– आलोकद्विवेदी –
संचालक रखते हैं सिर्फ किराये से मतलब, पुलिस नहीं लेती किरायेदारों की जानकारी जुटाने में रुचि
पटना : पटना शहर धीरे-धीरे एजुकेशन हब बनता जा रहा है और यहां हॉस्टल की संख्या भी उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही है. इन हॉस्टल्स में छात्र के नाम पर कई बार अपराधी भी ठहरते हैं, लेकिन इससे हॉस्टल संचालक को कोई लेना-देना नहीं होता है.
वे सिर्फ किराये के नाम पर मिलनेवाली रकम से ही मतलब रखते हैं. उन्हें ये जानकारी नहीं होती है कि उनके हॉस्टल में रहनेवाले कौन हैं और वे क्या करते हैं. न तो हॉस्टल संचालकों के पास कोई रिकॉर्ड होता है और न आने-जानेवालें पर नजर रखी जाती है.पटना में 3000 से अधिक हॉस्टल है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में मात्र 230 हॉस्टल दर्ज है.
पुलिस को भी नहीं है जानकारी: दस कमरे के मकान में करीब एक ही उम्र के तीस से अधिक लोग. पूरे दिन चहलकदमी, लेकिन पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों को ही कोई जानकारी नहीं है कि उनके क्षेत्र में हॉस्टल का संचालन हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हॉस्टल मालिक संबंधित थाने में हर माह मोटी रकम देते हैं. इससे उनको अप्रत्यक्ष रूप से हॉस्टल संचालन की सहमति मिल जाती है.
सितंबर 2012 में जारी हुआ था आदेश: एसपी का कहना है कि उन्होंने सितंबर 2012 में डीएसपी और थानाध्यक्षों को निर्देश दिया था कि वह अपने क्षेत्र में चलनेवाले हॉस्टल्स के बारे में जानकारी एकत्रित करके उसकी सूचना रिकॉर्ड में रखें.
एसपी सिटी जयंतकांत के आदेश पर पुलिस के आलाधिकारियों ने अपने संबंधित थानाक्षेत्र में लगभग 100 हॉस्टलों का सत्यापन किया था. उस दौरान हॉस्टल में रहनेवाले लगभग 2500 छात्रों के बारे में पूरा रिकॉर्ड तैयार किया गया था. इसमें आदमकुंआ, आलमगंज, बहादुरपुर, पाटलीपुत्र के 20 हॉस्टल्स के 400 लोगों का सत्यापन हुआ.
क्यो नहीं देते है सूचना: पुलिस सूत्रों के अनुसार हॉस्टल का संचलन एक व्यवसाय है, जिसके तहत बिजली, पानी और आवास के लिए व्यावसायिक टैक्स देना अनिवार्य है. इसके साथ ही हॉस्टल के संचालन के लिए मानक का निर्धारण किया गया है. इसके अनुसार 5000 रुपये वसूलने वाले हॉस्टल में 4 फीट चौड़ी और सवा छह फीट लंबी एक बेड, अलमारी, मेज कुरसी, पंखा, टेबुल लैंप होना अनिवार्य है.
इसके साथ ही कमरे ऐसे हो जहां पर पर्याप्त मात्र में रोशनी, हवा आती हो. पीने के लिए साफ पानी के साथ ही साफ-सुथरा बाथरूम हो. हॉस्टल के बाहर टहलने के लिए लॉन और पार्किग की व्यवस्था हो.
हॉस्टल के सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान देने के साथ ही सुबह व शाम के नाश्ता, भोजन, चाय, दूध सही तरीके से हॉस्टल में रहनेवालों को उपलब्ध कराया जाये. जिसे बचाने के लिए संचालन हॉस्टल में रहनेवालों के बारे में रिकॉर्ड पुलिस को नहीं देते हैं.