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ह्यभारतवाणीह्ण के जरिये बिहारी भाषाओं की मिलेगी पहचान

‘भारतवाणी’ के जरिये बिहारी भाषाओं की मिलेगी पहचान यूनिवर्सिटी को भाषाएं संबंधित जानकारी देना है यूजीसी को क्षेत्रिए से लेकर भाषा-साहित्य की रहेगी जानकारी ‘भारतवाणी’ पोर्टल पर पोर्टल विश्व का सबसे बड़ा लैंग्वेज पोर्टल होगा जहां देश की भाषा-साहित्य की विविधता-सुंदरता ऑनलाइन मिलेगी. लाइफ रिपोर्टर, पटनाबिहार की मगही, भोजपुरी, मैथिली के साथ-साथ बिहार की अन्य […]

‘भारतवाणी’ के जरिये बिहारी भाषाओं की मिलेगी पहचान यूनिवर्सिटी को भाषाएं संबंधित जानकारी देना है यूजीसी को क्षेत्रिए से लेकर भाषा-साहित्य की रहेगी जानकारी ‘भारतवाणी’ पोर्टल पर पोर्टल विश्व का सबसे बड़ा लैंग्वेज पोर्टल होगा जहां देश की भाषा-साहित्य की विविधता-सुंदरता ऑनलाइन मिलेगी. लाइफ रिपोर्टर, पटनाबिहार की मगही, भोजपुरी, मैथिली के साथ-साथ बिहार की अन्य भाषाएं अब आपके पहुंच में होगी. इसके साथ-साथ बिहार की भाषा-साहित्य से संबंधित सामग्रियों भी आपके एक क्लीक पर मिलेगी. इसी के साथ-साथ देश के हरेक हिस्सों में बोली जाने वाली भाषाएं भी सभी के पहुंच में होगी. अब हरेक भाषाएं अपनी पहचान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नयी मुकाम हासिल कर सकती है. इसके लिए ‘भारतवाणी’ पोर्टल के जरिये सभी भारतीय भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है. इस पोर्टल से बिहार की भाषा-साहित्य को भी ‘भारतवाणी’ में जगह मिलेगी. पोर्टल का प्रस्ताव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने रखा है. यह विश्व का सबसे बड़ा इंटरनेट लैंग्वेज पोर्टल होगा. केंद्र सरकार के ‘भारतवाणी’ परियोजना को शुरू करने ते उद्देश्य से यूजीसी के सचिव प्रो जसपाल एस संधू ने देश के सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखकर भाषाओं से संबंधित यूनिवर्सिटी, कॉलेज में उपलब्ध डिजिटलाइज या नन डिजिटलाइज पुस्तकें व सामग्रियों को उपलब्ध कराने के लिये कहा गया है. इसके साथ ही उन संस्थानों व व्यक्तियों के नाम भी मांगे है, जो ऐसी सामग्रियों को उपलब्ध कराने की इच्छा रखते हैं. यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को 7 दिसंबर तक भाषा से संबंधित सामग्रियों को साझा करने को कहा है. ‘भारतवाणी’ परियोजना से केंद्र सरकार देश के अलग-अलग राज्यों की भाषा साहित्य को ई-कांवेंट के रूप में विकसित कर उसे भारतवाणी परियोजना के पोर्टल पर डालेगी. वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 122 भाषाएं हैं और 234 मातृभाषाएं यहां बोली जाती हैं. डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की कड़ी में ही भाषा साहित्य से जुड़ी सामग्रियों को टेक्सट, आडियो-विडियो व इमेज फार्मेट में पोर्टल पर डाला जायेगा. यूजीसी ने कहा है कि यह पोर्टल विश्व का सबसे बड़ा लैंग्वेज पोर्टल होगा जहां देश की भाषा-साहित्य की विविधता-सुंदरता ऑनलाइन देखी जा सकेगी.

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