मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं पुस्तकें : राज्यपालराज्यपाल ने एनबीटी पुस्तक मेला का किया अवलोकनपुस्तक मेले में आयोजित परिचर्चा में लिया हिस्सालाइफ रिपोर्टर पटनापुस्तके मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं. यदि मन थका हो, अवसाद में हो तो पुस्तकें हिम्मत और दिशा देती हैं. विद्यार्थियों के सफलता के पीछे उनका पुस्तक प्रेम ही होता है. यह बातें बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविद ने एनबीटी पुस्तक मेले में आयोजित बिहार की सांस्कृतिक विरासत विषयक परिचर्चा में कही. अपने संबोधन में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाते हुए कहा कि क्या भारत की सांस्कृतिक विरासत का उद्गम स्थान बिहार को माना जा सकता है? अपने संबोधन में राज्यपाल का कहना था विश्व का प्रथम लोकतंत्र बिहार में ही लिच्छवी गणतंत्र के रूप में शुरू हुआ. उन्होंने सरल, सुगम व सकारात्मक साहित्य की जरूरत पर जोर दिया. एनबीटी के प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने संस्था को प्रत्येक वर्ष पटना में दो पुस्तक मेला लगाने की सलाह दी. राज्यपाल ने परिचर्चा के पहले पुस्तक मेला का अवलोकन भी किया. इस मौके पर एनबीटी के स्टाल पर उनका विधानमंडल की पुस्तक भेंट की गयी.बिहार क्रांति की धरतीबिहार की सांस्कृतिक विरासत परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रख्यात इतिहासकार ओपी जायसवाल ने कहा कि बिहार की संपूर्ण भूमि सांस्कृतिक विरासत की धरोहर है. बिहार क्रांति की धरती है. बुद्ध से बड़ा विचारक कोई नहीं हुआ. आज के संदर्भ में महावीर, बुद्ध और गांधी के संदेश को समझने की जरूरत है. वहीं विधान पार्षद श्रीमती किरण घई ने कहा कि बिहार में प्राचीन काल से ही ज्ञान की सुदीर्घ परंपरा रही है. यहां कई दार्शनिक परंपरा रही है और सबको स्वीकार किया गया. हमारे यहां विविधता में एकता है. इस मौके पर विधान पार्षद प्रोफेसर रामवचन राय ने याज्ञवल्क्य के क्रांतिकारी वक्तव्य की चर्चा करते हुए बिहार की श्रमण परंपरा का जिक्र किया. इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत में सरस्वती शिशु मंदिर कदमकुआ और किलकारी के बच्चों ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ध्रुव कुमार और धन्यवाद ज्ञापन कमाल अहमद ने दिया.हिंदी उर्दू विरासत पर हुई चर्चापुस्तक मेले में हिंदी, उर्दू की विरासत और समकालीन भारत विषय पर एक बातचीत भी प्रस्तुत की गयी. साहित्यकार राणा प्रताप, शेखर व साहित्य अकादमी से पुरस्कृत अब्दुस समद ने कृष्णचंद, राजेंद्र सिंह बेदी और इस्मत चुगताई की जन्मशती पर आयोजित इस परिचर्चा में हिस्सा लिया. इस परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि इन तीनों ही साहित्यकारों ने देश की आत्मा को अंदर उतार लिया और बंटवारे की कडवाहट को झेलकर सार्थक साहित्य की रचना की.सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजनइस पुस्तक मेले में भारत लोक रंग महोत्सव के तहत अगरतला के श्याम सुंदर ओबेरा ग्रुप की तरफ से नौका विलास प्रस्तुत किया गया. राधाकृष्ण के प्रणयन दृश्य पर आधारित इस लोक नाटक का निर्देशन निरंजन सरकार ने किया. वहीं उडीसा के भद्रक के संकेत ग्रुप की तरफ से मुगल तमाशा की प्रस्तुति की गयी. इसका निर्देशन बादल सरकार ने किया.
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मनुष्य की सच्ची मत्रि होती हैं पुस्तकें : राज्यपाल
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