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अपनों के ही थे खूनी पंजे जिसने दुनिया उजाड़ दी
इस बार क्राइम कथा में सीवान में हुए व्यवसायी के अपहरण व हत्या की तहकीकात… विजय सिंह पटना : रोज भोर के ठीक पांच बजे हरिशंकर सिंह (40 वर्षीय) की नींद टूट जाती है. वह पलंग से उठते हैं, भगवान का नाम लेते हैं और बेड-टी लेने के बाद ट्रैक सूट पहन कर मॉर्निंग वॉक […]
इस बार क्राइम कथा में सीवान में हुए व्यवसायी
के अपहरण व हत्या की तहकीकात…
विजय सिंह
पटना : रोज भोर के ठीक पांच बजे हरिशंकर सिंह (40 वर्षीय) की नींद टूट जाती है. वह पलंग से उठते हैं, भगवान का नाम लेते हैं और बेड-टी लेने के बाद ट्रैक सूट पहन कर मॉर्निंग वॉक के लिए निकलते हैं. पर, आज (15 नवंबर 2015, दिन रविवार) उनकी नींद नहीं टूट रही है. 5.30 बजे हैं. पलंग के ठीक सामने दीवाल घड़ी लगी हुई है. सूई की टिक-टिक की आवाज उनके कानों में महसूस होने लगी है. अचानक से लगा कि कोई नींद से जगा रहा है. वह चौंक कर उठे और उन्होंने अगल-बगल देखा, तो वहां कोई नहीं था.
अच्छी सुबह की शुरुआत थी
घड़ी पर नजर गयी, तो उन्हें समझ में आया कि कौन उनकी कुंभकर्णी नींद से जगा रहा था. शायद यह अहले सुबह की हवाखोरी की आदत थी, जो लेट होने के कारण उन्हें झकझोर रही थी. मॉर्निंग वाॅक आदत में तब शुमार हुई, जब हरिशंकर को कुछ साल पहले पता चला कि उन्हें शुगर है. पहले डाॅक्टर की सलाह पर अमल किया. अबएक अच्छी सुबह की शुरुआत इसी से होती है.
25 साल पहले आये थे
सीवान जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी की दूरी पर मौजूद पचरुखी बाजार में करीब 25 साल पहले हरिशंकर के पिता आये थे. तब से यह बाजार हरिशंकर की कर्मभूमि बनी हुई है. सीवान जिले के ही जीबी नगर का सकरा गांव उनका पैतृक स्थान है. पचरुखी बाजार में खाद-बीज, दवा व ईंट-भट्ठे का व्यवसाय है. दिन भर की थकान के बाद वह जल्दी सो जाते हैं और सुबह मॉर्निंग वॉक उन्हें उर्जावान बनाता है.
यह है मामला
12 मिनट में सरेराह किडनैपिंग
देर से उठने के बाद अब वह पलंग छोड़ चुके हैं. सामने टेबल है. आज का न्यूज पेपर रखा हुआ है. सरसरी नजर से पेपर देखते हैं और फिर नित्य क्रिया के बाद मॉर्निंग वॉक के लिए निकल पड़े. घर के सामने रेलवे ट्रैक है और करीब 200 मीटर की दूरी पर पचरुखी रेलवे स्टेशन.
वह टहल रहे हैं. सुबह की ठंडी हवा उन्हें तरोताजा कर रही है. अचानक से पीछे से जोर से धक्का लगा और दोनों पैर हवा में उठ जाते हैं, जैसे पैरों तले जमीन खिसक गयी हो, दोनों बाजुओं को कुछ लोगों ने अपने बाहुबल से जकड़ लिया है. वह चिल्लाना चाह रहे हैं, पर उनके मुंह पर खूंखार पंजा है, जो उनके जबड़े को मरोड़ रहा है. ठीक छह लोगों ने उन्हें किडनैप कर लिया है. उनके हाथ में पिस्टल है, जो हरिशंकर की कनपट्टी पर तनी हुई है.
