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पशुओं के लिए उत्तर भारत का पहला शवदाह गृह पटना में

पशुओं के लिए उत्तर भारत का पहला शवदाह गृह पटना में संजीव कुमार.पटनाआये दिन शहर में मृत लावारिस एवं पालतू पशु सड़क किनारे अथवा गंगा नदी या नालों में फेंक दिये जाते हैं, जिससे पानी एवं हवा प्रदूषित होती है. न चाहते हुए भी लोगों को इसकी दुर्गंध का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब […]

पशुओं के लिए उत्तर भारत का पहला शवदाह गृह पटना में संजीव कुमार.पटनाआये दिन शहर में मृत लावारिस एवं पालतू पशु सड़क किनारे अथवा गंगा नदी या नालों में फेंक दिये जाते हैं, जिससे पानी एवं हवा प्रदूषित होती है. न चाहते हुए भी लोगों को इसकी दुर्गंध का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब शहरवासियों को जल्द ही इससे छुटकारा मिलने वाला है. क्योंकि मृत पशुओं के निष्पादन के लिए बैरिया में बन रहा पशु शवदाह गृह लगभग बन कर तैयार हो चुका है. बिहार राज्य जल पर्षद द्वारा हो रहा तैयाररामजी चक, इलाहीबाग, बैरिया में बन रहा उत्तर भारत का पहला पशु शवदाह गृह बिहार राज्य जल पर्षद द्वारा तैयार किया जा रहा है. यह बिजली से चलने वाला आधुनिक संयंत्र है. संयंत्र में छोटे से लेकर बड़े पशुओं तक के शव को निष्पादित किया जा सकेगा.इको फ्रेंडली है संयंत्रयहां लगनेवाला संयंत्र पूरी तरह पयार्वरण के अनुकूल है. संयंत्र द्वारा पशु का शव पूरी तरह से राख में बदल जायेगा, जिसे पानी से बरे हौज में गिराया जायेगा. बाद में पानी में जमी और सड़ी हुए राख को खाद के रूप में काम में लाया जा सकेगा. तीन करोड़ सतावन लाख है लागतइस परियोजना के लिए सरकार द्वारा 3 करोड़ 57 लाख राशि स्वीकृत की गया ही. बिहार राज्य जल पर्षद के अधिकारियों के अनुसार संयंत्र को जनवरी माह तक चालू कर दिये जाने की संभावना है. विकासचंद्र उर्फ गुड्डू बाबा का अहम योगदानइस परियोजना को लागू करवाने में आरटीआइ एक्टिविस्ट विकासचंद्र उर्फ गुड्डू बाबा का अहम योगदान रहा. 2009 में गुड्डू बाबा ने आरटीआई द्वारा पशुओं के शव के निष्पादन से संबंधित जानकारी मांगी, जिसके आधार पर उन्होंने पटना हाइ कोर्ट में पीआइएल दायर किया. इस मामले में न्यायाधीश नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने डीएम, पटना, नगर निगम आयुक्त, पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड के सेक्रेटरी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ऑफिसर और नगर विकास विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी की एक कमेटी गठित की. कमेटी द्वारा जमीन तथा राशि उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया गया. लगभग छह सालों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सफलता मिली है. संयंत्र जल्द ही चालू हो जायेगा. यह आम लोगों की जीत है.- विकासचंद्र उर्फ गुड्डू बाबा, आरटीआइ एक्टिविस्टसंयंत्र में लगनेवाली सभी मशीनें आ चुकी हैं. केवल हौज का काम बाकी है. एक महीने में सभी मशीनों को इंस्टॉल कर दिया जायेगा. – यदुनंदन, इंचार्ज

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