, तो आउट ऑफ बॉक्स सोचिए

अलग करना हो, तो आउट ऑफ बॉक्स सोचिएलाइफ रिपोर्टर.पटनाजिंदगी में कुछ करना हो, तो अलग सोचिए. सब कोई आइंसटीन, न्यूटन या गैलेलियो नहीं बन सकता. न ही कोई गावस्कर, सचिन और सेहवाग बन सकता है. सब की अपनी शैली है और सभी इसलिए दुनिया में जाने जाते हैं क्योंकि इन सभी ने लीक से हट […]

अलग करना हो, तो आउट ऑफ बॉक्स सोचिएलाइफ रिपोर्टर.पटनाजिंदगी में कुछ करना हो, तो अलग सोचिए. सब कोई आइंसटीन, न्यूटन या गैलेलियो नहीं बन सकता. न ही कोई गावस्कर, सचिन और सेहवाग बन सकता है. सब की अपनी शैली है और सभी इसलिए दुनिया में जाने जाते हैं क्योंकि इन सभी ने लीक से हट कर काम किया और अपने गुरुओं का आदर किया. इसलिए ये महान बने. ये कहना है पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान कृष्णनमाचारी श्रीकांत का. वे बुधवार को होटल चाणक्या में अपनी किताब की सीरीज के लॉन्चिंग पर बोल रहे थे. उनकी किताब को ब्रिटानिका लर्निंग ‘नॉलेज विदआउट बाउंड्रीज’ ने पब्लिश किया है. उनकी किताब का नाम ‘स्टेप ऑफ लाइफ’ पावर प्ले सीरीज है. यह लेवल एक से लेवल नौ तक नौ किताबों की सीरीज है, जो स्कूली बच्चों के लिए लिखी गयी है. श्रीकांत ने बताया कि मुख्य रूप से उनकी किताब का लक्ष्य बच्चों की प्रतिभा को तलाशने, तराशने और उन्हें प्रोत्साहित करना है.इस किताब द्वारा उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि कैसे आज के भाग-दौड़ भरी जिंदगी में बच्चे न सिर्फ अच्छे नंबर ला सकते हैं, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता, प्रेरणा, टीम बिल्डिंग और कॉम्यूनिकेशन स्किल्स भी डेवलप किये जा सकते हैं.दौर के हिसाब से खुदको बदलोश्रीकांत ने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि जब 1983 के वर्ल्ड कप में भारत ने जिंबाब्वे के खिलाफ महज 17 रन पर पांच विकेट खो दिये थे और श्रीकांत और गावस्कर सहित सभी टॉप ऑर्डर बल्लेबाज आउट हो गये थे, तब कोई सोच नहीं सकता था कि भारत यह मैच जीत पायेगा, पर कपिल देव ने कप्तानी पारी खेलते हुए नाबाद 175 रन बनाकर टीम इंडिया को जीत दिलायी. इसलिए आप जब तक जीवित को उम्मीद मत छोड़ो. अपनी सफलता के लिए काम करते जाओ और यदि बार-बार नाकामी हाथ लगे, तो यह सोचो कि आखिर कमी कहां रह गयी है और उस कमी को दूर करने के लिए प्रयास करो.सम्मान करना सीखोश्रीकांत ने कहा कि मैं उत्तर भारतीय लोगों का सम्मान करता हूं क्योंकि उन्हें तहजीब के लिए जाना जाता है. हम अपने बड़े जनों का प्रणाम करते हैं, ताकि उनकी ऊर्जा हमारे अंदर आ सके. उन्होंने सचिन और सेहवाग का उदाहरण देते हुए कहा कि सचिन, सेहवाग और गावस्कर जैसे खिलाड़ी इसलिए सफल हुए क्योंकि वे न सिर्फ अपने बड़ों का, बल्कि अपने बैट, ग्लव्स और पैड की पूजा करते थे. जीरो पर भी आउट होने पर भी कभी उनका अनादर नहीं किया करते थे.धौनी थे बेस्ट कप्तानउन्होंने धौनी का उदाहरण देते हुए कहा कि धौनी अब तक के बेस्ट कप्तान हैं. उनकी बेस्ट क्वालिटी उनका कूल रहना है. वे माहौल के हिसाब से बैटिंग तो करते ही हैं, पर अपने टीम के खिलाड़ियों से भी दिल से जुड़े हुए थे. किस खिलाड़ी से कब बैटिंग करवानी है और किससे बॉलिंग यह उनसे सीखना चाहिए. स्लॉग ओवर में भी उनकी फील्डिंग सजाने का तरीका बाकियों से भिन्न था. इसलिए वे सबसे सफल कप्तान बने. उन्होंने कहा कि यदि आपको भी सफल बनना है, तो असफलता के डर का निकालिए और कुछ अलग करने और सोचने की क्षमता विकसित कीजिए.

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