वह तेजी से सड़क के किनारे खड़ी स्लेटी रंग की बोलेरो की तरफ ले जाये जा रहे हैं.गाड़ी के बीच वाली सीट का डोर खुला है, उन्हें गाड़ी में ठूंसा जा रहा है. वह विरोध कर रहे हैं. अपहर्ताआें का गुस्सा सातवें आसमान पर, गाड़ी के पास सड़क पर उतारा और उनकी पीठ पर दो बार कुहनी से तेज प्रहार किया. इस चोट ने हरिशंकर के शरीर को 90 डिग्री पर मोड़ दिया. किडनैपर उठा कर गाड़ी में पटक दिया और लेकर चल दिये. 12 मिनट के अंदर किडनैपिंग हो गयी.
15 नवंबर को पुलिस फाइल में पहुंचा मामला
गाड़ी फुल रफ्तार में निकल गयी. पचरुखी स्टेशन पर मौजूद लोगों की आंखें फटी रही गयीं.सब कुछ उनके सामने हुआ. हल्ला हुआ, पुलिस पहुंची. बगल में घर होने के कारण हरिशंकर के भाई भी मौके पर पहुंचे. उन्हें शक हुआ, कहीं भइया का अपहरण तो नहीं हो गया….वह फोन मिलाने लगे. मोबाइल स्विच ऑफ है. पल भर में तसवीर साफ हो गयी. कुछ लोगों ने किडनैपिंग के दौरान हरिशंकर को पहचान लिया था. अब हरिशंकर के घर में हाय-तौबा मची है, रोना-धाेना शुरू हो गया. सब लोग थाने पहुंचे. दिवाकर के आवेदन पर 15 नवंबर को पचरुखी थाने में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज हो गया.
नदी-पहाड़ एक कर दीजिए, पर ढूंढ़ कर लाइए
हरिशंकर बड़े व्यवसायी हैं. अच्छी-खासी हैसियत है. मतलब की करोड़पति. पुलिस का शक है कि फिरौती के लिए किडनैपिंग हो गयी है. इधर, बड़े व्यवसायी का अपहरण टीवी पर घटना फ्लैश हो रही है. पुलिस हेड क्वार्टर पटना से लेकर सीवान एसपी सौरभ कुमार साह के माथे पर बल आ गया है.
विधानसभा का चुनाव परिणाम आ चुका है, महागंठबंधन की सरकार सत्तासीन होनेवाली है, ऐसे में यह किडनैपिंग क्या मैसेज देगी, इसकी चिंता मात्र ने सबको बैचेन कर दिया. एसपी को अल्टीमेटम मिला. जितनी जल्दी हो सके, बरामद करिये, नदी-पहाड़ एक कर दीजिए, पर ढूंढ कर लाइए. फोन-पर-फोन आ रहा है, सीवन के पुलिस महकमे में हड़कंप है.
यूपी से लेकर नेपाल तक घेराबंदी
एसपी ने एएसपी अरविंद कुमार गुप्ता को बुलाया, तत्काल एसआइटी गठित हुई. पहले सीवान, गोपलगंज के चर्चित अपराधी गैंग हिरासत में लिये गये हैं. यूपी से लेकर रक्सौल, नेपाल तक सीवान पुलिस ने करीब 50 लोगों को उठा लिया, पर न तो हरिशंकर का पता चल रहा है और न ही किडनैपरों का.
पूछताछ के बाद सबकाे छोड़ दिया गया. पुलिस पर दबाव भी बढ़ने लगा. बाजार बंद, सड़क जाम, प्रदर्शन सब हो रहा है. पुलिस का जीना हराम और हरिशंकर के घर स्यापा पसरा हुआ है. फिरौती की डिमांड भी नहीं आयी है. घरवाले तैयार हैं, जो लगे देंगे, बस हरिशंकर कुशल से घर आ जाये.
जांच में आयी बात
करीबियों के नाम पर गुस्सा गये थे परिजन
पुलिस ने मोबाइल टावर के लोकेशन और सिम कार्ड को इस्तेमाल करनेवालों का नमा-पता जान चुकी है. इसमें एक नाम पप्पू सिंह का है. यह हरिशंकर के सगे चाचा के लड़के हैं. वह जीवी नगर थाना क्षेत्र के पैतृक गांव सकरा में रहते हैं. मारपीट, चोरी, लूट के छोटे-छोटे मामलों में आरोपित भी रहे हैं.
