एक सप्ताह में ठंड दिखायेगी अपना रंगठंड का मौसम वैसे तो कब से शुरू हो गया है, लेकिन ठंड इतनी कम पड़ रही है कि यह लोगों को डरा नहीं पा रही है. अभी भी ऐसे कई लोग हैं, जो पंखा और एसी चला रहे हैं. बिना स्वेटर के घूम रहे हैं. कुछ स्वेटर पहन भी रहे हैं, तो हाफ स्लीव्स का पहन रहे हैं. लोगों को इंतजार है कि कब कड़ाके वाली ठंड आयेगी. सब सोच रहे हैं कि इस बार ठंड इतनी देर से क्यों आ रही हैं? लाइफ रिपोर्टर, पटनादिसंबर माह के छह दिन बीत गये. लोग आसमान की ओर टकटकी लगाये हैं. मौसम रोजाना धोखा दे रहा हैं. ठंड अपने स्तर पर नहीं पहुंच पा रही है. पहले तो दिवाली के समय से ही शीत ऋतु की शुरुआत हो जाती थी, लेकिन बीते तीन सालों से सब कुछ बदल गया है. हर मौसम देर से आ रही है. पहले नवंबर में ठंड अपनी रफ्तार पकड़ लेती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. दिसंबर की शुरुआत हुए सात दिन हो गये हैं, लेकिन अब तक ठंड लोगों को डरा नहीं पायी है. बेफ्रिक बिना स्वेटर और जैकेट के सड़कों पर घुमते युवा तो इस तरह के मौसम से खुश है. वहीं बुजुर्ग लोगों को डर सता रहा है कि प्रकृति के साथ कुछ ज्यादा ही छेड़छाड़ हुआ है, यह ठीक नहीं है. मौसम वैज्ञानिक भी इसका दोषी मनुष्य को मानते हैं. मौसम में आये इस बदलाव को लोग महसूस तो कर रहे हैं, पर चिंता किसी को नहीं हो रही कि इसका कारण क्या है? बस चरचा हो कर रह जाती है कि ठंड अभी ठीक से आयी नहीं है. ऐसे में बदलते मौसम पर भारत मौसम विज्ञान विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरके गिरि ने अपनी बात रखी. एक सप्ताह में ठंड अपने स्तर पर आ जायेगीआर के गिरि ने कहा कि अभी मॉइस्चर बढ़ा हुआ है. इसे घटने में कुछ और समय लगेगा. तीन-से-चार दिन में मॉइस्चर कम होगा. जब नमी धीरे-धीरे खत्म होगी, तक ठंड अपना रंग दिखायेगी. अभी बादल भी करीब डेढ़-दो किलोमीटर नीचे है. अभी बादल की लेयर भी मोटी नहीं है. ठंड राजस्थान, एमपी, यूपी होते हुए बिहार आती है. अभी भी ठंड आने में करीब एक सप्ताह लग जायेगा. वैसे बिहार का क्लाइमेट 2013 से ही चेंज हुआ है. नवंबर तक ठंड उतनी नहीं गिरती है, जितनी गिरनी चाहिए. इसका कारण है क्लाइमेंट चेंज. गांवों व शहरों के तापमान्य में ज्यादा अंतर नहीं मौसम वैज्ञान गिरी ने कहा कि मौसम हर मामले में चेंज हो रहा है. बरसात में समय पर बारिश नहीं होने से काफी खराब प्रभाव पड़ा है. गरमी में गरमी चरम पर होती है. समय पर फसल भी नहीं हो रही है. ठंड के मौसम में जो पक्षी यहां आते हैं, उनका आना भी कम हो गया है. इसका कारण यह है कि हम लोग अपने अनुसार ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं और इसी का नतीजा है कि क्लाइमेंट चेंज हो रहा है और यह काफी नीचे स्तर पर चला गया है. इसका ताजा उदाहरण चेन्नई है. अभी तो बदलते मौसम में भारी होती हवा, वाहनों के प्रदूषण, धूल व कचरे को जलाने से उत्पन्न धुएं, कंस्ट्रक्शन का काम, पॉल्यूशन के घातक परिणाम ही सामने आये हैं. अभी शहरों व गांवों के तापमान में ज्यादा अंतर नहीं रह गया है. खास कर शहर से सटे गांवों का. अब गांवों के आसपास स्थित पेड़-पौधों को नष्ट कर छोटे-छोटे शहर बसाये जा रहे हैं. यह भी खतरनाक है. 24 दिसंबर के बाद शुरू होगी ठंडी हवा धीरे-धीरे मौसम नॉर्मल होता जायेगा और एक सप्ताह में ठंड भी अपनी गति पकड़ने लगेगी. उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर के बाद से ठंडी हवा बहनी शुरू होती है, जो जनवरी के मध्य तक चलती है. पश्चिमी हवा बन रही है. अभी उत्तरी-पश्चिम से हवा आ रही है. जब उत्तर से ठंडी हवा आती है, तो तापमान में गिरावट आती है. रात का तापमान गिरता है, जो अभी हो रहा है. अधिकतम तापमान में 15-16 दिसंबर के बाद से हिमाचल प्रदेश से ठंडी हवा चलेगी, जो धीरे-धीरे दिल्ली, राजस्थान, एमपी, यूपी और बिहार में प्रवेश करेगी. बातचीत दीपावली से ही ठंड के दिनों की शुरुआत होती है, लेकिन पिछले तीन साल से परिस्थितियां बदल गयी हैं. पहले दिवाली से ही गांव के लोग अपने घर के भीतर सोना शुरू कर देते थे. दिवाली से पहले तक खुले आसमान के नीचे छत पर हम लोग अपने परिवार के साथ सोते थे. यह सिलसिला दिवाली तक ही चलता था. इसके बाद से तो ठंड अपना रंग दिखाना शुरू कर देती थी, लेकिन इस वर्ष तो दिसंबर के सात दिन बीतने पर भी ठंड अपने रंग में अब तक नहीं दिख रही है. सकल देव वात्सायनदो-तीन साल से ठंड समय पर नहीं आ रही है. पहले तो ठंड का अनुभव दिवाली से होने लगता था. रात को ही ठंडी हवा चलने लगती थी. दिवाली के रात को जब लक्ष्मी पूजा होती थी, तो बच्चे स्नान करने से डरते थे. पूजा करने के लिए चादर डाल कर बैठना पड़ता था. छत तक लोगों अपने स्वेटर धारण कर लेते थे, लेकिन अब तो स्थिति काफी खराब हो गयी है. शांति देवी,
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एक सप्ताह में ठंड दिखायेगी अपना रंग
एक सप्ताह में ठंड दिखायेगी अपना रंगठंड का मौसम वैसे तो कब से शुरू हो गया है, लेकिन ठंड इतनी कम पड़ रही है कि यह लोगों को डरा नहीं पा रही है. अभी भी ऐसे कई लोग हैं, जो पंखा और एसी चला रहे हैं. बिना स्वेटर के घूम रहे हैं. कुछ स्वेटर पहन […]
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