पुलिस को उन पर शक है. तत्काल पुलिस ने हरिशंकर के भाइयों को बुलाया. पूछताछ हुई, जैसे ही पुलिस ने इस घटना में किसी करीबी का हाथ होने की बात हुई हरिशंकर के घरवाले भड़क गये. जवाब मिला, आप लोग फंसाना चाहते हैं, आप लोगों का काम ही यही है, 10 दिन बीत चुके हैं, कुछ पता नहीं लगा सके अभी तक, अब कह रहे हैं, करीबी का हाथ. हरिशंकर के भाई इस समय आपे से बाहर हैं, पुलिस उन्हें समझाने का प्रयास कर रही है.
पुलिस को जब लगा कि हरिशंकर के परिवार में कोई विवाद नहीं है, सब लोग मिल जुल कर रहते हैं तो पैतृक गांव के रहन-सहन, किसी प्रकार की रंजिश पर छानबीन हुई, पर कुछ हाथ नहीं लगा. घरवाले एक स्वर में बोल गये, हमारे परिवार में कोई ऐसा नहीं कर सकता. पुलिस शांत हो गयी. इसकी जानकारी एसपी को दी गयी. एसपी ने एएसपी के साथ ठोस रणनीति बनायी.
खुलासा हुआ तो सूख गये हलक
पप्पू सिंह का नाम पुलिस जान चुकी थी. 25 नवंबर की रात भारी पुलिस बल हरिशंकर के पैतृक गांव सकरा उनके चाचा के दरवाजे पर धमकी. पप्पू के बारे में पूछताछ हुई, तो पता चला कि वह पटना गये हैं. पुलिस ने जबरदस्त जाल बिछाया था. सामुदायिक भवन में छिपे पप्पू पकड गया.
पुलिस ने सवाल किया, 15 नवंबर की सुबह वह पचरुखी ट्रैक पर क्या कर रहे थे, सही जवाब नहीं दे सके. पप्पू ने बताया कि वह घर पर ही था. जब पुलिस ने उन्हें बताया कि किडनैपिंग के वक्त उनके मोबाइल टावर का लोकेशन वहीं से मिला है, फिर पुलिस ने थप्पड़ लगाये, तो वह सब कुछ उगल दिया. उनकी निशानदेही पर तुरंत 10 लोग गिरफ्तार कर लिये गये.
10 लाख के लालच ने चचेरे भाई को अंधा कर दिया
अपराधी आखिर अपराधी ही होता है, उसकी कोई जाति नहीं, धर्म नहीं, कोई अपना नहीं, रिश्ते के नाम पर कुछ ऐसा ही बदनुमा दाग निकला पप्पू. पूछताछ में जो राज सामने आये वह कुछ यूं थे.
बरहरिया भामो के रहनेवाले झूलन सिंह, दरौली बेलांव के रहनेवाले अजय राय और जामो थाना क्षेत्र के डोमरा गांव के अरविंद, इन तीन अपराधियों से पप्पू सिंह की मुलाकात सीवान जेल में हुई थी. यहीं दोस्ती हुई और बड़ा हाथ साफ करने की साजिश रची. जेल से बाहर आने पर झूलन सिंह ने पप्पू सिंह को 10 लाख रुपये देकर लालच के जाल में फंसा लिया. पप्पू पैसे के लोभ में अंधा हो गया और चचेरे भाई हरिशंकर के अपहरण की बिसात बिछ गयी.
हत्या नहीं करने का दिया था आश्वासन
अपराधियों में तय हुआ कि पप्पू के चचेरे भाई हरिशंकर का किडनैप किया जाये और चौबीस घंटे में एक करोड़ की फिरौती लेकर छोड़ दिया जाये. हरिशंकर को आश्वासन दिया गया कि हत्या नहीं की जायेगी.
पैसा मिलने के बाद सही सलामत छोड़ दिया जायेगा. पप्पू की जिम्मेदारी सिर्फ किडनैपिंग कराने तक थी, बाकी उन्हें छुपाना और फिरौती वसूलना झूलन और अजय के जिम्मे. अजय राय की बोलेरो ली गयी और 15 नवंबर की अहले सुबह ठीक छह लोगों ने हरिशंकर का अपहरण कर लिया. अफसोस की बात यह थी कि इसमें पप्पू सिंह भी था. फिलहाल अब पोल खुल चुकी है और पुलिस को इसमें सफलता मिली है.
मोबाइल टावर लोकेशन से हुई किडनैपरों की पहचान
चिह्नित अपराधियों से जब कुछ हासिल नहीं हुआ, तो पुलिस ने तकनीकी अनुसंधान शुरू किया. रेलवे ट्रैक के पास जहां किडनैपिंग हुई है, उस एरिया का मोबाइल टावर मैप के जरिये घटना के समय सक्रिय मोबाइल नंबर को देखा जा रहा है.
पुलिस ने जांच में पाया कि हरिशंकर के मोबाइल के टावर लोकेशन के पास 15 नवंबर की सुबह छह अन्य मोबाइल टावर काम कर रहे थे. पुलिस को कुछ उम्मीद जगी. पुलिस ने उन नंबरों को संदिग्ध माना और पता करने में जुट गयी कि सिम कार्ड किसके नाम से जारी हुआ है.
हैवानियत की हद
लाश को कर दिया चार टुकड़े, सिर फेंका झाड़ी में
हत्यारों ने हैवानियत की हदें पार कर दीं. हत्या के बाद सिर कलम कर दिया और लाश के चार टुकड़े कर दिये. इसके बाद खोदे गये गड्ढे में शव को दफना दिया गया. सिर वाले हिस्से को कहीं और झाड़ी में फेंक दिया.
लेकिन कहा जाता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं, 25 नवंबर की दोपहर तक पुलिस ने पूरे मामले से परदा उठा दिया. पप्पू सिंह, अरविंद, झूलन की पत्नी, बेटी समेत 10 लोगों को पुलिस ने जेल भेजा. अभी झूलन और अजय फरार चल रहे हैं. हरिशंकर के ब्लड सैंपल को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा है. उनके शरीर पर कपड़ा नहीं मिला है, और सिर भी गायब है, इसलिए अदालत में अपहरण और हरिशंकर की हत्या की बात साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है. फिलहाल घरवालों ने शव का दाह संस्कार कर दिया है.
रिश्तों के बीच खड़ी हो गयी दीवार
हरिशंकर और उनके पिता भले ही गांव छोड़कर पचरुखी बाजार आ गये थे, पर आना जाना होता था. गोतिया से रिश्ते मधुर थे. यही कारण था कि जब करीबी द्वारा अपहरण की बात जब पुलिस ने कही, ताे हरिशंकर के घरवाले विरोध पर उतर गये. उन्हें विश्वास नहीं हुआ. जब सच्चाई सामने आयी तो आंख से विश्वास का चश्मा उतर गया. खूनी रिश्तों में मैल दिखने लगा. जितनी नजदीकियां थीं, उतनी ही दूरियां बढ़ गयी हैं. पारिवारिक रिश्तों के बीच एक दीवार खड़ी हो गयी है.
भेद खुलने के डर से मार डाला
झूलन और उसके साथी छोटे-मोटे अपराधी थे, लेकिन जब रातोंरात करोड़पति बनने का ख्वाब देखा, ताे साथी के ही चेचरे भाई को उठा लिया. दरिंदगी की दास्ता यहीं नहीं खत्म हुई. हरिशंकर को किडनैप करने के बाद झूलन के गांव ले गये. वहां उसके घर में ही छुपा दिया. झूलन की पत्नी और बेटी जाल में फंसी मछली की तरह हरिशंकर की निगरानी करने लगी.
अब काम था फिरौती मांगने का. पर, इस हाइप्रोफाइल किडनैपिंग ने झूलन और उसके गैंग को डरा दिया. सीवान में पुलिस की सक्रियता देख कर वे हिम्मत हार गये. पहली बार किडनैपिंग की बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद उन्हें लगा कि अगर हरिशंकर जिंदा वापस गया, तो वह मुंह खोलेगा और वह जेल की हवा खायेंगे. इस भय ने वह किया, जिसका डर घरवालों को भी था और पुलिस को भी. उन्हें लगा कि वह पकड़े जायेंगे.
आनन-फानन में हत्या की साजिश रची गयी. इसके लिए जामो थाना क्षेत्र के डुमरा का चौर सबसे महफूज ठिकाना था. अरविंद ने अपने गांव के राजेश्वर उर्फ साधु को लगाया कि वह चौर के पास बड़ा गड्ढा खोदें. 16 की रात गड्ढा खोदा गया. फिर हरिशंकर को अपराधी चौर के पास लेकर पहुंचे और गमछे से गला कस कर पहले उनकी हत्या कर दी गयी.
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